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इंडियन नेवी को मिलेगी 'हवाई' ताकत, कार्गो ड्रोन से लैस होंगे INS विक्रांत और विक्रमादित्य; जानें रेंज

यह पार्टनरशिप सीधे तौर पर मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत अभियान को मजबूती देगी. वहीं, ULTRA MK2 के ज्यादातर पुर्जे भारत में ही बनाए जाने की प्लानिंग है, ताकि इस तकनीक पर इंडियन नेवी का पूरा कंट्रोल रहे.

इंडियन नेवी को मिलेगी 'हवाई' ताकत, कार्गो ड्रोन से लैस होंगे INS विक्रांत और विक्रमादित्य; जानें रेंज
  • इंडियन नेवी को मिलेगा कार्गो ड्रोन
  • हर मौसम में उड़ान भरने में सक्षम

भारतीय नौसेना अब अपनी समुद्री ताकत में एक नया अध्याय जोड़ने जा रही है. पुणे की जानी-मानी रक्षा कंपनी भारत फोर्ज लिमिटेड ने ब्रिटेन की विंडरोवर नाम की कंपनी के साथ हाथ मिलाया है, ताकि इंडियन नेवी को 'ULTRA MK2' नाम के खास कार्गो ड्रोन दिए जा सकें. इन ड्रोन का मकसद समंदर में भारतीय युद्धपोतों तक जरूरी सामान पहुंचाना है.

क्या है ULTRA MK2 ड्रोन?
ULTRA MK2 एक भारी-भरकम और लंबी दूरी तक उड़ने वाला ड्रोन है. यह ड्रोन 150 किलोग्राम तक का सामान उठा सकता है और 1,000 किलोमीटर तक लगातार उड़ सकता है.

इसे इस तरह से डिजाइन किया गया है कि यह दूर-दराज के या कम सुविधाओं वाले इलाकों तक भी आसानी से जरूरी सामान पहुंचा सके.

क्या है ULTRA MK2 की खासियतें?
विंडरोवर का दावा है कि यह ड्रोन सामान्य ईंधन से चलता है और ऑटोपायलट सिस्टम से लैस है. साथ ही, यह कोहरे या रात में भी बिना ज्यादा इंसानी दखल के आसानी से उड़ान भर सकता है और उतर सकता है.

वहीं, इस ड्रोन का डिजाइन इतना मजबूत है कि यह अंटार्कटिका की जमा देने वाली ठंड से लेकर तूफानी समंदर तक, हर मुश्किल मौसम में अपनी क्षमता साबित कर चुका है.

INS विक्रांत और विक्रमादित्य से उड़ान भरने की तैयारी
इंडियन नेवी की प्लानिंग है कि वे ULTRA MK2 को अपने विमान वाहक पोतों (aircraft carriers) जैसे INS विक्रांत और INS विक्रमादित्य से ऑपरेट करे. इसका सीधा मतलब है कि ये ड्रोन सीधे जहाजों से उड़ान भरेंगे और जरूरी सामान जहाजों पर या दूर के बेस तक पहुंचाएंगे.

रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि भारत फोर्ज की रक्षा उत्पादन में विशेषज्ञता और विंडरोवर की नई ड्रोन तकनीक इंडियन नेवी की रसद क्षमताओं में एक बड़ी क्रांति ला सकती है.

यह ड्रोन समुद्री ऑपरेशन, जहाजों को दोबारा सामान पहुंचाना, आगे के नौसैनिक ठिकानों को मदद देना और आपदा प्रभावित तटीय इलाकों में राहत सामग्री पहुंचाने के लिए बिल्कुल सही रहेगा.

साल 2050 तक का मास्टरप्लान तैयार!
इंडियन नेवी 2050 तक अपने बेड़े को 200 जहाजों और 500 विमानों तक बढ़ाने का लक्ष्य लेकर चल रही है. इसके लिए वे अपने देश में बने सिस्टम और ड्रोन पर लगातार ध्यान दे रहे हैं.

वहीं, ULTRA MK2 नेवी के मौजूदा विमानों जैसे बोइंग P-8I और IAI हेरॉन-1 की जगह एक बेहतरीन ऑप्शन साबित होगा.

रिपोर्ट के मुताबिक, उम्मीद है कि रक्षा मंत्रालय जल्द ही इस ड्रोन का लाइव प्रदर्शन भी देखेगा, जिसमें नेवी ऑपरेशंस में इसकी इंटीग्रेशन क्षमता को दिखाया जाएगा.

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