नई दिल्ली: बीते 22 अप्रैल, 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद से ही भारत और पाकिस्तान में युद्ध की स्थिति बनी हुई है. दोनों ही देश ने अपनी सेनाएं अलर्ट मोड पर है. ऐसे में अगर देशों की ताकत की बात की जाए तो एक तरफ भारतीय वायुसेना के पास राफेल और सुखोई su-30MKI जैसे ताकतवर फाइटर जेट्स हैं. इसके अलावा S-400 सिस्टम भी भारत के पास है. वहीं, पाकिस्तान की वायुसेना के बेड़े में चीन का HQ-9 एयर डिफेंस सिस्टम तैनात किया गया है. ऐसे में चलिए जानते हैं कि भारतीय जेट्स के सामने कितना टिक पाएगा HQ-9.
पाकिस्तान के पास नहीं है शक्तिशाली हथियार
गौरतलब है कि पाकिस्तान ने 2021 में चीन से HQ-9P हवाई रक्षा सिस्टम खरीदा था, जो बाद में अपग्रेड करते हुए HQ-9BE वेरिएंट तक पहुंच गया. इस सिस्टम को पाकिस्तान की लंबी दूरी की हवाई रक्षा का मुख्य आधार माना जाता है. HQ-9P की रेंज 100-200 किमी है और यह मैक 14 तक की स्पीड वाले लक्ष्यों को निशाना बनाने में सक्षम है. इसमें H-200 फेज्ड ऐरे रडार है, जो एक समय में 100 लक्ष्यों को ट्रैक कर सकती है और 8-10 लक्ष्यों पर हमला कर सकता है. पाकिस्तान ने इस सिस्टम की तैनाती कराची और रावलपिंडी जैसे ठिकानों की रक्षा के लिए की है.
कमजोर है पाकिस्तान के हथियार
हालांकि, HQ-9 की रडार भारत के S-400 सिस्टम के मल्टी-AESA रडार जितनी एडवांस नहीं है. पाकिस्तान का यह सिस्टम ब्रह्मोस जैसी सुपरसोनिक मिसाइलों को रोकने में काफी कमजोर है. 9 मार्च, 2022 को जब भारत से गलती से एक ब्रह्मोस मिसाइल पाकिस्तान के मियां चन्नू में गिरी, तो HQ-9 ने इसे ट्रैक तो किया, लेकिन रोक नहीं पाया. इसका कारण था कि ब्रह्मोस ने 124 किमी की दूरी तय की थी, जबकि HQ-9 की क्रूज मिसाइलों के लिए रेंज सिर्फ 25 किमी ही है. पाक की HQ-9 में 360 डिग्री कवरेज की कमी है, जो भारत के बराक-8 या QRSAM जैसे सिस्टम में मौजूद है.
भारत के बेड़े में दमदार विमान
भारत की वायुसेना (IAF) के पास अत्याधुनिक तकनीकों से लैस राफेल और सुखोई-30 MKI जैसे शक्तिशाली विमान हैं. राफेल एक 4.5 जनरेशन का लड़ाकू विमान है, जिसे भारत ने 2016 में फ्रांस से खरीदा. 2025 तक भारत के पास 62 राफेल विमान हो चुके हैं, इनमें से 26 राफेल मरीन भी है, जिन्हें हाल ही में शामिल किया गया है. इसमें AESA रडार है, जो लंबी दूरी तक लक्ष्य को ट्रैक कर सकता है. इसका इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर सिस्टम और कम रडार क्रॉस-सेक्शन इसे स्टील्थ जैसी क्षमता के साथ मजबूत बनाता है.
भारत की रीढ़ है सुखोई-30 MKI
सुखोई-30 MKI भारत की वायुसेना की रीढ़ की हड्डी कहा जाना गलत नहीं होगा, जो 260 से ज्यादा विमानों से लैस हैं. इसे रूस की सुखोई कंपनी ने तैयार किया और भारत में HAL ने असेंबल किया. यह ब्रह्मोस मिसाइल, R-77 BVR मिसाइल और स्वदेशी अस्त्र मिसाइलों से लैस है. इसकी तकनीक की बात करें तो इसमें इरबिस-E PESA रडार है, जो लंबी दूरी तक लक्ष्य को ट्रैक करने में सक्षम है. यह थ्रस्ट वेक्टरिंग इंजन AL-31F से लैस है, जिसके कारण यह हवा में बेहतरीन चालबाजी दिखा सकता है.
HQ-9 पर भारी पड़ेंगे राफेल और सुखोई
HQ-9P और भारतीय हथियारों की रेंज पर ध्यान दिया जाए तो पाक की HQ-9P की रेंज 125-200 किमी है, जबकि राफेल की मेट्योर मिसाइल 150-200 किमी और स्कैल्प 300+ किमी तक मार कर सकती है. सुखोई की ब्रह्मोस 450 किमी तक जा सकती है. इसका साफ मतलब है कि दोनों विमान HQ-9 की रेंज से बाहर रहकर हमला कर सकते हैं.
क्या होगा पाकिस्तान का हाल
ये तो पहले ही साफ हो चुका है कि भारत के फाइटर जेट्स और मिसाइलों का सामने करने के लिए पाकिस्तान उतना मजबूत नहीं है. ऐसे में अगर भारत ने अपने राफेल और सुखोई-30 MKI जैसे अस्त्र से हमला किया तो अंदाजा भी नहीं लगाया जा सकता कि पाक में कितनी तबाही मच सकती है. राफेल अपनी मेट्योर और स्कैल्प मिसाइलों से HQ-9 की रेंज से बाहर रहकर हमला कर सकता है. HQ-9 के लिए यह एक मुश्किल टारगेट होगा. इसके अलावा सुखोई की ब्रह्मोस मिसाइल HQ-9 की रेंज से कहीं ज्यादा दूरी तक मार कर सकती है.
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