जब भी आगरा का नाम आता है, सबसे पहले ताजमहल की तस्वीर आंखों के सामने आती है. लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि ताजमहल से पहले भी एक ऐसा मकबरा बना था, जिसने मुगल वास्तुकला को एक नया रास्ता दिखाया. हम बात कर रहे हैं एत्मादुद्दौला के मकबरे की, जिसे भारत का पहला ऐसा स्मारक माना जाता है जो पूरी तरह से सफेद संगमरमर से बनाया गया था. यह मकबरा ना सिर्फ अपनी खूबसूरती के लिए मशहूर है, बल्कि इसकी ऐतिहासिक अहमियत भी काफी खास है.
कहां है एत्मादुद्दौला का मकबरा?
एत्मादुद्दौला का मकबरा उत्तर प्रदेश के आगरा शहर में स्थित है. यह यमुना नदी के किनारे बना हुआ एक बेहद खूबसूरत मुग़ल स्मारक है. इसकी डिजाइन और बनावट के कारण लोग इसे 'बेबी ताज' भी कहते हैं, क्योंकि इसकी झलक ताजमहल से मिलती है.
एत्मादुद्दौला कौन थे?
एत्मादुद्दौला एक उपाधि थी जो मिर्जा गियास बेग को दी गई थी. वे मुगल बादशाह जहांगीर के ससुर और महारानी नूरजहां के पिता थे. मिर्जा गियास बेग मूल रूप से फारस (ईरान) से भारत आए थे और मुगल दरबार में ऊंचे पद तक पहुंचे. उनके योगदान को देखते हुए उन्हें यह सम्मानजनक उपाधि दी गई, जिसका मतलब होता है राज्य का भरोसेमंद व्यक्ति.
कब और क्यों बनवाया गया ये मकबरा?
1622 में मिर्जा गियास बेग का निधन हुआ. इसके बाद उनकी बेटी नूरजहां ने उनके सम्मान में यह मकबरा बनवाया. इसका निर्माण 1622 से 1628 के बीच पूरा हुआ. नूरजहां खुद इस निर्माण की निगरानी कर रही थीं. यह मकबरा एक यादगार और प्रेम से जुड़ी श्रद्धांजलि भी माना जाता है.
क्या है इसकी खासियत?
यह भारत का पहला मकबरा है जो पूरी तरह सफेद संगमरमर से बना है. इससे पहले मुगल स्मारकों में लाल बलुआ पत्थर का इस्तेमाल होता था. मकबरे के चारों कोनों पर छोटी मीनारें बनी हुई हैं. दीवारों पर फूल-पत्तियों, बेल-बूटों और पत्थर की जालियों की बेहद बारीक नक्काशी की गई है. अंदरूनी हिस्सों में रंग-बिरंगे पत्थरों से सजावट की गई है जिसे पिएत्रा ड्यूरा स्टाइल कहा जाता है. मकबरा एक चबूतरे पर बना है और उसके चारों तरफ मुगल गार्डन जैसी बगिया है.