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kargil vijay diwas 2025: कारगिल युद्ध के बीच लिखे गए शहीदों के आखिरी खत, जिन्हें पढ़कर आंखें नम हो जाएंगी

kargil vijay diwas 2025: कारगिल युद्ध के दौरान भारतीय सैनिकों ने अपने परिवार के लिए जो खत लिखे, वो आज भी भावनाओं से भरे हुए हैं. इन चिट्ठियों में प्यार, जिम्मेदारी और देशभक्ति का गहरा संदेश था. ये खत आज भी हमें शहीदों की कुर्बानी और उनके जज्बे की याद दिलाते हैं.

kargil vijay diwas 2025: कारगिल युद्ध के बीच लिखे गए शहीदों के आखिरी खत, जिन्हें पढ़कर आंखें नम हो जाएंगी
  • कारगिल सैनिकों के आखिरी खत
  • देशभक्ति से भरे जज्बाती संदेश

kargil vijay diwas 2025: कारगिल युद्ध 1999 में हुआ था, लेकिन उससे जुड़ी कुछ यादें आज भी उतनी ही ताजा हैं जैसे उन सैनिकों के लिखे खत, जो उन्होंने युद्ध के बीच अपने घरवालों को भेजे थे. ये चिट्ठियां सिर्फ शब्द नहीं थीं, उनमें एक सैनिक के जज्बात, देशभक्ति, हिम्मत और अपनों के लिए प्यार छिपा था. इन चिट्ठियों को पढ़कर आज भी आंखें नम हो जाती हैं.

कैप्टन विक्रम बत्रा
कैप्टन विक्रम बत्रा को हर कोई उनके कोड वर्ड 'ये दिल मांगे मोर' के लिए जानता है. लेकिन कम ही लोग जानते हैं कि उन्होंने युद्ध के समय अपने पिता से फोन पर कहा था, 'या तो तिरंगा लहराकर आऊंगा, या तिरंगे में लिपटकर'. उनकी यह बात बाद में पूरे देश के लिए गर्व का प्रतीक बन गई.

कैप्टन अनुज नायर
कैप्टन अनुज नायर ने युद्ध पर जाने से पहले अपने माता-पिता को एक खत लिखा था. उन्होंने लिखा 'शायद ये खत आप तक ना पहुंचे, लेकिन मेरा फर्ज मुझे बुला रहा है. अगर लौटूं तो मिलूंगा, नहीं लौटा तो गर्व करना'. उनका यह खत आज भी उनके परिवार के पास सुरक्षित है.

दूसरे सैनिकों के खत
कारगिल युद्ध के दौरान कई जवानों ने अपने परिवार को खत लिखे. किसी ने अपनी पत्नी को हिम्मत दी, तो किसी ने मां-बाप से माफी मांगी. एक सैनिक ने अपनी पत्नी को लिखा, 'अगर कुछ हो जाए तो रोना मत, बस बेटे को बताना कि उसके पापा बहादुर थे'.
इन चिट्ठियों में साफ था कि वो डर से नहीं, जिम्मेदारी से लड़ रहे थे.

ये खत आज भी जिंदा हैं
कारगिल की लड़ाई भले 25 साल पुरानी हो गई हो, लेकिन उन खतों में लिखे भाव आज भी लोगों के दिलों में जिंदा हैं. हर लाइन में सिर्फ एक सैनिक का दर्द नहीं था, उसमें एक बेटे, पति और दोस्त की इंसानियत भी थी.

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