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Kargil vijay diwas 2025: 1999 के कारगिल हीरो अब क्या कर रहे हैं? जानें कैसी है उनकी आज की जिंदगी

कारगिल युद्ध 1999 के जवानों ने देश की रक्षा के लिए अद्भुत साहस दिखाया. आज भी कई हीरो हमारे बीच हैं और समाज को प्रेरणा दे रहे हैं. कोई पायलट बना है, कोई मोटिवेशनल स्पीकर, तो कोई समाज सेवा में जुटा है. ये कहानी उनकी जज्बे और जिंदगी की झलक है.  

Kargil vijay diwas 2025: 1999 के कारगिल हीरो अब क्या कर रहे हैं? जानें कैसी है उनकी आज की जिंदगी
  • आज भी जिंदा हैं कई कारगिल हीरो
  • अलग अलग क्षेत्रों में कर रहे हैं योगदान

1999 का कारगिल युद्ध भारतीय सेना के शौर्य की ऐसी मिसाल है, जिसे देश कभी भूल नहीं सकता. उस युद्ध में कई जवानों ने जान की परवाह किए बिना भारत की रक्षा की. कुछ शहीद हो गए, लेकिन कई आज भी हमारे बीच हैं. चलिए जानते हैं कारगिल के उन हीरो के बारे में, जो अब भी जिंदा हैं, आज क्या कर रहे हैं और उनकी जिंदगी कैसी चल रही है.

सूबेदार मेजर योगेंद्र सिंह यादव
कारगिल में योगदान: सिर्फ 19 साल की उम्र में टाइगर हिल पर दुश्मन के बंकर पर हमला किया. 17 गोलियां लगने के बाद भी साथियों को सुरक्षित रास्ता दिया और दुश्मनों को हराया. इसके लिए उन्हें परमवीर चक्र मिला.

आज की जिंदगी: 2021 में सेना से रिटायर होने के बाद, अब वो युवाओं को मोटिवेट करने के काम से जुड़े हैं. कई जगहों पर सेमिनार और भाषण देते हैं. इसके अलावा 'udChalo' नाम की एक डिफेंस से जुड़ी कंपनी में बतौर सलाहकार काम कर रहे हैं.

ग्रुप कैप्टन नचिकेता
कारगिल में योगदान: MiG-27 से उड़ान भरते समय उनका विमान दुश्मन क्षेत्र में क्रैश हुआ. वो पैराशूट से नीचे उतरे लेकिन पाकिस्तान की सेना ने उन्हें पकड़ लिया. 8 दिन बाद उन्हें भारत लाया गया.

आज की जिंदगी: सेना से रिटायरमेंट के बाद अब इंडिगो एयरलाइंस में कमर्शियल पायलट हैं. हालांकि, युद्ध के दौरान लगी चोटों की वजह से अब भी स्वास्थ्य से जुड़ी परेशानियां झेलते हैं.

मेजर डी.पी. सिंह
कारगिल में योगदान: एक बम धमाके में उन्होंने अपना एक पैर खो दिया, लेकिन हार नहीं मानी.

आज की जिंदगी: मेजर डी.पी. सिंह प्रोस्थेटिक पैर के साथ 26 से ज्यादा मैराथन पूरी कर चुके हैं. आज वो लाखों लोगों के लिए प्रेरणा हैं. साथ ही दिव्यांगों के हक में जागरूकता फैलाने वाले कई कार्यक्रमों से जुड़े हैं.

कैप्टन यशिका ट्यागी 
कारगिल में योगदान: गर्भवती होने के बावजूद युद्ध क्षेत्र में हर वक्त तैनात रहीं. उनका ये साहस महिला सशक्तिकरण की मिसाल बन गया.

आज की जिंदगी: सेना से रिटायरमेंट के बाद महिलाओं से जुड़े मुद्दों पर लिखती हैं, मोटिवेशनल स्पीकर हैं और समाज सेवा में सक्रिय रहती हैं.

राइफलमैन संजय कुमार
कारगिल में योगदान: उन्होंने अकेले ही दुश्मन के बंकर पर कब्जा किया और कई आतंकवादियों को मार गिराया. इस वीरता के लिए उन्हें भी परमवीर चक्र मिला.

आज की जिंदगी: वो अभी भी सेना में हैं और देश की सेवा कर रहे हैं. साथ ही देशभर में युवाओं को प्रेरणा देने का काम भी करते हैं.

कर्नल सोनम वांगचुक
कारगिल में योगदान: उन्होंने बिना समय गंवाए ऑपरेशन चलाकर कई दुश्मनों को पीछे हटाया. इसके लिए उन्हें महावीर चक्र मिला.

आज की जिंदगी: रिटायर होने के बाद लद्दाख में शिक्षा और समाज सेवा के क्षेत्र में काम कर रहे हैं. युवाओं को सेना और देशभक्ति के लिए तैयार करते हैं.

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