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Kargil War: कारगिल युद्ध में घोड़ों और कुत्तों का क्या रोल था, जानें कैसे बने सेना के भरोसेमंद साथी

Kargil War: 1999 के कारगिल युद्ध में भारतीय सेना के साथ घोड़े और कुत्तों ने अहम भूमिका निभाई. घोड़ों ने ऊंचे और बर्फीले इलाकों में सामान और घायल जवानों को पहुंचाया, जबकि कुत्तों ने सुरंगों का पता लगाने और संदेश पहुंचाने जैसे जरूरी काम किए. इनका साथ सेना के लिए बहुत मददगार रहा.

Kargil War: कारगिल युद्ध में घोड़ों और कुत्तों का क्या रोल था, जानें कैसे बने सेना के भरोसेमंद साथी
  • बर्फीले इलाकों में घोड़ों ने सामान पहुंचाया
  • कुत्तों ने सुरंगों और खतरे की पहचान की
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Kargil War: कारगिल युद्ध 1999 में हुआ था, जब भारत को पाकिस्तान की घुसपैठ का सामना करना पड़ा. ये लड़ाई बेहद कठिन इलाकों में लड़ी गई, जहां मौसम खराब था, रास्ते मुश्किल थे और ऊंचाई बहुत ज्यादा थी. इस दौरान सैनिकों के साथ-साथ घोड़े और कुत्ते भी सेना का हिस्सा बने और कई जरूरी कामों में मदद की.

घोड़े कैसे काम आए
कारगिल जैसी जगहों पर गाड़ियां नहीं चल सकतीं, और हेलिकॉप्टर हर जगह नहीं जा सकते. ऐसे में घोड़े जरूरी सामान पहुंचाने के लिए सबसे अच्छा साधन बने. इन घोड़ों के जरिए सेना तक राशन, दवाइयां और हथियार पहुंचाए गए. कई बार घायल जवानों को भी इन्हीं के जरिए नीचे लाया गया. घोड़े ऊंचे पहाड़ों और बर्फीले रास्तों में भी बिना रुके चलते रहे. इनकी वजह से जरूरी सामान समय पर पहुंच पाया.

कुत्तों ने कैसे मदद की
सेना के कुत्ते खास ट्रेनिंग लेकर आते हैं. इन्हें बम या माइन टनल की पहचान करने, दुश्मन की हलचल पकड़ने और जरूरी मैसेज पहुंचाने का काम दिया जाता है. कारगिल के दौरान भी कुछ कुत्तों ने सुरंगों का पता लगाकर जवानों की जान बचाई थी.
कुछ जगहों पर जहां नेटवर्क नहीं था, वहां कुत्तों ने एक पोस्ट से दूसरी पोस्ट तक संदेश पहुंचाने में मदद की.

इनका साथ क्यों जरूरी था
जब हालात बहुत मुश्किल होते हैं, जैसे बर्फबारी, ऊंचे पहाड़ या सीमित संसाधन, तब इंसानों के साथ-साथ ऐसे जानवर भी जरूरी हो जाते हैं जो इन परिस्थितियों में काम कर सकें. कारगिल युद्ध में घोड़े और कुत्ते पूरी तरह से सेना के साथ खड़े रहे और जरूरत के समय भरोसेमंद साबित हुए.

कारगिल युद्ध में घोड़ों की क्या भूमिका थी?
कारगिल युद्ध में घोड़ों ने ऊंचे और बर्फीले इलाकों में सेना तक राशन, हथियार और दवाइयां पहुंचाने में मदद की.

सेना में कुत्तों का इस्तेमाल कैसे किया गया?
सेना में कुत्तों को माइन टनल पहचानने, दुश्मन की हलचल पकड़ने और संदेश पहुंचाने के लिए तैनात किया गया था.

क्या इन जानवरों को युद्ध के लिए ट्रेनिंग दी जाती है?
हां, सेना के कुत्ते और घोड़े दोनों को खास ट्रेनिंग दी जाती है, ताकि वो मुश्किल हालात में काम कर सकें.

क्या कारगिल युद्ध में किसी कुत्ते ने जान बचाई थी?
हां, कुछ कुत्तों ने माइन टनल का पता लगाकर कई जवानों की जान बचाई थी.

क्या इन जानवरों को सम्मान भी मिलता है?
सेना में इनका योगदान माना जाता है, लेकिन इन्हें पब्लिकली बहुत कम सराहना या सम्मान मिलता है.

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