भारत के वीर सपूत मेजर शैतान सिंह भाटी का नाम आज भी भारतीय सेना में गर्व से लिया जाता है. उनका जन्म 1 दिसंबर 1924 को राजस्थान के बाणासर गांव (जिला जोधपुर) में हुआ था. उनके पिता लेफ्टिनेंट कर्नल हेम सिंह भाटी भी सेना में थे. घर का माहौल देशभक्ति से भरा हुआ था, जिसका असर शैतान सिंह पर बचपन से ही दिखाई दिया.
सेना में शुरुआत
शैतान सिंह ने अपनी पढ़ाई जसवंत कॉलेज, जोधपुर से पूरी की. इसके बाद उन्होंने 1949 में भारतीय सेना जॉइन की. शुरुआत में वे जोधपुर स्टेट फोर्सेस में रहे, फिर भारत में मिलिट्री मर्जर के बाद उन्हें कुमाऊं रेजिमेंट में शामिल किया गया. वे मेहनती, अनुशासित और बेहद साहसी अफसर थे. उन्होंने नागा हिल्स ऑपरेशन और गोवा मुक्ति संग्राम जैसे अभियानों में हिस्सा लिया. 1962 में उन्हें मेजर की रैंक दी गई.
रेजांग ला की ऐतिहासिक लड़ाई
18 नवंबर 1962, भारत और चीन के बीच लड़ाई चरम पर थी. लद्दाख के रेजांग ला पास, जो समुद्र तल से करीब 17,000 फीट की ऊंचाई पर है, वहां मेजर शैतान सिंह की अगुवाई में 13 कुमाऊं रेजिमेंट की चार्ली कंपनी तैनात थी. इस कंपनी में केवल 120 सैनिक थे, लेकिन उनके हौसले पहाड़ से भी ऊंचे थे. दूसरी ओर, हजारों की संख्या में चीनी सैनिक भारी हथियारों के साथ हमला कर रहे थे. लेकिन भारतीय जवानों ने हार नहीं मानी. मेजर शैतान सिंह हर पोस्ट पर जाकर अपने जवानों को हौसला देते रहे. जब हालात बेकाबू हो गए और वे खुद भी बुरी तरह घायल हो गए, तब भी उन्होंने अपने सैनिकों को पीछे हटने का आदेश दिया और खुद वहीं डटे रहे. अंत में, वे शहीद हो गए लेकिन आखिरी दम तक लड़े.
सम्मान और शहादत
मेजर शैतान सिंह का शव तीन महीने बाद बर्फ पिघलने पर मिला. वे अब भी अपने हथियार थामे हुए थे. भारत सरकार ने उनकी बहादुरी के लिए उन्हें परमवीर चक्र से सम्मानित किया, जो भारत का सर्वोच्च वीरता पुरस्कार है.
कुछ अनसुने फैक्ट्स
इस लड़ाई में भारत के 114 सैनिक शहीद हुए लेकिन उन्होंने 1300 से ज्यादा चीनी सैनिकों को मार गिराया. बाद में इस कंपनी को 'रेजांग ला कंपनी' के नाम से पहचाना जाने लगा. हरियाणा के रेवाड़ी और लद्दाख में उनके नाम पर स्मारक बनाए गए हैं. एक ऑयल टैंकर का नाम भी MT Major Shaitan Singh, PVC रखा गया था. उनके जीवन पर आधारित फिल्में भी बनाई गई हैं. जल्द ही एक नई फिल्म '120 बहादुर' आ रही है जिसमें फरहान अख्तर उनका किरदार निभाएंगे.