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भारत की M72 मात्र ₹93000 में, कैसे इन 4 हाई-टेक बंदूकों को पछाड़ती है ये देसी राइफल?

Manohar M72 Rifle: भारत ने एडवांस और मॉडर्न टेक्नोलॉजी से लैस स्वदेशी हथियार M72 कार्बाइन बनाई है. जिसकी कीमत मात्र ₹93,000 है, जिसके चलते दुनिया की अन्य एडवांस राइफलों के मुकाबले, M72 अधिक सस्ती, हल्की, भरोसेमंद और भारतीय परिस्थितियों के अनुकूल है. वहीं उत्तर प्रदेश पुलिस ने M72 को अपने सुरक्षा बेडे़ में शामिल करने का फैसला ले लिया है.

भारत की M72 मात्र ₹93000 में, कैसे इन 4 हाई-टेक बंदूकों को पछाड़ती है ये देसी राइफल?
  • स्वदेशी M72 की कीमत ₹93,000 है

    एडवांस राइफल्स को देती है सीधी टक्कर

Manohar M72 Rifle: भारत सरकार देश के रक्षा क्षेत्र को आत्मनिर्भर बनाने और स्वदेशी हथियार से लैस करने के लिए पूरजोर कोशिश कर रही है. इसी कड़ी में, स्वदेशी हथियार ‘मनोहर M72 कार्बाइन’ भारतीय सुरक्षा बलों के लिए एक किफायती और अत्याधुनिक हथियार के रूप में उभर कर सामने आई है. हाल ही में, उत्तर प्रदेश पुलिस ने 2,000 यूनिट M72 खरीदने का ऐतिहासिक फैसला लिया है, जिससे यह देश की पहली बड़ी राज्य पुलिस बन गई है जो इस स्वदेशी कार्बाइन को अपनाएगी. बैंगलोर स्थित रक्षा उपकरण बनाने वाली निजी कंपनी SSS Defence द्वारा निर्मित यह राइफल तकनीकी रूप से काफी एडवांस और कीमत में किफायती है. इसके फीचर और खूबियां इसे वैश्विक स्तर का हथियार बनाती है, जिसने न केवल भारतीय बल्कि विदेशी हथियारों को भी चुनौती दी है. इसकी कीमत मात्र 93,000 रुपये है, जो कई महंगी और आधुनिक राइफलों से भी सस्ती और प्रभावी साबित हो रही है.

क्यों M72 बाकी आधुनिक राइफलों पर भारी?
भारत में पहले से मौजूद और विदेशों से खरीदी गई, कई उन्नत राइफलें सुरक्षा बलों द्वारा उपयोग की जाती हैं, लेकिन M72 अपनी कम लागत, बेहतर डिज़ाइन और भारतीय परिस्थितियों के अनुकूल होने के चलते अधिक प्रभावी साबित हो रही है. आइए देखते हैं कि यह किस तरह से अन्य एडवांस राइफलों की तुलना में बेहतर साबित हो रही है.

OFB Trichy Assault Rifle (TAR) से वजन में कम
ऑर्डिनेंस फैक्ट्री बोर्ड, तिरुचिरापल्ली द्वारा निर्मित OFB Trichy असॉल्ट राइफल की कीमत प्रति यूनिट ₹1,00,000 है. वहीं इसका वजन लगभग 4 किग्रा है, जिसके कारण लंबे समय तक ऑपरेशन में इस्तेमाल करना कठिन होता है. वहीं इसकी पुरानी डिजाइन और लिमिटेड मॉडर्न अपग्रेड के चलते कम कारगर साबित होती है.

जबकि M72 की कीमत ₹93,000 है, जिससे सुरक्षा एजेंसियां इसे बिना अधिक खर्चे के अपना सकती हैं. वहीं इसका वजन 3 किग्रा से भी कम बताई गई है, डिजाइन भी ज्यादा मॉडर्न है, जिसके चलते इसे ऑपरेट करना काफी आसान है.

AK-203i (इंडो-रशियन) से कीमत में कम
इंडो-रशियन कोरवा ऑर्डिनेंस फैक्ट्री द्वारा निर्मित AK-203i असॉल्ट राइफल, इडो-रशियन जॉइंट वेंचर के अंडर में आती है. जिसका इंडियन वर्जन काफी महंगा होता है, क्योंकि इसमें रूस से रॉयल्टी और टेक्नोलॉजी ट्रांसफर शुल्क भी जुड़ता है. वहीं इसका वजन 3.8 किग्रा है, जिसे तुरंत ऑपरेट करना मुश्किल हो जाता है.

जबकि AK-203i के मुकाबले M72 पूरी तरह स्वेदशी और कम खर्चीली है. साथ ही, यह हल्की और अधिक फुर्तीली कार्बाइन है, जिसे शहरी युद्ध और पुलिस ऑपरेशनों के लिए डिजाइन किया गया है.

Sig Sauer SIG-716i से मोबिलिटी ज्यादा
Sig Sauer अमेरिका द्वारा निर्मित SIG-716i एक विदेशी बैटल राइफल है. जिसकी कीमत ₹1,00,000 प्रति यूनिट है. SIG-716i भारी और बड़ी कैलिबर वाली राइफल है, जो हल्के और तेज कार्बाइन की जरूरत वाले ऑपरेशन के लिए उपयुक्त नहीं मानी जाती है. इसका वजन भी 4.3 किग्रा है, जिसके चलते तुरंत ऑपरेट करना मुश्किल हो जाता है.

वहीं SIG-716i के मुकाबले M72 अधिक फुर्तीली, हल्की और बदलते हालातों के अनुसार एकदम फिट है, जिसके चलते यह सुरक्षा बलों के लिए ज्यादा प्रभावी बन जाती है. वहीं, खासकर शहरी ऑपरेशन में SIG-716i को संभालना मुश्किल हो सकता है, जबकि M72 को कंट्रोल और ऑपरेट करने में आसान है.

HK416, FN SCAR, Tavor से कीमत में आधी
Heckler & Koch HK416 जर्मनी, FN SCAR Herstal बेल्जियम) और IWI Tavor इजराइल द्वारा निर्मित सभी विदेशी अलॉल्ट राइफलें हैं, जिनकी कीमत ₹2,00,000 से लेकर ₹2,50,000 प्रति यूनिट है. यह NATO देशों में उपयोग की जाने वाली राइफलें हैं. वहीं इसका वजन 4.5 किग्रा तक होता है और भारत के परिस्थितियों में फिट नहीं बैठने के चलते, इसे ऑपरेट करना मुश्किल होता है.

ये सभी विदेशी राइफलें M72 के मुकाबले बहुत महंगी हैं. इसके रखरखाव का खर्चा भी काफी ज्यादा है, वहीं इसकी खरीदारी पर अतिरिक्त शुल्क देने के चलते, यह भारत के सुरक्षा बलों के लिए किफायती विकल्प नहीं हैं. M72 कम कीमत पर समान क्षमता प्रदान करती है और पूरी तरह 'मेक इन इंडिया' के तहत निर्मित है.

M72 आत्मनिर्भर भारत की नई पहचान
मनोहर M72 केवल एक कार्बाइन नहीं, बल्कि भारत के रक्षा उद्योग के लिए एक बड़ी सफलता है. जिसका नाम भारत के पूर्व रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर के नाम पर रखा गया है. इसे भारतीय सुरक्षा बलों की जरूरतों को ध्यान में रखकर डिजाइन किया गया है, जिससे यह कठिन परिस्थितियों में भी काफी शानदार प्रदर्शन कर सके. इसकी किफायती कीमत और मॉडर्न टेक्नोलॉजी, इसे भारत के सुरक्षा बलों के लिए आइडियल हथियार बनाती है.

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