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MIG-21 यूं ही नहीं है भारत का 'अंडरटेकर' फाइटर जेट, पाकिस्तान को चटा चुका है धूल!

भारत के मिग-21 फाइटर जेट्स से कई मौकों पर देश का सिर गर्व से ऊंचा किया है. बालाकोट एयरस्ट्राइक के समय भी इसी फाइटर जेट ने पाकिस्तान के F-16 को मिग-21 ने ही धूल चटा दी थी.

MIG-21 यूं ही नहीं है भारत का 'अंडरटेकर' फाइटर जेट, पाकिस्तान को चटा चुका है धूल!
  • मिग-21 में छिपी हैं कई खूबियां
  • पाकिस्तान पर पड़ा था ये भारी

नई दिल्ली: भारतीय वायुसेना के बेडे में दुनिया के एक से एक ताकतवर फाइटर जेट शामिल हैं. इन्हीं में से एक है मिग-21, जिसे भारत का 'अंडरटेकर' फाइटर जेट कहना गलत नहीं होगा. ये वही फाइटर जेट है जिनके साथ भारतीय सेना ने 26 फरवरी, 2019 को बालाकोट में जैश के ठिकानों को नष्ट कर दिया था. इस हमले का सामना करने के लिए पाकिस्तान ने अपना F-16 फाइटर जेट उतारा, जो पलभर भी भारत के मिग-21 के सामने नहीं टिक पाया.

कई बार मिर-21 ने किया सिर ऊंचा

मिग-21 ने कई बार अपने कारनामों से भारत का सिर ऊंचा किया है. बता दें कि 1964 की बात है जब भारतीय वायुसेना में मिग-12 को सुपरसोनिक फाइटर जेट के तौर पर शामिल किया गया था. शुरुआत में इन फाइटर जेट्स को रूस ने तैयार किया, जबकि भारत ने इसे असेम्बल करने का अधिकार और तकनीक कर ली, इसके बाद हिन्दुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) ने 1967 में मिग-21 फाइटर जेट का प्रोडक्शन शुरू कर दिया. वहीं, रूस ने 1985 से ही इसका निर्माण करना बंद कर दिया था, दूसरी ओर भारत लगातार इसके अपग्रेड वैरिएंट इस्तेमाल करता जा रहा था.

60 देश करते हैं इस्तेमाल

गौरतलब है कि 1959 में मिग-21 उस समय के सबसे तेज स्पीड से उड़ने वाले हाइपरसोनिक फाइटर जेट्स में से एक था. इसकी स्पीड के कारण ही अमेरिका तक इससे डरता था. यह इकलौता ऐसा फाइटर जेट है इसका इस्तेमाल पूरी दुनिया के लगभग 60 देशों में किया जाता है. 

कई युद्धों में दिया साथ

2019 में हुए बालाकोट एयरस्ट्राइक के अलावा मिग-21 ने पाकिस्तान के साथ 1971 और 1999 में हुए कारगिल युद्ध के दौरान भी अहम भूमिका निभाई थी. मिग-21 बाइसन लड़ाकू विमान मिग-21 का एक अपग्रेडेड वर्जन है. हालांकि, इस वर्जन का इस्तेमाल सिर्फ इंडियन एयरफोर्स में ही किया जाता है. अन्य देश इसके अलग-अलग वैरियंट का ही इस्तेमाल करते हैं. 

मिग-21 की खूबियां

  • मच 2 से ज्यादा की रफ्तार मिग-21 को दुश्मन से बचने और हमले करने के लिए सक्षम बनाती है.  
  • इसके निर्माण और मेंटेनेंस की लागत F-16 या मिग-29 जैसे फाइटर जेट्स से कम थी
  • इसकी मेंटेनेंस काफी आसान है. इसके साधारण डिजाइन की वजह से तकनीशियनों को इसे जल्दी ठीक करने में काफी मदद मिलती थी.  
  • 60 साल से भी ज्यादा समय तक यह विभिन्न देशों की वायु सेनाओं में मिग-21 प्रभावी रहा है. 
  • मिग-21 को समय-समय पर रडार और मिसाइल जैसी नई तकनीकों के साथ अपग्रेड किया जा सका.
  • मिग-21 का हल्का ढांचा इसे छोटे हवाई अड्डों से भी उड़ान भरने लायक बनाता है.

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