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मोतीलाल नेहरू थे देश के सबसे अमीर वकील, लंदन से सिलकर और यूरोप में धुलकर आते थे कपड़े!

Motilal Nehru Jayanti: मोतीलाल नेहरू देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के पिता थे. वे कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी रहे थे. आज 6 मई, 2024 को मोतीलाल नेहरू की जयंती है.

मोतीलाल नेहरू थे देश के सबसे अमीर वकील, लंदन से सिलकर और यूरोप में धुलकर आते थे कपड़े!
  • आज है मोतीलाल नेहरू की जयंती
  •  6 मई, 1861 को हुआ था जन्म

नई दिल्ली: Motilal Nehru Jayanti: आज 6 मई, 2024 को मोतीलाल नेहरू की जयंती है. मोतीलाल नेहरू देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के पिता थे. देश के नामी वकील होने के अलावा मोतीलाल नेहरू स्वतंत्रता सेनानी भी थे. वे कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी रहे. मोतीलाल नेहरू का जन्म 6 मई, 1861 को हुआ था. आइए, जानते हैं कि वे कैसी शख्सियत रहे.

बड़े भाई ने पाला-पोषा
मोतीलाल नेहरू के सिर से माता-पिता का साया जल्दी ही उठ गया था. उनके बड़े भाई नंदलाल नेहरू ने ही उन्हें पाल-पोषकर बड़ा किया. वे आगरा हाई कोर्ट में वकील हुआ करते थे. जैसे ही हाई कोर्ट इलाहबाद शिफ्ट हुआ, नंदलाल भी मोतीलाल को लेकर यहीं आ गए. अपने भाई के मार्ग पर चलते हुए ही मोतीलाल ने वकालत की. कैंब्रिज में वकालत की परीक्षा में मोतीलाल ने टॉप किया था.

अंग्रेज जज भी थे इनके फैन
मोतीलाल ने भारत लौटकर कानपुर में ट्रेनी वकील के तौर पर प्रैक्टिस शुरू की. उस जमाने में देश में गिनती के ही बैरिस्टर थे. भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश पी सद्शिवम ने इंडियन लॉ इंस्टीट्यूट के एक जर्नल में लिखा, 'मोतीलाल नेहरू विलक्षण वकील थे. अपने जमाने के सबसे धनी लोगों में एक थे.अंग्रेज जज भी उनकी बोलने की कला और मुकदमों को पेश करने की खास शैली से प्रभावित थे. शायद इसी कारण उन्हें बेहद जल्दी और असरदार तरीके से सफलता मिली. उस जमाने में किसी भारतीय वकील को ग्रेट ब्रिटेन के प्रिवी काउंसिल में केस लड़ने के लिए शामिल किया जाना दुर्लभ था. लेकिन मोतीलाल इसमें शामिल थे.'

पहली फीस केवल 5 रुपये
सद्शिवम लिखते हैं, 'मोतीलाल नेहरू को पहले केस के लिए मात्र पांच रुपये की फीस मिली थी. लेकिन फिर वे लगातार आगे बढ़ते रहे. उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा.' यही कारण है कि बाद में मोतीलाल एक-एक हियरिंग के हजारों रुपये लेने लगे थे. उनके पास बड़े-बड़े जमींदारों और राजे-महाराजों के जमीन से जुड़े मुकदमे आते थे. वे देश के सबसे महंगे और अमीर वकील बन चुके थे.

जिरह सुनने के लिए लोगों की भीड़ लग जाती थी
सद्शिवम ने लिखा कि जब मोतीलाल नेहरू प्रैक्टिस किया करते थे, तब सर जॉन एज इलाहाबाद में चीफ जस्टिस थे. वे मोतीलाल को काबिल बैरिस्टर मानते थे. जब भी मोतीलाल जिरह करने आते, उन्हें सुनने के लिए लोगों की भीड़ लग जाती थी.

लंदन से सिलकर और यूरोप में धुलकर आते थे कपड़े
मोतीलाल नेहरू रईस हो गए थे. कहा जाता है कि उनके कपड़े भी लंदन से सिलकर आते थे. कुछ खास कपड़ों की धुलाई यूरोप में होती थी. मोतीलाल नेहरू की छोटी बेटी कृष्णा अपनी आत्मकथा लिखती हैं, 'जब भारत में पाश्चात्य तौर-तरीकों के बारे में सोचा भी नहीं जाता था, तब हमारा परिवार तब पाश्चात्य तरीके से रहता था. डायनिंग टेबल पर महंगी क्राकरीज और छूरी-कांटे हुआ करते हे.' तब मोतीलाल नेहरू के घर में अंग्रेज आया काम किया करती थीं.

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