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Explainer: एक देश एक चुनाव महज सपना या बनेगा हकीकत? नंबर गेम समझा देगा पूरी बात

 One Nation One Election:  लोकसभा में वन नेशन वन इलेक्शन बिल पेश हुआ. भाजपा ने फिलहाल इसे पेश किया है', अब ये JPC में भेजा जाएगा. इसके बाद इस बिल को साल 2026 में फिर से पेश किया जा सकता है. चलिए, समझते हैं कि NDA के लिए इसे पास कराना मुश्किल क्यों है.

Explainer: एक देश एक चुनाव महज सपना या बनेगा हकीकत? नंबर गेम समझा देगा पूरी बात
  • लोकसभा में पेश हुआ बिल
  • NDA के पास नहीं दो तिहाई बहुमत

नई दिल्ली: One Nation One Election: लोकसभा में वन नेशन वन इलेक्शन का बिल पेश हुआ, जिसे JPC भेजा जाएगा. कांग्रेस समेत ज्यादातर प्रमुख विपक्षी दलों ने इसकी खिलाफत की है. कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने दावा किया है कि भले ही सरकार ने बिल को लोकसभा में पेश किया, लेकिन इसे पास कराने लिए सरकार के पास दो-तिहाई बहुमत नहीं है. अब सवाल ये उठता है कि शशि थरूर के दावे में कितना दम है. चलिए, जानते हैं...

लोकसभा में पड़े इतने वोट
दरअसल, मंगलवार को लोकसभा में वन नेशन वन इलेक्शन के बिल पर वोटिंग ही. पहले EVM में वोटिंग हुई, इसके बार पर्ची से वोट पड़े. इनमें सत्ताधारी गठबंधन दो तिहाई बहुमत हासिल नहीं कर पाया. अंत में बिल के पक्ष में 269 और विपक्ष में 198 वोट पड़े. भाजपा को इस बिल को पास कराने के लिए दो तिहाई बहुमत की आवश्यकता पड़ेगी.

अब JPC जाएगा बिल
अब बिल संयुक्त संसदीय समिति (JPC) चला जाएगा. खुद गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि जब मंत्रिमंडल में इसकी चर्चा हुई, तब PM मोदी ने इसे JPC भेजने की मंशा जाहिर की थी. विपक्षी दलों ने भी बिल को JPC में भेजने की मांग की. JPC में लोकसभा में 21 और राज्यसभा के 10 सदस्य होंगे. जिस दल के पास सबसे अधिक सांसद हैं, कमेटी में उसके सदस्य अधिक रहेंगे. यानी भाजपा के सदस्य इस समिति में बहुमत में होंगे. 

बिल पास होगा या नहीं?
JPC में बिल को अंतिम रूप देने में 2025 का पूरा साल लग सकता है. यदि ऐसा होता है तो बिल एक बार फिर 2026 में पेश किया जाएगा. तब तक भाजपा को समर्थन जुटाना होगा. कांग्रेस का दावा है कि फिलहाल की संख्या के हिसाब से भाजपा को बिल पास कराने के लिए कांग्रेस ने कहा कि इस विधेयक को पास करने के लिए 307 सदस्यों के समर्थन की जरूरत थी. इसी तरह राज्यसभा में भी इसे पास कराने के लिए NDA को कुल 167 वोट चाहिए, फिलहाल उनके पास 121 ही हैं. अब 2026 में इसे पास कराने के लिए भी भाजपा को दो-तिहाई बहुमत ही चाहिए होगा, जिसे प्राप्त चुनौती से कम नहीं.

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