Pahalgam Terror Attack: भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव चरम पर है और ऐसे में चीन की तरफ से कोई भी प्रतिक्रिया नहीं आई. जैसे ही ये जाहिर है कि पाकिस्तान का चीन सहयोगी है तो वो अब तक कहां है? समाचार एजेंसी पीटीआई ने 27 अप्रैल को एक पूर्व भारतीय सेना कमांडर के हवाले से कहा कि हाल ही में पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच चल रहे गतिरोध में चीन के शामिल होने की संभावना नहीं है.
लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) राणा प्रताप कलिता ने समाचार एजेंसी को दिए साक्षात्कार में बताया कि इस समय चीन की कार्रवाइयां मौजूदा भू-राजनीतिक गतिशीलता और टैरिफ-संबंधी पेचीदगियों से काफी प्रभावित होंगी.
पूर्व सैनिक ने कहा कि पाकिस्तान के साथ चीन का गठबंधन अच्छी तरह से स्थापित है. कलिता ने कहा, '2020 में गलवान की घटना के बाद, दोनों देशों के बीच व्यापक चर्चा और परामर्श के कारण शेष घर्षण बिंदुओं पर गतिरोध का समाधान हो गया.'
कलिता ने कहा कि विवाद के अंतिम क्षेत्रों पर काम हो रहा है और बातचीत के जरिए सुलझाया जा रहा है और द्विपक्षीय संबंधों ने गति पकड़ी है, जिसमें सीधी उड़ानें शुरू करने और कैलाश मानसरोवर यात्रा को फिर से शुरू करने पर चर्चा शामिल है.
उन्होंने भारत और चीन दोनों पर अमेरिका द्वारा लगाए गए बढ़े हुए व्यापार शुल्क के प्रभाव पर भी प्रकाश डाला और बताया कि यह स्थिति वैश्विक अर्थव्यवस्था को भी प्रभावित करती है.
उन्होंने बताया कि चूंकि दोनों देश विनिर्माण और उपभोग में महत्वपूर्ण खिलाड़ी हैं, इसलिए टैरिफ में बदलाव का स्पष्ट प्रभाव पड़ेगा.
चीन मुश्किल ही शामिल दिखेगा
पूर्व सेना कमांडर ने टिप्पणी की, 'भू-राजनीतिक घटनाक्रमों के साथ-साथ इन जटिलताओं को देखते हुए, यह पूर्वानुमान लगाना चुनौतीपूर्ण है कि पहलगाम की घटना से उत्पन्न अस्थिरता के संबंध में चीन की ओर से कोई प्रत्यक्ष भागीदारी होगी या नहीं. हालांकि, इस समय, मुझे उनकी प्रत्यक्ष भागीदारी की उम्मीद नहीं है.'
उन्होंने पाकिस्तान के साथ समुद्र में उसकी कमजोर पकड़ को भी रेखांकित किया. वहीं, चीन के लिए अरब सागर तक पहुंच के महत्व पर जोर दिया.
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