Pakistan drone network into India: ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारतीय क्षेत्र में घुसपैठ करने वाले ड्रोनों में कुछ कमी आई थी. हालांकि, पंजाब में हाल ही में ड्रोन देखे जाने से सुरक्षा एजेंसियां एक बार फिर सतर्क हो गई हैं. हालांकि, इस बार समस्या यह है कि ये ड्रोन पहले भेजे जा रहे ड्रोनों से अलग और कहीं अधिक सक्षम हैं. ये अधिक ऊंचाई पर उड़ते हैं और भारतीय क्षेत्र में और भी गहराई तक घुसने में सक्षम हैं.
हाल ही में, सीमा सुरक्षा बल (BSF) ने पंजाब के अमृतसर जिले में अंतर्राष्ट्रीय सीमा के पास छह पाकिस्तानी ड्रोनों को रोककर तीन पिस्तौल और एक किलोग्राम से अधिक हेरोइन जब्त की. तीन पिस्तौल वाले चार पैकेट और 1.070 किलोग्राम हेरोइन वाला एक पैकेट जब्त किया गया.
BSF ने एक बयान में कहा, 'विश्वसनीय जानकारी और गहन निरीक्षण के बाद सैनिकों की त्वरित कार्रवाई ने एक बार पाकिस्तान स्थित तस्करों द्वारा पंजाब में ड्रग्स और हथियार पहुंचाने के प्रयासों को विफल कर दिया था.'
पाकिस्तान की एडवांस साजिश
जहां अब पाकिस्तान से तस्कर खेप भेजने के लिए पूरी ताकत लगा देंगे. पुलवामा हमले का बदला लेने के लिए भारत द्वारा की गई कार्रवाई के कुछ महीनों बाद तक ये तस्कर पीछे हट गए थे. हालांकि, अब वे ज्यादा आधुनिक ड्रोन के साथ पूरी ताकत से वापस आ गए हैं.
ये ड्रोन भारत में उतरने से पहले ज्यादा ऊंचाई पर उड़ान भरने में सक्षम हैं. ये सीधा रास्ता नहीं अपनाते, बल्कि टेढ़े-मेढ़े रास्ते से उड़ते हैं ताकि इनका पता न चल सके. तस्कर यह भी सुनिश्चित करते हैं कि माल पहुंचाने के बाद ये भारतीय जमीन पर गिर जाए, ताकि डेटा प्राप्त करना मुश्किल हो जाए.
चीन के ड्रोन
तस्कर एडवांस चीन द्वारा बनाए गए ड्रोन का इस्तेमाल कर रहे हैं, जिससे इनका पता लगाना मुश्किल हो गया है. भारत ड्रोन की जानकारी को वास्तविक समय में ट्रैक करने में सक्षम और अधिक इंटरसेप्टर तैनात करने की योजना बना रहा है. ऐसा इसलिए क्योंकि ज्यादातर जगहों पर मौजूदा तंत्र सिर्फ आवाज और दृश्य पहचान के जरिए ड्रोन का पता लगाने तक ही सीमित है.
इस समस्या को और बढ़ाते हुए ISI आतंकवादी समूहों को घुसपैठ में मदद के लिए ड्रोन तकनीक का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल करने के लिए प्रोत्साहित कर रहा है. घुसपैठ की कोशिशों के दौरान, स्थिति के आधार पर वास्तविक समय में आकलन करने में मदद के लिए ड्रोन का इस्तेमाल किया जा रहा है. इसके अलावा, इन ड्रोनों का इस्तेमाल घुसपैठ के समय किसी भी खतरे की जानकारी हासिल करने के लिए भी किया जा रहा है.
यह जानकारी ISI के लिए भारतीय सुरक्षाकर्मियों से बचने और निर्बाध घुसपैठ सुनिश्चित करने में काम आती है. ISI ने इस तकनीक का दायरा बढ़ाया है क्योंकि उसे पता है कि ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारतीय सशस्त्र बल बेहद हाई अलर्ट पर हैं.
आतंकवादी समूहों में भर्ती
ऑपरेशन सिंदूर के दौरान, जैश-ए-मुहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा ने अपने कई कैडर खो दिए थे. इसलिए, जून में आईएसआई के साथ हुई एक हालिया बैठक में, इन आतंकवादी समूहों ने न केवल भर्ती बढ़ाने का, बल्कि घुसपैठ को भी बढ़ाने का फैसला किया.
मौजूदा स्थिति में पाकिस्तान से आतंकवादी समूहों के लिए भारतीय क्षेत्र में घुसपैठ करना असंभव हो रहा है. अत्यधिक हाई अलर्ट के कारण, घुसपैठ असंभव है और इसलिए, भारत में घुसपैठ के लिए अत्याधुनिक ड्रोन तकनीक के इस्तेमाल पर अत्यधिक निर्भरता है.
भारतीय सुरक्षा एजेंसियों के लिए यह एक चुनौती बनी रहेगी, क्योंकि जम्मू-कश्मीर तथा पंजाब दोनों स्थानों पर पाकिस्तान के साथ इसकी सीमा लगती है.
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