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भारत की सबसे खुशनुमा जेल, जहां कैदियों को मिलती है मोटी तनख्वाह; करते हैं ये काम

भारत की एक अनोखी जेल में कैदियों को खेती करने का मौका मिलता है, जिसके लिए उन्हें वेतन भी दिया जाता है. यहां ऑर्गेनिक फसलें भी उगाई जाती हैं.

भारत की सबसे खुशनुमा जेल, जहां कैदियों को मिलती है मोटी तनख्वाह; करते हैं ये काम
  • जेल में ही सीखते हैं कई नए काम
  • इन कामों से होती है मोटी कमाई

हम सबको लगता है कि जेल की जिंदगी सिर्फ सजा भुगतने तक ही सीमित होती है. लेकिन एक ऐसी जेल भी है, जहां कैदियों को न सिर्फ प्राकृतिक माहौल में रहने का मौका मिलता है, बल्कि वो खेती भी करते हैं और उन्हें इसके लिए सैलरी भी मिलती है. इस जेल में सुधार और रिहैबिलिटेशन पर जोर दिया जाता है. चलिए, जानते हैं इस अनोखी जेल के बारे में.

कैदियों के लिए है खास व्यवस्था
इस जेल में कैदियों के साथ होने वाला व्यवहार काफी अलग है. यहां कैदियों को सजा काटने के साथ-साथ खेती करने का मौका दिया जाता है. वो सब्जियां, फल और अनाज उगाते हैं, जिसका इस्तेमाल जेल के भोजन में होता है. सबसे खास बात ये है कि इस काम के लिए उन्हें मेहनताना भी दिया जाता है, जिससे उन्हें रिहा होने के बाद आत्मनिर्भर बनने में मदद मिलती है.

पुडुचेरी की केंद्रीय जेल
ये पुडुचेरी की सेंट्रल जेल है, जिसे एक मॉडल जेल के तौर पर देखा जाता है. यहां के कैदियों को न सिर्फ खेती का प्रशिक्षण दिया जाता है, बल्कि उन्हें योगा और स्किल डेवलपमेंट की क्लासेस भी दी जाती हैं. इससे वो जेल में रहते हुए भी नई चीजें सीख पाते हैं.

जेल में ही बनता है ऑर्गेनिक खाना
इस जेल की एक और खास बात ये है कि यहां उगाई गई सब्जियां और फल पूरी तरह ऑर्गेनिक होते हैं. कैदी केमिकल-फ्री खेती करते हैं, जिससे उन्हें सेहतमंद भोजन मिलता है. साथ ही, जेल प्रशासन इस उपज को बाजार में बेचकर जो पैसा कमाता है, उसका एक हिस्सा कैदियों को दिया जाता है. इस तरह, वो न सिर्फ अपने लिए कमाते हैं, बल्कि जेल के खर्चे में भी योगदान देते हैं.

कैदियों के लिए है सुधार का मौका
प्रशासन का मानना है कि जेल सिर्फ सजा भुगतने के लिए नहीं होती, बल्कि इंसान को सुधरने का मौका भी मिलना चाहिए. इसीलिए यहां कैदियों को पढ़ाई, स्पोर्ट्स और हुनर सीखने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है. कई कैदी जेल से रिहा होने के बाद खेती या दूसरे कामों में लग जाते हैं और एक नई जिंदगी शुरू करते हैं.

क्या दूसरी जेलों को भी अपनानी चाहिए ये व्यवस्था?
पुडुचेरी की इस जेल को देखकर सवाल उठता है कि क्या दूसरी जेलों को भी ऐसी ही व्यवस्था अपनानी चाहिए? क्योंकि यहां कैदी सिर्फ वक्त नहीं काटते, बल्कि अपने भविष्य के लिए कुछ सीखते हैं. अगर दूसरी जेलें भी इस मॉडल को फॉलो करें, तो शायद कैदियों के सुधार की दर और बेहतर हो सकती है.

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