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अब 'पुष्पा' गिराएगा आसमान में दुश्मनों का ड्रोन, क्या आपने सुना है भारत के एकमात्र पक्षी दस्ते के बारे में?

Pushpa joins India's garuda squad: यह पक्षी दस्ता पहली बार 2019 में अस्तित्व में आया. अब यह पांच सदस्यीय दस्ता बन गया है. इसमें चील भी शामिल हैं. इनसे ये फायदा है कि रेडियो फ्रीक्वेंसी जैमर की तैनाती के बिना भी यह सार्वजनिक स्थानों पर वीआईपी और वीवीआईपी को हवाई सुरक्षा दे सकते हैं.

अब 'पुष्पा' गिराएगा आसमान में दुश्मनों का ड्रोन, क्या आपने सुना है भारत के एकमात्र पक्षी दस्ते के बारे में?

India's only avian drone hunting squadron: पक्षी के रूप में एक ऐसा हथियार मिला है, जो दुश्मनों के ड्रोन पर सीधा वार करेगा. तेलंगाना पुलिस की खुफिया और सुरक्षा विंग (ISW) में एक नया सदस्य शामिल हुआ है. इसका नाम पुष्पा है. लेकिन यह सिल्वर स्क्रीन वाला पुष्पा नहीं, बल्कि एक राजसी बोनेली ईगल है जो आसमान में उड़ते हुए ड्रोन का शिकार करेगा. पुष्पा, एम्बुश, मिसाइल, पृथ्वी और एक अन्य पक्षी के साथ मिलकर गरुड़ स्क्वाड का हिस्सा बन गया है. यह स्क्वाड भारत का एकमात्र ऐसा एवियन स्क्वाड है, जो ड्रोन (मानव रहित विमान) का शिकार करता है.

यह पक्षी दस्ता पहली बार 2019 में अस्तित्व में आया. अब यह पांच सदस्यीय दस्ता बन गया है. इसमें चील भी शामिल हैं. इनसे ये फायदा है कि रेडियो फ्रीक्वेंसी जैमर की तैनाती के बिना भी यह सार्वजनिक स्थानों पर वीआईपी और वीवीआईपी को हवाई सुरक्षा दे सकते हैं. सुरक्षा यानी वे ऐसे प्रशिक्षित किए गए हैं कि जिससे वे अच्छे से निगरानी कर सकें और अलर्ट करें.

एवियन दस्ते ने अपना पहला शो 28 फरवरी को रंगारेड्डी जिले के शहर के बाहरी इलाके मोइनाबाद में एकीकृत खुफिया प्रशिक्षण अकादमी (IITA) में पुलिस कुत्तों की पासिंग आउट परेड में किया.

IITA के एक अधिकारी ने कहा, 'पक्षियों का उपयोग एंटी-ड्रोन कवर प्रदान करने का एक अनूठा तरीका है, जिससे वीआईपी अपने इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों, जैसे फोन का उपयोग महत्वपूर्ण कॉल करने या संदेश भेजने के लिए कर सकते हैं. हालांकि इसकी अवधारणा छह साल पहले की गई थी, लेकिन उनकी परिचालन क्षमताओं की जांच करने के लिए उन्हें पोषित करने, प्रशिक्षित करने और हमारी सीमाओं में तैनात करने में समय लगा.' मुख्यधारा के तरीकों में रेडियो आवृत्ति (आरएफ) जैमर, उच्च शक्ति वाले माइक्रोवेव पल्स और जीपीएस स्पूफिंग उपकरण शामिल हैं.

चील सीधे शिकार पर हमला करेंगे
अधिकारी ने कहा, 'ये उपकरण ड्रोन के संचार और नेविगेशन सिस्टम में हस्तक्षेप करके उन्हें निष्क्रिय कर देते हैं, जबकि चील सीधे शिकार पर हमला करते हैं.' ड्रोन विरोधी पक्षियों के पंजों में विशेष जाल लगे होते हैं और जब वे शिकार (ड्रोन) के पास पहुंचते हैं, तो उसके रोटर उनमें फंस जाते हैं और निष्क्रिय हो जाते हैं. जैसे ही हैंडलर उन्हें वापस बुलाता है, पक्षी सीधे उनके पास पहुंच जाता है और ड्रोन को ले आता है.

फ्रांस और पश्चिम एशिया के देशों में रुचि
IITA के अधिकारियों के अनुसार, एवियन स्क्वाड घरेलू और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बहुत ध्यान आकर्षित कर रहा है. फ्रांस और पश्चिम एशिया के देशों ने भी इस तकनीक में रुचि दिखाई है. उन्होंने कहा, 'हमें अपने पक्षियों के बारे में पूछताछ के लिए कई कॉल आए. कई लोगों ने हमारी ट्रेनिंग के बारे में भी पूछताछ की.' अधिकारी ने कहा कि भारत में केंद्रीय पुलिस बलों, राज्य पुलिस और यहां तक ​​कि प्रमुख राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (NSG) में भी रुचि बहुत अधिक है.

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