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भारत के दौरे पर आ रहे पुतिन देंगे 'समंदर का दैत्य', ट्रंप-ड्रैगन को ठेंगा दिखाकर सौंपेंगे ये 'जानलेवा' हथियार; बौराई दुनिया

Akula Class Nuclear submarine: भारतीय नौसेना की समुद्री शक्ति को एक बड़ी मजबूती मिलने वाली है. रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के सितंबर 2025 में भारत दौरे के दौरान एक खास हथियार मिलने की चर्चा जोरों पर है.

भारत के दौरे पर आ रहे पुतिन देंगे 'समंदर का दैत्य', ट्रंप-ड्रैगन को ठेंगा दिखाकर सौंपेंगे ये 'जानलेवा' हथियार; बौराई दुनिया
  • सितंबर 2025 में भारत के दौरे पर होंगे पुतिन
  • अकुला क्लास न्यूक्लियर सबमरीन का ऑफर

Putin India visit 2025: दुनिया की राजनीतिक समीकरण तेजी से बदल रहे हैं. कौन किसके पाले में है? किसी एक बयान से तय नहीं किया जा सकता है. हाल ही में भारत-रूस के दोस्ताना रिश्ते व मजबूत व्यापारिक रिश्ते से बौखलाए ट्रंप ने कई उटपटांग बयान दिए. इतना ही नहीं, भारत पर 25% टैरिफ लगाने तक का एलान कर दिया. हालांकि, भारत ने तथ्यों के साथ जबरदस्त पलटवार किया और बताया कि भारत से ज्यादा तो यूरोपीय देशों ने रूस से व्यापार किया है. यहां तक कि अमेरिका खुद कई मैटेरियल रूस से इम्पोर्ट करता है. इसी बीच, पुतिन के भारत दौरे पर आने की खबर है, जिसमें एक खास समुद्री हथियार की चर्चा तेज है. आइए जानते हैं क्या है ये, जिसे समंदर का दैत्य कहा जा रहा है.

INS Chakra III की देरी और रूस का नया प्रस्ताव
रिपोर्ट के मुताबिक, भारत ने 2019 में रूस के साथ एक Akula क्लास पनडुब्बी को 10 साल के लिए 3 बिलियन डॉलर की लागत पर लीज पर लेने का समझौता किया था. यह पनडुब्बी 2025 तक भारतीय नौसेना में शामिल होने वाली थी, लेकिन रूस-यूक्रेन युद्ध और पश्चिमी देशों द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों के कारण इसकी डिलीवरी अब 2028 तक टल गई है.

इस देरी से भारतीय नौसेना के पास 2021 में INS Chakra II के वापस लौटने के बाद से परमाणु पनडुब्बियों का एक खालीपन पैदा हो गया है. इसी खालीपन को भरने के लिए रूस एक और Akula क्लास पनडुब्बी देने का प्रस्ताव कर सकता है.

रूस क्यों दे रहा है एक और Akula क्लास पनडुब्बी?
रूस का यह प्रस्ताव सिर्फ एक रक्षा सौदा नहीं, बल्कि दोनों देशों के बीच गहरे रणनीतिक संबंधों को भी बताता है. यह न केवल नौसेना की ऑपरेशनल क्षमताओं को बढ़ाएगी, बल्कि यह भारत के स्वदेशी परमाणु पनडुब्बी कार्यक्रम के लिए भी एक ट्रेनिंग प्लेटफॉर्म का काम करेगी.

भारतीय नौसेना के पास पहले ही अपने दो स्वदेशी SSN (Project-77 के तहत) विकसित करने की योजना है, जिसके ट्रायल 2032 तक शुरू होने की उम्मीद है. ऐसे में, रूसी पनडुब्बी से भारतीय नौसैनिकों को परमाणु पनडुब्बी संचालन का बेहतरीन एक्सपीरिएंस मिलेगा.

Akula क्यों है यह भारत के लिए खास?
Akula क्लास पनडुब्बियां दुनिया की सबसे एडवांस और घातक परमाणु हमलावर पनडुब्बियों में से एक मानी जाती हैं. इसकी सबसे बड़ी खासियत है कि यह पनडुब्बी परमाणु रिएक्टर से चलती है, जिससे यह लगभग असीमित समय तक पानी के भीतर रह सकती है. इसे ईंधन भरने के लिए सतह पर आने की जरूरत नहीं होती.

इतना ही नहीं, अपनी दोहरी हल डिजाइन और शोर को कम करने वाली टेक्नोलॉजी के चलते, Akula पनडुब्बियां बेहद शांत होती हैं, जिससे दुश्मन के लिए उनका पता लगाना बहुत मुश्किल होता है. यही वजह है कि इसे दुनिया 'समंदर का दैत्य' या 'साइलेंट हंटर किलर' के तौर पर जानती है.

गौरतलब है कि यह पनडुब्बी सिर्फ टॉरपीडो तक सीमित नहीं है. यह लंबी दूरी की क्रूज मिसाइलें भी ले जा सकती है, जैसे कि 1,500 किलोमीटर रेंज वाली Kalibr मिसाइलें. यह क्षमता पनडुब्बी को दुश्मन के जहाजों और जमीन पर स्थित ठिकानों को भी निशाना बनाने में सक्षम बनाती है.

ट्रंप-चीन को सीधा जवाब
इस समझौते का सबसे बड़ा रणनीतिक महत्व हिंद महासागर क्षेत्र में है. चीन लगातार इस क्षेत्र में अपनी नौसैनिक उपस्थिति बढ़ा रहा है, जिसमें परमाणु पनडुब्बियां भी शामिल हैं. ऐसे में, भारत को भी अपनी नौसेना को मजबूत करना बेहद जरूरी है. एक और Akula क्लास पनडुब्बी के आने से भारत की पनडुब्बी शक्ति में तेजी से इजाफा होगा.

साथ ही, ट्रंप के बेतुके बयान को नजरअंदाज करते हुए भारत-रूस की दोस्ती को एक नई मजबूती मिलेगी. ऐसे में, भारत-रूस की नई ताकत को देखते हुए दुनिया भर की ताकत बौखलाई हुई है.

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