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भारतीय सेना के 5 सबसे सफल मिशन कौन से हैं? जब विदेशों में भी गूंजा वन्दे मातरम् का नारा

भारतीय सेना ने हमेशा साहस और रणनीति के साथ देश की रक्षा की है. चाहे चुनौती सीमाओं पर हो या विदेश में, हमारे सैनिकों ने हर बार अपनी जिम्मेदारी निभाई है. उनकी कुशलता, मेहनत और समर्पण ने ना सिर्फ दुश्मनों को पीछे हटाया, बल्कि देश का सम्मान भी बढ़ाया है.

भारतीय सेना के 5 सबसे सफल मिशन कौन से हैं? जब विदेशों में भी गूंजा वन्दे मातरम् का नारा
  • हर मिशन में दिखा भारतीय सेना का पराक्रम
  • दुश्मनों को हर बार मिली करारी हार

भारतीय सेना सिर्फ एक फौज नहीं, बल्कि देश के लिए मर मिटने का एक जज्बा है. चाहे दुश्मन सीमा पार से हो या आतंक देश के भीतर से, भारतीय सेना ने हमेशा बहादुरी और रणनीति से जीत हासिल की है. कई ऐसे सैन्य ऑपरेशन हुए हैं, जिन्होंने भारत की सुरक्षा को मजबूती दी और दुनिया को ये दिखा दिया कि भारत अपने नागरिकों और सीमाओं की रक्षा के लिए हर हद तक जा सकता है. आइए जानते हैं भारतीय सेना के 5 सबसे सफल और ऐतिहासिक मिशनों के बारे में.

ऑपरेशन विजय 
कारगिल युद्ध भारतीय सेना के इतिहास में सबसे चुनौतीपूर्ण और गौरवशाली लड़ाइयों में से एक रहा. मई 1999 में पाकिस्तान के सैनिकों और आतंकियों ने चुपचाप कारगिल की पहाड़ियों पर कब्जा कर लिया. इसके जवाब में भारतीय सेना ने 'ऑपरेशन विजय' शुरू किया. लगभग 60 दिनों तक चले इस युद्ध में भारतीय जवानों ने दुश्मन को पीछे खदेड़ दिया और हर एक पोस्ट को फिर से अपने नियंत्रण में लिया. इस मिशन ने देश को कैप्टन विक्रम बत्रा जैसे वीर योद्धा दिए, जिन्होंने 'ये दिल मांगे मोर' कहते हुए देश के लिए शहीद हो गए.

ऑपरेशन मेघदूत 
सियाचिन ग्लेशियर को दुनिया का सबसे ऊंचा युद्धक्षेत्र कहा जाता है. पाकिस्तान वहां कब्जा करने की योजना बना रहा था, लेकिन भारतीय खुफिया एजेंसियों को इसकी भनक लग गई. इसके बाद 13 अप्रैल 1984 को भारतीय सेना ने 'ऑपरेशन मेघदूत' शुरू किया. माइनस 50 डिग्री सेल्सियस जैसे कठोर हालातों में भारतीय जवानों ने पाकिस्तान से पहले सियाचिन पर कब्जा कर लिया और आज भी वहां डटे हुए हैं. यह मिशन रणनीतिक रूप से बेहद अहम साबित हुआ.

ऑपरेशन कैक्टस
1988 में मालदीव में तख्तापलट की कोशिश की गई थी. वहां के राष्ट्रपति मौमून अब्दुल गयूम ने भारत से मदद मांगी. सिर्फ कुछ घंटों में भारतीय सेना के पैरा-कमांडो मालदीव पहुंचे और तख्तापलट की कोशिश को नाकाम कर दिया. इस मिशन को 'ऑपरेशन कैक्टस' नाम दिया गया. यह दुनिया के सामने भारत की तेजी, क्षमता और कूटनीति का प्रमाण बन गया.

ऑपरेशन पवन
श्रीलंका में लिट्टे (LTTE) नाम का संगठन हिंसा फैला रहा था. भारत सरकार ने इंडियन पीस कीपिंग फोर्स (IPKF) के तहत 'ऑपरेशन पवन' शुरू किया. इस मिशन का मकसद था लिट्टे के कब्जे वाले इलाकों को खाली कराना. हालांकि, यह मिशन काफी जटिल और लंबा चला, फिर भी भारतीय सेना ने बड़ी संख्या में लिट्टे के ठिकाने ध्वस्त किए और श्रीलंका में शांति स्थापित करने की कोशिश की.

ऑपरेशन राइनो और ऑपरेशन राइनो
उत्तर-पूर्व भारत के कई हिस्सों में उग्रवादी संगठन सक्रिय थे, खासकर असम में ULFA नामक संगठन. सरकार ने इसे खत्म करने के लिए दो बड़े सैन्य अभियान चलाए, 'ऑपरेशन बजरंग' (1990) और 'ऑपरेशन राइनो' (1991). इन अभियानों में भारतीय सेना ने कई उग्रवादियों को पकड़कर उनका नेटवर्क कमजोर किया. इससे क्षेत्र में शांति बहाल करने में काफी मदद मिली.

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