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PAK दहला, बढ़ी BrahMos की चमक...सऊदी अरब समेत ये देश खरीदना चाहते हैं भारत का मिसाइल सिस्टम

BrahMos cruise missiles Buyers: ऑपरेशन सिंदूर ने ब्रह्मोस मिसाइल सिस्टम को चर्चा में ला दिया है. भारतीय सेना ने पाकिस्तान पर हमले के दौरान क्रूज मिसाइल का बहुत बढ़िया इस्तेमाल किया. पहली बार इसका इस्तेमाल युद्ध में किया गया है. भारत ने जनवरी 2022 में फिलीपींस के साथ ब्रह्मोस क्रूज मिसाइल के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किए. अब, 15 अन्य देश भी इस मिसाइल पर नजर रखे हुए हैं.

PAK दहला, बढ़ी BrahMos की चमक...सऊदी अरब समेत ये देश खरीदना चाहते हैं भारत का मिसाइल सिस्टम

BrahMos Missile System: ऑपरेशन सिंदूर ने ब्रह्मोस मिसाइल प्रणाली को सुर्खियों में ला दिया है. भारतीय सेना ने पाकिस्तान पर अपने हमलों के दौरान क्रूज मिसाइल का बहुत प्रभावी ढंग से इस्तेमाल किया. ऐसा पहली बार था कि इसका इस्तेमाल किसी युद्ध के दौरान किया गया हो. हालांकि भारत ने आधिकारिक तौर पर इसके इस्तेमाल की पुष्टि नहीं की है, लेकिन पाकिस्तान ने स्वीकार किया है कि उसपर ब्रह्मोस दागी गई.

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने रविवार को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के साथ लखनऊ में नई ब्रह्मोस मिसाइल सुविधा के उद्घाटन में भाग लिया.

आइए जानते हैं कि किस तरह से अन्य देश क्रूज मिसाइल खरीदने के लिए कतार में लगे हुए हैं?

फिलीपींस
भारत ने पहले फिलीपींस के साथ ब्रह्मोस क्रूज मिसाइलों के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किए थे. बताया गया कि यह ऐतिहासिक सौदा भारत का पहला प्रमुख रक्षा निर्यात है, जिसे जनवरी 2022 में अनुमानित 375 मिलियन डॉलर में हस्ताक्षरित किया गया था.

इस समझौते के तहत भारत को फिलीपींस को तीन तटीय क्षेत्र की रक्षा के लिए बैटरियां भेजनी हैं. पहली बैटरी अप्रैल 2024 में डिलीवर की गई, जबकि दूसरी अप्रैल 2025 में भेजी जानी थी.जहां भारत ने अप्रैल 2025 में फिलीपींस को ब्रह्मोस क्रूज मिसाइलों की दूसरी बैटरी भी भेज दी.

इंडोनेशिया
ET की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत इस साल की शुरुआत में इंडोनेशिया को भी ब्रह्मोस मिसाइल बेचने पर भी विचार कर रहा था.यह सौदा करीब 450 मिलियन डॉलर का है और इस पर पिछले एक दशक से बातचीत चल रही है.

मामले से अवगत लोगों ने अखबार को बताया कि देश मिसाइल की फाइनेंसिंग पर काम कर रहा है. न्यूज18 के अनुसार, इंडोनेशिया क्रूज मिसाइल का एडवांस वर्जन चाहता है.

वियतनाम, मलेशिया और अन्य
वियतनाम अपनी सेना और नौसेना के लिए ब्रह्मोस मिसाइल चाहता है. भारत के साथ यह सौदा 700 मिलियन डॉलर का होने का अनुमान है.

मलेशिया अपने सुखोई Su-30MKM लड़ाकू विमानों और Kedah श्रेणी के युद्धपोतों के लिए ब्रह्मोस मिसाइलों पर नजर गड़ाए हुए है.

थाईलैंड, सिंगापुर, ब्रुनेई, ब्राजील, चिली, अर्जेंटीना, वेनेजुएला, मिस्र, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात (यूएई), कतर, ओमान ने भी ब्रह्मोस मिसाइल में अलग-अलग प्रकार से रुचि व्यक्त की है.

विशेषज्ञ क्या कहते हैं?
वे कहते हैं कि क्षेत्र के कई देश दक्षिण चीन सागर में चीन की बढ़ती सैन्य आक्रामकता को देखते हुए ब्रह्मोस मिसाइल खरीदने पर विचार कर रहे हैं.

ब्रिटेन में एबरिस्टविथ विश्वविद्यालय के अंतरराष्ट्रीय संबंध और इंडोनेशियाई राजनीति विशेषज्ञ अहमद रिजकी उमर ने SCMP  को बताया कि फिलीपींस के लिए ऐसा करना तार्किक है.

उमर ने कहा, 'मुझे लगता है कि इंडोनेशिया के राष्ट्रपति प्रबोवो सुबियांटो की भी ऐसी ही रुचि है, क्योंकि इंडोनेशिया, फिलीपींस की तरह, समुद्री क्षेत्रों को [अन्य देशों के साथ] साझा करता है, इसलिए यह न केवल दक्षिण चीन सागर में बल्कि हिंद महासागर में भी किसी भी खतरे के प्रति बहुत संवेदनशील होगा.' 'इंडोनेशिया भविष्य में किसी भी संघर्ष की आशंका को देखते हुए एहतियात बरत रहा है, जो इसकी समुद्री क्षेत्रीय अखंडता को कमजोर कर सकता है.'

सेमर सेंटिनल इंडोनेशिया की शोध समन्वयक और प्रबंधक अनास्तासिया फेबियोला ने आउटलेट को बताया कि ऐसा कोई भी सौदा इंडोनेशिया के लिए महत्वपूर्ण होगा. 'यह पश्चिमी देशों के प्रति इंडोनेशिया की स्थिति को भी संतुलित करता है.' उन्होंने कहा कि ब्रह्मोस किसी भी नौसेना के लिए गेम चेंजर साबित होगा.

मिसाइल के बारे में
ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल भारत के मिसाइल शस्त्रागार की आधारशिला है. ब्रह्मोस मिसाइल का निर्माण ब्रह्मोस एयरोस्पेस द्वारा किया जाता है, जो भारत के रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) और रूस के NPO मशीनोस्ट्रोयेनिया के बीच एक संयुक्त वेंचर है.

मिसाइल को पनडुब्बियों, जहाजों, विमानों और जमीन से भी लॉन्च किया जा सकता है. ब्रह्मोस मिसाइल की रेंज लगभग 300 किलोमीटर है. इसका सिस्टम 200 से 300 किलोग्राम वजन का वारहेड ले जा सकता है. यह मिसाइल 2.8 मैक की गति से उड़ती है, यानी ध्वनि की गति से लगभग तीन गुना.

मिसाइल का लगभग 83 प्रतिशत सामान अब स्वदेशी हैं, जिसे भारत से ही लिया गया है. यह सिस्टम ऐसा है, जिसे बस एक बार दुश्मन पर छोड़ दो और फिर भूल जाओ.

इंडिया टुडे के अनुसार, मिसाइल स्टेल्थ तकनीक के साथ-साथ एडवांस गाइडेंस सिस्टम के साथ आती है.

यह अपने पूरे लक्ष्य के दौरान सुपरसोनिक वेग बनाए रखती है, जिससे रक्षा प्रणालियों द्वारा इसे विफल करने की संभावना कम हो जाती है. यह 15 किलोमीटर की ऊंचाई पर उड़ सकती है और फिर लक्ष्य से टकराने पर 10 मीटर तक नीचे गिर सकती है.यह अपनी उच्च सटीकता के लिए भी जानी जाती है, जिसमें त्रुटि की संभावना ना के बराबर है.

NDTV के अनुसार, अगली पीढ़ी के ब्रह्मोस वेरिएंड का वजन पहले के 2,900 किलो की तुलना में केवल 1,290 किलो है.

इससे सुखोई Su-30MKI जैसे लड़ाकू विमान एक के बजाय तीन ब्रह्मोस मिसाइल ले जा सकेंगे.

टाइम्स नाउ के अनुसार, मिसाइल के नए संस्करण की रेंज लगभग 400 किलोमीटर होगी.

रविवार को सिंह ने लखनऊ में ब्रह्मोस की नई सुविधा का उद्घाटन किया. इस कार्यक्रम के दौरान सिंह ने पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए हमले के बाद पाकिस्तान को 'करारा जवाब' देने के लिए भारतीय सशस्त्र बलों की प्रशंसा की.

सिंह ने कहा, 'ऑपरेशन सिंदूर के माध्यम से भारत ने पूरे देश को आतंकवादी हमलों का जवाब देने की अपनी इच्छा का स्पष्ट संदेश दिया.' टाइम्स ऑफ इंडिया ने आदित्यनाथ के हवाले से कहा, 'आपने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान ब्रह्मोस मिसाइल की झलक देखी होगी. अगर नहीं देखी है, तो पाकिस्तान के लोगों से ब्रह्मोस मिसाइल की ताकत के बारे में पूछिए.'

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