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Earthquake risk: अगर भारत में अब आया भूकंप तो किस शहर पर होगा सबसे ज्यादा असर? कहीं आप पर तो खतरा नहीं

India Earthquake risk: प्राकृतिक और मानवशास्त्रीय कारणों से भूकंपीय गतिविधि के प्रति संवेदनशील शीर्ष देशों में भारत भी शामिल है. भारत की भौगोलिक स्थिति कई टेक्टोनिक प्लेटों के मिलने और मुश्किल जियोलॉजिकल संरचना के कारण भूकंप के प्रति अत्यधिक संवेदनशील है. तेजी से बढ़ती आबादी और संवेदनशील क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर, अनियमित निर्माण जोखिम को और बढ़ा देते हैं.

Earthquake risk: अगर भारत में अब आया भूकंप तो किस शहर पर होगा सबसे ज्यादा असर? कहीं आप पर तो खतरा नहीं

Earthquake risk in India: भूकंप के झटके कब कहां आ जाए, इसको लेकर पहले जानकारी मिलना फिलहाल मुश्किल है. हालांकि, भारत सरकार इस सिस्टम पर काम कर रही है. लेकिन हम ये जान सकते हैं कि आखिर भारत के वो कौनसे क्षेत्र हैं, जहां भूकंप आने के चांज ज्यादा और लगातार रहते हैं. पहले तो इतना जान लीजिए कि क्या भारत भी दुनिया के उन देशों में शामिल है, जहां भूकंप का खतरा रहता है?

प्राकृतिक और मानवशास्त्रीय कारणों से भूकंपीय गतिविधि के प्रति संवेदनशील शीर्ष देशों में भारत भी शामिल है. बता दें कि भूकंप आने का मुख्य कारण टेक्टोनिक प्लेटों की गति के कारण पृथ्वी की सतह का अचानक हिलना होता है. दरअसल, धरती 12 टेक्टोनिक प्लेटों पर टिकी है और लगातार धीमी गति से हिलती रहती हैं, लेकिन जब इनकी गति बढ़ जाती है और ये आपस में टकराती हैं तो इससे निकलने वाली ऊर्जा ही भूकंप के रूप में झटके देती है.

वैज्ञानिक बताते हैं कि ये प्लेटें हर साल लगभग 4 से 5 मिलीमीटर तक अपनी स्थिति को बदलती हैं. जब कभी ये टकराकर अचानक मिल जाती हैं तो एनर्जी पैदा होने से भूकंप आ जाता है.

कुछ देश या क्षेत्र अपनी भूविज्ञान के कारण भूकंप के प्रति अधिक संवेदनशील होते हैं. प्रशांत महासागर का पूर्वी और पश्चिमी किनारा, जिसमें रॉकीज और एंडीज, दक्षिण-पूर्व एशिया, पूर्वी चीन, हिमालय और दक्षिणी यूरोप शामिल हैं, यह उच्च जोखिम वाले क्षेत्र हैं.

किन देशों को अधिक खतरा?
1990 से 2024 तक आए प्रमुख भूकंपों की संख्या के आधार पर भूकंप के प्रति सर्वाधिक संवेदनशील शीर्ष 10 देश चीन, इंडोनेशिया, ईरान, जापान, अमेरिका, तुर्की, भारत, फिलीपींस, इटली और मैक्सिको हैं.

भारत की भौगोलिक स्थिति कई टेक्टोनिक प्लेटों के मिलने और मुश्किल जियोलॉजिकल संरचना के कारण भूकंप के प्रति अत्यधिक संवेदनशील है. तेजी से बढ़ती आबादी और संवेदनशील क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर, अनियमित निर्माण जोखिम को और बढ़ा देते हैं. राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) के अनुसार, भारत का 59 प्रतिशत से अधिक क्षेत्र मध्यम से लेकर गंभीर भूकंपीय घटनाओं के खतरे में है.

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भारत में कब कितने भूकंप आए?
Earthquakelist.org के अनुसार, पिछले दशक में भारत के 300 किलोमीटर के भीतर चार या उससे अधिक तीव्रता वाले 2,940 भूकंप आए हैं. यानी हर साल औसतन 294 भूकंप. भारत के नजदीक भूकंप आने की संभावना लगभग हर दूसरे दिन है.

भूकंप खतरनाक है या मामूली, कैसे पता चलता है?
रिक्टर स्केल भूकंप की तीव्रता को मापता है, जो 1 (सबसे कम) से लेकर 9 (सबसे अधिक) तक होता है. 3 और उससे कम तीव्रता वाले भूकंपों का प्रभाव ना बराबर कह सकते हैं. दुनिया भर में सालाना 10,000-15,000 बार आने वाले लेवल 4 भूकंपों को प्रभावित क्षेत्र के ज्यादातर लोग महसूस करते हैं, लेकिन इनसे बहुत कम नुकसान होता है. लेवल 5 भूकंप (सालाना 1,000-1,500) और लेवल 6 भूकंप (सालाना 100-150) खराब तरीके से बनी संरचनाओं को नुकसान पहुंचा सकते हैं.

म्यांमार और थाईलैंड में आए लेवल 7 भूकंप को बड़े भूकंप (सालाना 10-20) के रूप में नोट किया जाता है और ये अच्छी तरह से बनी संरचनाओं को नुकसान पहुंचा सकते हैं या उन्हें गिरा सकते हैं.

भारत का सबसे खतरनाक भूकंप
आंकड़ों से पता चलता है कि भारत और इसके आसपास आए 2,940 बड़े भूकंपों में से 2,692 (91.56%) 4 तीव्रता के थे, 235 (7.99%) 5 तीव्रता के, 10 भूकंप 6 तीव्रता के और तीन भूकंप 7 तीव्रता के थे. पिछले दशक में भारत में अनुभव किया गया सबसे शक्तिशाली भूकंप अप्रैल 2015 में गोरखपुर में आया 7.8 तीव्रता का भूकंप था. 1900 के बाद से भारत में आया सबसे तीव्र भूकंप अगस्त 1950 में डिब्रूगढ़ के पास आया 8.6 तीव्रता का भूकंप था.

भारत में कुछ उच्च जोखिम वाले क्षेत्र हैं. जिनके बारे में आपको बताएंगे, लेकिन उससे पहले ये भी जानें कि भूकंप के जोखिम के आधार पर भारत को चार भूकंपीय क्षेत्रों में विभाजित किया गया है.

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किस जोन में कौनसे क्षेत्र?
Zone-1 यानी ना बराबर खतरे वाले क्षेत्र: पश्चिमी मध्य प्रदेश, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, पूर्वी महाराष्ट्र और ओडिशा के कुछ हिस्से.

Zone-2 यानी कम खतरे वाले क्षेत्र: राजस्थान, तमिलनाडु, मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल और हरियाणा

Zone-3 यानी आधा खतरा: इसमें केरल, बिहार, पश्चिमी राजस्थान, पंजाब, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, पूर्वी गुजरात और मध्य प्रदेश के कुछ हिस्से शामिल.

Zone-4 यानी हाई रिस्क वाले क्षेत्र: इनमें जम्मू-कश्मीर और हिमाचल प्रदेश के बाकी हिस्से, दिल्ली, सिक्किम, उत्तर प्रदेश का उत्तरी भाग, बिहार, पश्चिम बंगाल, गुजरात और महाराष्ट्र के कुछ हिस्से शामिल.

Zone-5 यानी सबसे ज्यादा खतरे में रहने वाले क्षेत्र: इनमें पूर्वोत्तर भारत, जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, गुजरात का कच्छ क्षेत्र, उत्तर बिहार और अंडमान-निकोबार द्वीप समूह शामिल हैं. यहां बार-बार भूकंप आते हैं.

भारत में भूकंप के खतरे वाले शीर्ष 10 क्षेत्र
1. जोन V में असम का गुवाहाटी, नागालैंड, मेघालय, मणिपुर, मिजोरम, त्रिपुरा और अरुणाचल प्रदेश शामिल हैं. भारतीय और यूरेशियन प्लेटों के बीच टेक्टोनिक प्लेट टकराव के कारण यह क्षेत्र शक्तिशाली भूकंपों के लिए बेहद संवेदनशील है.

2. निरंतर हो रही टेक्टोनिक हलचलों के कारण जम्मू और कश्मीर से लेकर हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड तक का पूरा हिमालय क्षेत्र 8.0 से अधिक तीव्रता वाले बड़े भूकंपों के प्रति संवेदनशील है.

3. कच्छ, गुजरात

4. दिल्ली-NCR

5. मुंबई, महाराष्ट्र

6. चेन्नई, तमिलनाडु

7. कोयनानगर, महाराष्ट्र

8. बिहार

9. सिक्किम

10. अंडमान और निकोबार द्वीप

NDMA  ने चेतावनी दी है कि भूकंप के खतरे में वृद्धि से न केवल मानव जीवन का खतरा है, बल्कि गंभीर आर्थिक नुकसान भी हो सकता है, जिससे भूकंप के बाद स्थानीय या क्षेत्रीय अर्थव्यवस्थाएं ध्वस्त हो सकती हैं, जिसके पूरे देश पर प्रतिकूल परिणाम हो सकते हैं.

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