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क्या है नेशनल हेराल्ड मामला, जिसमें ED के सामने फिर पेश हो सकते हैं राहुल गांधी

कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया जा रहा है कि केंद्रीय जांच एजेंसी ईडी जल्द ही कांग्रेस नेता और यूपी की रायबरेली सीट से सांसद राहुल गांधी को नेशनल हेराल्ड से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में पूछताछ के लिए तलब कर सकती है. ऐसे में आइए जानते हैं कि आखिर नेशनल हेराल्ड मनी लॉन्ड्रिंग मामला क्या है. 

क्या है नेशनल हेराल्ड मामला, जिसमें ED के सामने फिर पेश हो सकते हैं राहुल गांधी
  • जून 2022 में मामले में हुई थी पूछताछ 
  • 1938 ई में हुई थी द नेशनल हेराल्ड की स्थापना
     

नई दिल्लीः यूपी की रायबरेली सीट से सांसद और कांग्रेस नेता राहुल गांधी को जल्द ही ED यानी प्रवर्तन निदेशालय पूछताछ के लिए तलब कर सकती है. हालांकि, अभी तक इसकी कोई आधिकारिक जानकारी सामने नहीं आई है. रिपोर्ट्स में दावा किया जा रहा है कि केंद्रीय जांच एजेंसी हेराल्ड मामले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग केस में पूछताछ के लिए राहुल गांधी को जल्द ही तलब कर सकती है. 

जून 2022 में मामले में हुई थी पूछताछ 
इससे पहले भी साल 2022 के जून महीने में ईडी की ओर से इस मामले पर राहुल गांधी से पूछताछ की गई थी. मीडिया रिपोर्ट्स की मानें, तो केंद्रीय जांच एजेंसी हेराल्ड मामले से जुड़े अनियमितताओं की जांच को लेकर निष्कर्ष तक पहुंचना चाहती है. इसी वजह से जांच एजेंसी कांग्रेस नेता से पूछताछ कर सकती है. इससे पहले ही ईडी इस मामले में 751 करोड़ रुपये की संपत्ति अटैच कर चुकी है. बहरहाल, आइए जानते हैं कि आखिर नेशनल हेराल्ड मामला क्या है. 

1938 ई में हुई थी द नेशनल हेराल्ड की स्थापना
दरअसल, साल 1938 ई में देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू समेत देश के कई क्रांतिकारी नेताओं ने 'द नेशनल हेराल्ड' समाचार पत्र की स्थापना की थी. तब यह अखबार तीन भाषाओं में प्रकाशित होता था. अंग्रेजी में नेशनल हेराल्ड नाम से, हिंदी में नवजीवन और उर्दू में कौमी आवाज नाम से प्रकाशित होता था. इन समाचार पत्रों को प्रकाशित करने वाली कंपनी का नाम AJL यानी एसोसिएट जनरल लिमिटेड रखा गया. 

राष्ट्रवादी समाचार-पत्र के रूप में होने लगी थी पहचान
स्वतंत्रता सेनानियों से जुड़े होने की वजह से इस समाचार पत्र की पहचान राष्ट्रवादी समाचार-पत्र के रूप में होने लगी थी. यह समाचार पत्र इतना प्रसिद्ध हुआ कि साल 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान अंग्रेजी सरकार ने इसके प्रकाशन पर रोक लगा दिया. हालांकि, इसके तीन साल बाद ही 1945 में फिर से इसका प्रकाशन शुरू हुआ. साल 2008 में आर्थिक तंगी की वजह से इसका प्रकाशन बंद कर दिया गया. 

2 हजार करोड़ की संपत्ति को 50 लाख में खरीदने का है आरोप
अब राहुल गांधी और सोनिया गांधी पर आरोप लगाया जाता है कि उन्होंने एसोसिएट्स जर्नल्स लिमिटेड की 2 हजार करोड़ की संपत्ति को अपने नाम करने के लिए यंग इंडिया लिमिटेड नाम से एक कंपनी बनाई और साल 2011 में राहुल गांधी और सोनिया गांधी की कपंनी यंग इंडिया लिमिटेड ने एसोसिएट्स जर्नल्स लिमिटेड को टेकओवर कर लिया. कांग्रेस के नेताओं पर आरोप है कि उन्होंने एसोसिएट्स जर्नल्स लिमिटेड की 2 हजार करोड़ की संपत्ति को महज 50 लाख रुपये देकर अपने नाम कर लिया. 

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