What is Operation Mahadev: श्रीनगर के बाहरी इलाके ज़बरवान पहाड़ियों में सुरक्षाबलों द्वारा शुरू किए गए एक महत्वपूर्ण आतंकवाद-रोधी अभियान 'ऑपरेशन महादेव' में तीन पाकिस्तानी आतंकवादी मारे गए. यह अभियान जम्मू-कश्मीर पुलिस, भारतीय सेना और केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के संयुक्त प्रयास से चलाया गया. यह अभियान दाचीगाम राष्ट्रीय पार्क और माउंट महादेव के पास लीदवास क्षेत्र में हुआ, जो ज़बरवान रेंज में रणनीतिक और प्रतीकात्मक रूप से महत्वपूर्ण स्थान है. इसलिए इस अभियान को 'ऑपरेशन महादेव' कहा गया.
कब और कैसे हुई थी ऑपरेशन महादेव की शुरुआत?
यह अभियान 15 दिनों में एकत्रित खुफिया सूचनाओं के आधार पर शुरू किया गया था, जिसकी शुरुआत 11 जुलाई, 2025 को बैसरन क्षेत्र में एक चीनी सैटेलाइट फोन का पता चलने से हुई थी. स्थानीय खानाबदोशों ने दाछीगाम के जंगलों में आतंकवादी गतिविधियों की पुष्टि करने वाली अतिरिक्त जानकारी प्रदान की. इस अभियान की सावधानीपूर्वक योजना बनाई गई थी, जिसमें ड्रोन निगरानी और इंटरसेप्ट किए गए संचार माध्यमों से प्राप्त सूचनाएं शामिल थीं.
लीदवास चोटी के पास तीन आतंकवादियों के एक समूह को घेरा
सोमवार की सुबह लगभग 11:30 बजे, 4 पैरा और 24 राष्ट्रीय राइफल्स (आरआर) जैसी विशिष्ट सेना की इकाइयों और जम्मू-कश्मीर पुलिस के विशेष अभियान दल (एसओजी) सहित सुरक्षाबलों ने महादेव पर्वत में स्थित लीदवास चोटी के पास तीन आतंकवादियों के एक समूह को घेर लिया. एक तंबू में आराम कर रहे आतंकवादियों को सुरक्षाबलों द्वारा की गई तीव्र और सटीक गोलीबारी में मार गिराया गया. तीन आतंकवादी मारे गए, जिनकी पहचान महत्वपूर्ण लक्ष्यों के रूप में हुई. मुठभेड़ के बाद, उनके शेष साथियों का पता लगाने के लिए अभियान जारी है, जिनके जंगली इलाके में छिपे होने की आशंका है. चल रहे तलाशी अभियानों में सहायता के लिए ड्रोन और अतिरिक्त बल तैनात किए गए.
ऑपरेशन महादेव को लेकर अधिकारी ने क्या बताया?
आईजीपी कश्मीर विधि कुमार बिरदी ने कहा, 'ऑपरेशन महादेव अभी भी जारी है. प्रारंभिक रिपोर्टों के अनुसार, तीन शव देखे गए हैं और ऐसा प्रतीत होता है कि उन्हें मार गिराया गया है. हमें पहचान में कुछ समय लगेगा, और टीमें अभी भी अंदर हैं.' हालांकि, सेना के सूत्रों ने इस अभियान को पहलगाम हमले से जोड़ते हुए बताया कि पहलगाम हमले में शामिल लश्कर-ए-तैयबा का एक शीर्ष कमांडर मारा गया. उसके बारे में जानकारी देने पर 20 लाख रुपये का इनाम घोषित किया गया था. उसका नाम सुलेमान बताया जा रहा है. मारे गए एक अन्य आतंकवादी का नाम यासिर उर्फ हैरिस बताया जा रहा है, जिसके भी पहलगाम हमले में शामिल होने का संदेह है. तीसरे आतंकवादी का नाम अबू हमजा बताया जा रहा है, इसका अभी तक पहलगाम हमले में भूमिका की कोई पुष्टि नहीं हुई है.
आधुनिक हथियार और गोला-बारूद भारी मात्रा में बरामद
सुरक्षा बलों ने आतंकवादी के पास से भारी मात्रा में आधुनिक हथियार और गोला-बारूद बरामद किया है, जिनमें शामिल हैं: एक M4 कार्बाइन, दो AK-47 राइफलें, 17 राइफल ग्रेनेड, इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस (IED). इन बरामदगी से संकेत मिलता है कि आतंकवादी भारी हथियारों से लैस थे और आगे के हमलों की योजना बना रहे थे. पहलगाम हमले के बाद से यह अभियान सबसे महत्वपूर्ण आतंकवाद-रोधी कार्रवाइयों में से एक है, जिसने समन्वित खुफिया और सुरक्षाबलों की प्रभावशीलता को प्रदर्शित किया. स्वदेशी तकनीक का उपयोग, जैसे ड्रोन, यूएवी और नोमेड से मिली स्थानीय खुफिया जानकारी से पता चलता है कि पहलगाम हमले के बाद सुरक्षाबल किस तरह से जंगलों में तलाशी अभियान चला रहे हैं.
यह ऑपरेशन पहलगाम हमले के बाद पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में भारत के जवाबी हमलों, ऑपरेशन सिंदूर पर संसद में चल रही बहस के साथ हुआ. सुरक्षा चूकों को लेकर विपक्ष की आलोचना के बीच ऑपरेशन महादेव की सफलता ने सरकार के रुख को मजबूत किया. हालांकि मारे गए आतंकवादियों के पहलगाम हमले से जुड़े होने का संदेह था, लेकिन उनकी पहचान की आधिकारिक पुष्टि अभी बाकी है. पुलिस महानिरीक्षक ने कहा कि पहचान में समय लगेगा.
चिनार कोर ने सोशल मीडिया पर साझा किया अपडेट
खुफिया जानकारी से पता चला है कि मारे गए आतंकवादियों के अन्य सहयोगी अभी भी इस क्षेत्र में सक्रिय हो सकते हैं, जिसके कारण तलाशी अभियान जारी है. दाचीगाम और लीदवास के ऊबड़-खाबड़ इलाके ने उन्हें ट्रैक करना मुश्किल बना दिया है. चिनार कोर ने एक्स पर प्रगति की जानकारी देते हुए कहा, 'ऑपरेशन महादेव - अपडेट: भीषण गोलीबारी में तीन आतंकवादियों को मार गिराया गया है. ऑपरेशन जारी है.'
OP MAHADEV
— Chinar Corps - Indian Army (@ChinarcorpsIA) July 28, 2025
Contact established in General Area Lidwas. Operation in progress.#Kashmir@adgpi@NorthernComd_IA pic.twitter.com/xSjEegVxra
उत्तरी कमान प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल प्रतीक शर्मा ने त्वरित कार्रवाई के लिए सेना को बधाई दी. लेफ्टिनेंट जनरल प्रतीक शर्मा ने लिखा, 'आर्मी कमांडर एनसी, लीदवास क्षेत्र में चल रहे ऑपरेशन महादेव में तीन आतंकवादियों को मार गिराने में चिनार कोर की त्वरित कार्रवाई और सटीक निष्पादन के लिए उनकी सराहना करता है. भारतीय सेना जम्मू-कश्मीर को आतंक-मुक्त रखने की अपनी प्रतिबद्धता पर कायम है. राष्ट्रप्रथम भारतीय सेना.' ऑपरेशन महादेव जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद के खिलाफ एक निर्णायक अभियान था, जिसमें लश्कर-ए-तैयबा के तीन आतंकवादियों को मार गिराया गया. इसने सुरक्षाबलों, उनकी उन्नत तकनीक और खुफिया जानकारी पर आधारित अभियानों के तालमेल को प्रदर्शित किया.'
पहलगाम हमले के मास्टरमाइंड को मार गिराया
सूत्रों से मिली हालिया रिपोर्टों से पुष्टि होती है कि सुलेमान (जिसे सुलेमान शाह उर्फ आसिफ के नाम से भी जाना जाता है), जिबरान और अबू हमजा अफगानी नामक तीन आतंकवादियों को भारतीय सुरक्षा बलों ने एक मुठभेड़ ऑपरेशन महादेव के दौरान मार गिराया. पहलगाम आतंकी हमले से जुड़े एक सैटेलाइट फोन सिग्नल के बारे में खुफिया जानकारी मिलने के बाद, "ऑपरेशन महादेव" नामक यह अभियान शुरू किया गया था. पहलगाम हमले के मास्टरमाइंड माने जाने वाले सुलेमान शाह उर्फ आसिफ को भी मार गिराया गया.
जिबरान कथित तौर पर अक्टूबर 2024 में हुए सोनमर्ग सुरंग हमले में शामिल था, जिसमें सात लोग मारे गए थे. उपलब्ध स्रोतों में हमजा अफगानी की पहचान के बारे में कम जानकारी है, लेकिन वह उसी समूह का हिस्सा था. सुलेमान शाह उर्फ आसिफ एक पाकिस्तानी नागरिक था, जो लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) का एक शीर्ष कमांडर था और कथित तौर पर पहलगाम हमले का मास्टरमाइंड था. उसे पाकिस्तान में लश्कर के मुरीदके मुख्यालय में प्रशिक्षित किया गया था और वह कई छद्म नामों से काम करता था. वह अक्टूबर 2024 में हुए सोनमर्ग सुरंग हमले से भी जुड़ा था, जिसमें श्रीनगर-सोनमर्ग राजमार्ग पर सात मज़दूर मारे गए थे.
जिब्रान ने लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े एक पाकिस्तानी आतंकवादी की भी पहचान की है. इसका कोड नाम @यासिर @हारिस भी बताया जा रहा है कि वह सुलेमान के साथ सोनमर्ग सुरंग हमले में शामिल था. वह दाचीगाम के जंगलों में सक्रिय उसी आतंकी मॉड्यूल का हिस्सा था. पहलगाम हमले में उसकी संलिप्तता नहीं देखी गई है. हमज़ा अफ़ग़ानी उर्फ अबू अबू हमज़ा उर्फ हमज़ा अफ़ग़ानी भी एक विदेशी आतंकवादी था, जो संभवतः अफ़ग़ान मूल का था और लश्कर-ए-तैयबा मॉड्यूल से जुड़ा था. पहलगाम हमले में उसकी संलिप्तता संदिग्ध है, लेकिन आधिकारिक रिपोर्टों में इसकी स्पष्ट पुष्टि नहीं हुई है.