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भारत में क्या है नमाज पढ़ने का नियम? इस्लाम एक्सपर्ट की सुन लें ये बात, सड़कों पर भीड़ नहीं लगाएंगे नमाजी

भारत में अक्सर सड़कों पर नमाज पढ़ने के चलते माहौल बिगड़ने की आशंका बढ़ जाती है. इन्हीं मुद्दों और नियमों को लेकर साल 2008 में स्थापित मुस्लिम महासभा के राष्ट्रीय प्रवक्ता हाजी नाजिम खान ने कई जरूरी बातों पर विस्तार से जानकारी दी है. 

भारत में क्या है नमाज पढ़ने का नियम? इस्लाम एक्सपर्ट की सुन लें ये बात, सड़कों पर भीड़ नहीं लगाएंगे नमाजी

देश भर में नमाज पढ़ने व उससे जुड़े विवाद को लेकर मामले अक्सर सामने आते रहे हैं. हाल ही में, उत्तर प्रदेश के बदायूं स्थित एक मंदिर में नमाज पढ़ने की घटना ने तूल पकड़ लिया है. बता दें,  बदायूं के दातागंज कोतवाली क्षेत्र के पापड़ गांव में स्थित एक मंदिर में मुस्लिम युवक द्वारा नामाज पढ़ने का वीडियो वायरल है. जिसके बाद नमाज पढ़ने के नियम की चर्चा जोरों पर है. इन्हीं मामलों को लेकर Zee भारत ने मुस्लिम महासभा के राष्ट्रीय प्रवक्ता हाजी नाज़िम खान से बातचीत की. जिन्होंने भारत में नमाज पढ़ने के नियम व सड़कों पर नमाजियों के इकट्ठा होने से जुड़ी कई अहम जानकारियां बताईं.

नमाज क्या है?
नमाज एक इस्लामी प्रार्थना है. यह इस्लाम के प्रमुख स्तंभों में से एक है. जिसे ‘सलात’ भी कहा जाता है. इस्लाम धर्म मानने वालों को, दिन में पांच वक्त की नमाज अदा करना अनिवार्य होता है. पांच वक्त के नमाज में फज्र (सुबह), ज़ुहर (दोपहर), असर (शाम), मगरिब (शाम के बाद) और ईशा (रात) की नमाज होती है.

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भारत में नमाज पढ़ने का क्या नियम?
भारत में नमाज पढ़ने के नियम को लेकर मुस्लिम महासभा के राष्ट्रीय प्रवक्ता नाजिम खान ने बताया, ‘भारत में नमाज पढ़ने का वही नियम है, जो दुनिया भर में नमाज का नियम होता है. जो पांच वक्त पढ़ी जाती है. साथ ही, नमाज केवल और केवल मस्जिदों में ही पढ़ी जाती है. अगर जुमे के दिन संख्या बढ़ती है, तो मस्जिद के अंदर दो बार में नमाज पढ़ी जा सकती है. इसके लिए सड़क पर आकर नमाज पढ़ने की जरूरत नहीं होती.’

आगे हाजी नाजिम खान ने बताया, ‘भारतीय संविधान अनुच्छेद 25 के मुताबिक, हर किसी को अपने धर्म के पालन करने की आजादी देता है. ऐसे में, यात्रा के दौरान या घर पर भी नमाज पढ़ सकते हैं, बशर्ते किसी को ठेस नहीं पहुंचे.’

क्या सड़कों पर नमाज पढ़ना चाहिए?
देश में कई बार उन्माद तब और बढ़ जाता है, जब सड़कों या सार्वजनिक स्थलों पर नमाज पढ़ने की घटनाएं सामने आती हैं. इसी मामले को लेकर हाजी नाजिम खान ने बताया, ‘सड़कों पर नमाज पढ़ने की छूट न तो भारतीय संविधान देता है, न ही कोई भी वक्फ बोर्ड. वहीं, सड़कों पर नमाज पढ़ने से अगर किसी को समस्या आती है, तो यह सरासर गलत है. इसीलिए नमाज केवल इबादतगाह में ही पढ़ा जाना चाहिए. साथ ही, जुमे जैसे दिन पर जब भीड़ ज्यादा बढ़ जाती है, तो प्रशासन की गाइडलाइन का पालन करना चाहिए.’

देश में कैसे रुकेगा मजहबी उन्माद?
देश में अक्सर धार्मिक दंगे या उन्माद की घटनाएं मामूली सी बात पर बड़ी हो जाती हैं. इन्हीं घटनाओं के रोकने को लेकर हाजी नाजिम खान ने बताया, ‘यह मुल्क संविधान से चलता है, और सभी भारतवासियों की नैतिक जिम्मेदारी बनती है कि देश में सौहार्द बनाए रखें. साथ ही, धर्मों को लेकर जागरूक रहें. अफवाहों से बचें. सोशल मीडिया पर विश्वास न करें.’

उन्होंने आगे कहा, ‘अगर किसी क्षेत्र में उन्माद या दंगे जैसी स्थिति बनती है, तो उसमें सबसे अहम रोल सोशल मीडिया का होता है. वहीं, कोई भी अफवाह फैलती है, तो देश भर को उसका खामियाजा भुगतना पड़ता है. सरकारी प्रॉपर्टी से लेकर आम नागरिकों तक को भारी नुकसान पहुंचता है. ऐसे में, हर किसी को अफवाहों से बचना चाहिए. संभल शाही मस्जिद हो या बहराइच की घटना इन्हीं अफवाहों की देन थी.’

‘सड़क पर नमाज पढ़ने वालों को जागरूक करें’
सड़क पर नमाज पढ़ने वालों को लेकर हाजी नाजिम खान बताते हैं, ‘इन घटनाओं को रोकने के लिए सबसे ज्यादा जरूरी चीज जागरूकता है. मुस्लिम महासभा भी इसी उद्देश्य के साथ चार पैटर्न पर काम करती है. तालीम, तंजीम, तिज़ारत और तरक्की. तालीम यानी शिक्षा. जितना ज्यादा लोग शिक्षित रहेंगे, व धार्मिक उन्मादों के बजाय देश के विकास में सहयोग देंगे. वहीं तंजीम यानी समूह. जब तालीम हासिल करके समूहों को बताया जाएगा, तो शिक्षा व जागरूकता दूर तक फैलेगी. साथ ही, तिज़ारत यानी व्यापार. जब लोग शिक्षित और जागरूक रहेंगे, तो वह व्यापार भी बढ़ाएंगे और आखिरी में तरक्की में सहयोग देंगे’

उन्होंने आगे कहा, ‘सड़क पर नमाज पढ़ने वालों की जिद करने वालों या उनको बरगलाने वालों को भी इन्हीं चार चीजों पर अमल करना चाहिए, ताकि देश में सौहार्द का माहौल बना रहे.’

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