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MQ-9B Drone: भारत ने अमेरिका से 32 हजार करोड़ रुपये का सौदा तो पिछले साल ही कर दिया लेकिन ये ड्रोन कब तक मिलेंगे?

भारत अपनी सैन्य निगरानी और हमले की क्षमताओं को और मजबूत करने में जुटा हुआ है. इसके मद्देनजर पिछले साल अमेरिका के साथ 31 MQ-9B हाई एल्टीट्यूड लॉन्ग एंड्योरेंस (HALE) ड्रोन खरीदने का सौदा किया था. बड़ा सवाल यह है कि चीन और पाकिस्तान की चुनौतियों के बीच भारत को ये ड्रोन कब तब मिल पाएंगे?

MQ-9B Drone: भारत ने अमेरिका से 32 हजार करोड़ रुपये का सौदा तो पिछले साल ही कर दिया लेकिन ये ड्रोन कब तक मिलेंगे?
  • 32 हजार करोड़ का बड़ा सौदा
  • ड्रोन की क्षमताएं और इस्तेमाल

नई दिल्लीः भारत अपनी सैन्य निगरानी और हमले की क्षमताओं को और मजबूत करने में जुटा हुआ है. इसके मद्देनजर पिछले साल अमेरिका के साथ 31 MQ-9B हाई एल्टीट्यूड लॉन्ग एंड्योरेंस (HALE) ड्रोन खरीदने का सौदा किया था. बड़ा सवाल यह है कि चीन और पाकिस्तान की चुनौतियों के बीच भारत को ये ड्रोन कब तब मिल पाएंगे? रिपोर्ट्स की मानें तो भारत को 2029 तक MQ-9B ड्रोन मिल जाएंगे. 

32 हजार करोड़ का बड़ा सौदा

इस सौदे की कुल लागत करीब 32 हजार करोड़ रुपये है. इसे अमेरिका के फॉरेन मिलिट्री सेल्स (FMS) कार्यक्रम के तहत अंतिम रूप दिया गया है. इस सौदे का उद्देश्य हिंद-प्रशांत क्षेत्र में भारत और अमेरिका की रक्षा क्षमताओं को मजबूत करना है. समझौते के अनुसार, भारत को इन एडवांस्ड ड्रोन की डिलीवरी जनवरी 2029 से सितंबर 2030 के बीच की जाएगी.

ड्रोन की क्षमताएं और इस्तेमाल

MQ-9B ड्रोन की क्षमताओं की बात करें तो ये सी गार्जियन और स्काई गार्जियन वेरिएंट में होंगे. जहां सी गार्जियन वेरिएंट भारतीय नौसेना के लिए डिजाइन किया गया है. ये ड्रोन हिंद महासागर में समुद्री निगरानी और सुरक्षा को बढ़ाने में मदद करेगा. इसी तरह स्काई गार्जियन भारतीय सेना और वायुसेना के लिए तैयार किया गया है. ये ड्रोन चीन और पाकिस्तान के साथ लगती सीमा पर निगरानी को मजबूत करेगा.

खास बात यह है कि ये ड्रोन 40 घंटे तक लगातार उड़ान भर सकते हैं और 50 हजार फीट की ऊंचाई तक पहुंच सकते हैं. इन्हें मुख्य तौर पर इंटेलिजेंस, सर्विलांस और टोही क्षमताओं के लिए डिजाइन किया गया है, लेकिन इनकी स्ट्राइक क्षमता भी है. इससे भारत की समुद्री और सीमा सुरक्षा को मजबूती मिलेगी.

मेक इन इंडिया का रखा गया है ध्यान

इस सौदे में मेक इन इंडिया पहल का भी ध्यान रखा गया है. डील के तहत ड्रोन की मरम्मत, रखरखाव और ओवरहॉल (MRO) भारत में होगा. इससे भारत की रक्षा तकनीक में आत्मनिर्भरता बढ़ेगी. साथ ही कुछ ड्रोन का असेंबल भी भारत में किया जा सकता है.

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