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भारत में सबसे ज्यादा बाढ़ कहां आता है? वो राज्य जहां 'उफनती' नदियां लाखों लोगों को कर देती है बेघर

India flood zones: भारत में गंगा, ब्रह्मपुत्र और उनकी सहायक नदियां मानसून में उफनती हैं, जिससे बड़े-बड़े इलाकों में तबाही मचती है. बिहार, असम, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल जैसे राज्य हर साल इस विनाशकारी बाढ़ का सामना करते हैं. इसके पीछे सिर्फ भारी बारिश ही नहीं, बल्कि कई भौगोलिक और नदी-संबंधी कारण भी छिपे हैं.

भारत में सबसे ज्यादा बाढ़ कहां आता है? वो राज्य जहां 'उफनती' नदियां लाखों लोगों को कर देती है बेघर
  • बिहार सबसे ज्यादा बाढ़ प्रभावित राज्य
  • नदियों के गाद से बढ़ जाता है जलस्तर

Flood Alert: भारत के कोने-कोने से बाढ़ की खबरे हैं. उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में यमुना का जलस्तर रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच चुका है. वहीं, वाराणसी में कई घाट बाढ़ की चपेट में हैं. दरअसल, भारत में बाढ़ एक ऐसी प्राकृतिक आपदा है, जो हर साल लाखों लोगों के जीवन को प्रभावित करती है. यह सिर्फ एक राज्य की समस्या नहीं है, बल्कि देश के कई हिस्से हर साल इस त्रासदी से जूझते हैं. 

बिहार का 'शोक' कही जाने वाली कोसी नदी
भारत में बाढ़ से सबसे ज्यादा प्रभावित राज्यों में बिहार सबसे ऊपर है. खासकर उत्तरी बिहार के जिले हर साल इस आपदा से जूझते हैं. इसका सबसे बड़ा कारण कोसी नदी है, जिसे 'बिहार का शोक' भी कहा जाता है.

बता दें, यह नदी हिमालय से भारी मात्रा में गाद यानी सिल्ट बहाकर लाती है, जिससे इसका तल ऊपर उठता रहता है और यह बार-बार अपना रास्ता बदलती है. मानसून में जब इसमें पानी का स्तर बढ़ता है, तो यह अचानक अपना किनारा तोड़कर दूर-दूर तक फैल जाती है, जिससे विनाशकारी बाढ़ आती है.

बाढ़ से असम भी नहीं है अछूता
बिहार के अलावा, देश के कई अन्य राज्यों में भी हर साल बाढ़ आती है. उसी में एक नाम है असम. यहां बाढ़ का सबसे बड़ा कारण ब्रह्मपुत्र नदी है. यह एक विशाल नदी है, जो मानसून के दौरान अपने साथ भारी मात्रा में गाद और पानी लाती है. असम का मैदानी इलाका, खासकर माजुली द्वीप जैसे नदी के बीच बसे क्षेत्र हर साल बाढ़ से बुरी तरह प्रभावित होते हैं.

उत्तर प्रदेश में उफनाती नदियां मचाती हैं तबाही
पूर्वी उत्तर प्रदेश भी हर साल बाढ़ का सामना करता है. यहां गंगा, घाघरा और शारदा जैसी नदियां बारिश के मौसम में उफनती हैं, जिससे बड़े-बड़े ग्रामीण इलाकों और खेतों में पानी भर जाता है. 

वहीं, प्रयागराज में गंगा-यमुना का संगम होता है. ये दोनों नदियां हिमालय से बहती हैं. जो उत्तर भारत के बड़े भू-भाग में बारिश का पानी लेकर आती हैं. जिससे यहां हर साल बाढ़ आता है. वहीं यह आगे बढ़ते हुए वाराणसी में भी अपने उफान पर होती है. जहां दोनों नदियों का पानी एक साथ पहुंचता है.

पश्चिम बंगाल में भी बाढ़ से त्राहिमाम-त्राहिमाम
पश्चिम बंगाल के डेल्टा वाले इलाकों में भी बाढ़ एक बड़ी समस्या है. यहां गंगा और उसकी सहायक नदियों के अलावा, समुद्र में उठने वाले तूफानों के कारण भी बाढ़ का खतरा बना रहता है. जिससे तटीय इलाकों में रहने वाले लोगों को भारी समस्या का सामना करना पड़ता है.

भारत में बाढ़ के क्या कारण होते हैं?
दरअसल, गंगा और ब्रह्मपुत्र जैसी नदियां हिमालय से आती हैं, और वे अपने साथ गाद का एक बड़ा भार लेकर चलती हैं. यह गाद नदियों के तल को ऊपर उठा देती है, जिससे उनकी पानी को रोकने की क्षमता कम हो जाती है. वहीं, जून से सितंबर के दौरान होने वाली भारी बारिश, बाढ़ का एक तात्कालिक कारण बनती है.

इसके इतर, नदियों के किनारे तटबंध बनाने और बाढ़ नियंत्रण की परियोजनाओं के बावजूद, नदियों की बदलती प्रकृति और गाद की समस्या के कारण ये प्रयास पूरी तरह सफल नहीं हो पाते हैं. ऐसे में, भारत में बाढ़ की समस्या सिर्फ एक राज्य की नहीं, बल्कि एक राष्ट्रीय समस्या है. जिसको लेकर भारत सरकार व कई अन्य संगठन लगातार काम कर रहे हैं.

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