भारत की धरती कई रहस्यों और खजानों को अपने भीतर समेटे बैठी है. इतिहास गवाह है कि यहां की मिट्टी सिर्फ अनाज ही नहीं, बल्कि सोना भी उगाती है. एक समय ऐसा भी था, जब यहां की एक जगह से निकला सोना देश की अर्थव्यवस्था में बड़ा योगदान देता था. लेकिन अब वही जगह, जहां कभी हजारों लोग काम करते थे, वीरान पड़ी है. चलिए जानते हैं भारत की सबसे बड़ी सोने की खदान के बारे में.
भारत के सोने से पुराना नाता
भारत में सोने को हमेशा से समृद्धि और शक्ति का प्रतीक माना गया है. पुराने समय से ही सोना पूजा-पाठ, दान और निवेश का एक अहम हिस्सा रहा है. देशभर में शादी-ब्याह से लेकर त्योहारों तक, सोने की मांग बनी रहती है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि भारत में जिस जगह से सबसे ज्यादा सोना निकाला गया, वह आज इतिहास बन चुकी है? वहां कभी मशीनों की आवाज गूंजती थी, मजदूरों की चहलकदमी होती थी और जमीन के नीचे दिन-रात खुदाई का काम चलता था.
KGF: कोलार गोल्ड फील्ड्स
कोलार गोल्ड फील्ड्स (KGF), जो कि कर्नाटक राज्य के कोलार जिले में स्थित है. इसे भारत की सबसे पुरानी और सबसे गहरी सोने की खदान माना जाता है. यहां 19वीं सदी के अंत में सोने की खुदाई शुरू हुई थी, और ब्रिटिश राज के समय इस खदान का खूब इस्तेमाल हुआ.
KGF का इतिहास और महत्व
कोलार गोल्ड फील्ड्स को ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने 1880 के दशक में विकसित किया था. यहां करीब 3 किलोमीटर गहराई तक खुदाई की गई थी, जिसे उस समय तकनीक का चमत्कार माना जाता था. ऐसा माना जाता है कि KGF से करीब 800 टन से ज्यादा सोना निकाला गया था, जो भारत के इतिहास में अब तक का सबसे बड़ा आंकड़ा है. यहां की खदानों में काम करना आसान नहीं था. अंधेरी सुरंगों में मजदूर घंटों पसीना बहाते थे. गर्मी, अंधेरा और ऑक्सीजन की कमी के बीच भी उनका हौसला कम नहीं होता था. यह खदान सिर्फ एक काम की जगह नहीं थी, बल्कि एक पूरा शहर बन चुकी थी, जहां स्कूल, अस्पताल, चर्च और क्लब तक थे.
क्यों बंद हो गई खदान
1990 के दशक के बाद, खदान में उत्पादन धीरे-धीरे घटने लगा और खर्चा बढ़ता गया. सरकार और भारत गोल्ड माइंस लिमिटेड (BGML) के लिए इसे चलाना घाटे का सौदा बन गया. आखिरकार 2001 में इसे आधिकारिक रूप से बंद कर दिया गया. हालांकि, आज भी यहां की वीरान सुरंगें, टूटी-फूटी मशीनें और सुनसान गलियां उस दौर की कहानी बयां करती हैं.
आज की स्थिति
आज KGF एक पर्यटन स्थल और रिसर्च का विषय बन चुका है. यहां पर समय-समय पर डॉक्यूमेंट्री, फिल्में और शोध कार्य किए जाते हैं. 2018 में आई फिल्म ‘KGF’ ने इस जगह को एक बार फिर चर्चा में ला दिया. हालांकि, फिल्म ने बहुत कुछ काल्पनिक दिखाया, लेकिन इसने लोगों की यादें ताजा कर दीं.
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