About ITBP Jawans: ITBP के जवान कौन होते हैं और ये बल कब बनाया गया और क्यों बनाया गया. क्या है इसका पूरा नाम और क्या है मकसद? आइए जानते हैं. यह भारत के केन्द्रीय सशस्त्र पुलिस बलों में से एक है. ITBP की स्थापना 1962 के भारत-चीन युद्ध के बाद चीन के तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र से लगती भारत की सीमा पर तैनाती के लिए की गई थी.
ITBP की स्थापना शुरू में CRPF अधिनियम के तहत की गई थी. हालांकि, 1992 में संसद ने ITBP अधिनियम पारित किया और उसके तहत 1994 में नियम बनाए गए. वर्ष 2004 में ITBP को गृह मंत्रालय के अधीन एक पूर्ण केन्द्रीय सशस्त्र पुलिस बल घोषित किया गया.
ITBP का Motto?
बल का आदर्श वाक्य (Motto): 'शौर्य-दृढ़ता-कर्म निष्ठा' है. यह बल लद्दाख में काराकोरम दर्रे से लेकर अरुणाचल प्रदेश में जाचेप ला तक 9,000 फीट से 18,750 फीट की ऊंचाई पर स्थित 197 BOPs के माध्यम से 3,488 किलोमीटर लंबी भारत-चीन सीमा की रक्षा करता है.
यह एक विशेष पर्वतीय बल है और इसके अधिकांश अधिकारी और जवान पेशेवर रूप से प्रशिक्षित पर्वतारोही और स्कीयर हैं. इसका नेतृत्व गृह मंत्रालय के अधीन महानिदेशक द्वारा किया जाता है. इसका मुख्यालय नई दिल्ली में है.
2025 की शुरुआत में भारत-तिब्बत सीमा पुलिस के महानिदेशक राहुल रसगोत्रा ने बताया था कि बल ने अपनी अग्रिम योजना के तहत कम से कम 33 सीमा चौकियों (BOPs) को भारत-चीन सीमा के करीब कर लिया है.
बल के स्थापना दिवस परेड को संबोधित करते हुए रसगोत्रा ने कहा, 'आईटीबीपी ने अग्रिम योजना को लागू किया है. सीमा के नजदीक 56 सीमा चौकियां स्थापित की जाएंगी. इनमें से 33 को पहले ही स्थानांतरित किया जा चुका है.'
उन्होंने कहा, 'संचालन आवश्यकताओं के लिए गृह मंत्रालय ने सात नई बटालियनों की स्थापना को मंजूरी दी है. इनमें से छह पहले ही अरुणाचल प्रदेश में स्थापित की जा चुकी हैं, जबकि सातवीं बटालियन सिक्किम में इस साल स्थापित की जाएगी.' सात बटालियनों में लगभग 9,000 जवान शामिल हैं.
ITBP में कुल कितने जवान?
ITBP में लगभग एक लाख (96,222) कर्मी सेवा दे रहे हैं. गृह मंत्रालय की 2023-24 की रिपोर्ट के अनुसार, 1 अप्रैल 2023 से 31 मार्च 2024 के बीच आईटीबीपी ने भारत-चीन सीमा पर 6,561 बार गश्त की.
ITBP के सामने अक्सर एक समस्या यह आती है कि उन्हें वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर गश्त के लिए कुछ BOP से 15-40 किलोमीटर की यात्रा करनी पड़ती है और फिर उसी दूरी से वापस लौटना पड़ता है, जिसमें कई दिन लग जाते हैं. सीमा के नजदीक सीमा चौकियां होने से क्षेत्र की बेहतर गश्त और निगरानी सुनिश्चित होगी.
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