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भारत आने वाला पहला विदेशी नागरिक, जानें क्या था उसका मकसद

एक समय भारत में ऐसा भी आया था, जब एक विदेशी पहली बार यहां पहुंचा. उसने न केवल भारत को करीब से देखा, बल्कि यहां की संस्कृति, समाज और शासन व्यवस्था को दुनिया के सामने पहली बार प्रस्तुत किया.

भारत आने वाला पहला विदेशी नागरिक, जानें क्या था उसका मकसद
  • वह भारत में वर्षों तक राजदूत बनकर रहा
  • उसने समाज, संस्कृति और शासन को अच्छे से समझा

कई बार जब हम इतिहास की बातें करते हैं, तो राजा-महाराजा, युद्ध और साम्राज्यों का जिक्र होता है. लेकिन क्या आपने कभी यह सोचा है कि वो पहला विदेशी कौन था, जिसने भारत की धरती पर कदम रखा? वो कौन था जिसने यहां की सभ्यता, परंपरा और समाज को इतने करीब से देखा कि उसकी लिखी बातें आज भी किताबों में दर्ज हैं?

जब पहली बार किसी विदेशी ने भारत को देखा
भारत में जो सबसे पहले विदेशी के रूप में दर्ज हुआ, वह एक यूनानी व्यक्ति था. वह ऐसे समय में आया जब भारत में मौर्य साम्राज्य का प्रभाव था और चंद्रगुप्त मौर्य जैसे शक्तिशाली सम्राट का शासन था. यह वो दौर था, जब भारत राजनीतिक रूप से संगठित और सांस्कृतिक रूप से बेहद समृद्ध था.

उस यूनानी को भारत में डिप्लोमेट संबंध स्थापित करने के लिए भेजा गया था. लेकिन उसने सिर्फ दरबार तक ही सीमित रहकर काम नहीं किया. उसने भारत के आम जीवन को, लोगों की आदतों को, और यहां की शासन व्यवस्था को बहुत ही नजदीक से देखा और अनुभव किया.

मेगास्थनीज: भारत आने वाला पहला दर्ज विदेशी
इतिहासकारों के अनुसार, इस पहले विदेशी का नाम था मेगास्थनीज. वह यूनान (ग्रीस) से आया था और राजा सेल्यूकस निकेटर का राजदूत बनकर भारत आया था. यह घटना लगभग 302 ईसा पूर्व की है, जब मेगास्थनीज सम्राट चंद्रगुप्त मौर्य के दरबार में पहुंचा था.

मेगास्थनीज ने भारत में कई वर्ष बिताए, खासकर मौर्य राजधानी पाटलिपुत्र (आज का पटना) में. उसने यहां की शासन व्यवस्था, सामाजिक ढांचा, व्यापार, धार्मिक आस्था और लोगों के रहन-सहन को बहुत विस्तार से समझा और उसे अपनी पुस्तक ‘इंडिका’ में लिखा.

भारत के बारे में क्या लिखा मेगास्थनीज ने?
मेगास्थनीज ने भारत को एक अनुशासित, समृद्ध और धार्मिक देश बताया. उसने लिखा कि यहां के लोग ईमानदार और धार्मिक हैं. सड़कों की व्यवस्था, नगरों की साफ-सफाई और कानून-व्यवस्था से वह बहुत प्रभावित हुआ था. उसने यह भी बताया कि यहां चोरी और झूठ बोलना बहुत ही दुर्लभ है.

वह भारतीय समाज को विभिन्न वर्गों में बंटा हुआ बताता है, जैसे किसान, योद्धा, पुजारी, व्यापारी आदि. उसने भारतीय संस्कृति की तुलना ग्रीस से करते हुए भारत को एक उच्च विकसित समाज बताया.

मेगास्थनीज की जानकारी क्यों आज भी अहम है?
आज जब हम प्राचीन भारत की बात करते हैं, तो मेगास्थनीज की लिखी बातें एक मजबूत आधार बनती हैं. वह न केवल एक पर्यटक था, बल्कि एक ऐसा चश्मदीद गवाह भी था जिसने भारत को बिना पूर्वग्रह के देखा और दुनिया को बताया कि भारत क्या है.

उसकी लिखी गई जानकारी, खासकर ‘इंडिका’, इतिहासकारों के लिए आज भी बहुमूल्य स्रोत है. उसके नजरिए से हमें मौर्य साम्राज्य और भारत को समझने में काफी सहायता मिलती है.

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