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इंडियन आर्मी बस ले ले ये फैसला, चीनी J-35 क्या अमेरिकी B2 बॉम्बर का भी खत्म हो जाएगा रौला; जानें क्या है 'गेम-रडार' प्लान

Indian Army radar upgrade: भारतीय सेना को अब एक ऐसे देसी घातक रडार सिस्टम की जरूरत है, जो किसी भी अत्याधुनिक हवाई खतरे को समय रहते भांप सके, चाहे वह कितना भी गुप्त क्यों न हो. ऐसे में, भारत को न केवल देश की सुरक्षा को मजबूती मिलेगी, बल्कि दुश्मनों के सबसे खतरनाक हवाई हथियारों की हर चाल को नाकाम करने में सक्षम होगी.

इंडियन आर्मी बस ले ले ये फैसला, चीनी J-35 क्या अमेरिकी B2 बॉम्बर का भी खत्म हो जाएगा रौला; जानें क्या है 'गेम-रडार' प्लान
  • इंडियन आर्मी को चाहिए एडवांस एंटी-स्टील्थ रडार
  • आधुनिक हमलों को रोक सकते हैं ये एडवांस रडार

Indian Army radar: दुनिया भर में युद्ध के तौर-तरीके बदल चुके हैं. अब जमीनी जंग के बजाए हवाई ताकत को भुनाया जा रहा है. ऐसे में, एडवांस रडार सिस्मट किसी भी देश के लिए उसकी 'अभेद्य ढाल' के समान है. भारत भी अपनी सैन्य शक्ति को लगातार मजबूत कर रहा है, लेकिन अब एक ऐसे अत्याधुनिक रडार सिस्टम की सख्त जरूरत महसूस हो रही है जो न केवल हमारी सीमाओं को सुरक्षित करेगा, बल्कि दुश्मनों के सबसे एडवांस लड़ाकू विमानों और बॉम्बर्स को भी हवा में ही पकड़ कर उनके मंसूबों पर पानी फेर देगा.

भारत के लिए क्यों जरूरी है अपना रडार सिस्टम?
दुनिया के ताकतवर देश पांचवी पीढ़ी से आगे बढ़कर छठवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान बनाने में जुट चुके हैं. इतना ही नहीं, हाइपरसोनिक मिसाइलों व बमवर्षक विमानों का भी जखीरा तैयार किया जा रहा है. ऐसे में, भारत को अपनी सीमाओं की सुरक्षा के लिए ऐसी रडार सिस्टम चाहिए जो इन उन्नत विमानों व हथियारों की समय रहते पहचान कर सके, भले ही वे कितनी भी चालाकी से छिपकर हमला करने में माहिर हों.

आधुनिक हथियारों का देगा जवाब
आज, चीन-अमेरिका जैसे देशों के पास बियॉन्ड विजुअल रेंज मिसाइल, स्टील्थ फाइटर जेट व बॉब्मर्स हैं. इन किस्म के हथियारों से मुकाबले के लिए, एडवांस सेंसर और नेटवर्क-सेंटर टारगेट आधारित सिस्टम की जरूरत सबसे ज्यादा है.

एक रिपोर्ट के मुताबिक, वियतनाम युद्ध के बाद से हवा से हवा में होने वाली लड़ाई Mach 3 से अधिक गति वाली मिसाइलों पर निर्भर हो गई है. खाड़ी युद्ध में भी, अमेरिकी लड़ाकू विमान शायद ही कभी Mach 1 से अधिक गति पर उड़े हों, जबकि पायलटों ने दूर से लॉन्च की गई रडार-निर्देशित मिसाइलों पर भरोसा किया. ऐसे में ये एडवांस रडार ही इन्हें पकड़ पाएंगे.

अभेद्य होगी भारत की सभी सीमाएं
बता दें, DRDO के पास इस क्षेत्र में मजबूत अनुसंधान और विकास की नींव है. वहीं, निजी क्षेत्र की भागीदारी  इस प्रक्रिया को तेज कर सकती है. जिसमें टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स लिमिटेड, भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड, और अन्य उभरते स्टार्टअप शामिल हैं.

ये डिफेंस कंपनियां रडार विनिर्माण, एयरोस्पेस इलेक्ट्रॉनिक्स और संबंधित प्रौद्योगिकियों में अपनी क्षमताओं का प्रदर्शन कर चुकी हैं. निजी क्षेत्र के फास्ट प्रोडक्शन व कम लागत का तरीका, इस गेमचेंजर प्लान को जबरदस्त तेजी देगा. जिससे भारत कम समय में एक एडवांस और सुरक्षित रडार सिस्टम विकसित कर सकेगा.

चुनौतियों का करना पड़ सकता है सामना
एक एडवांस रडार सिस्मट विकसित करना चुनौतियों से भरा होता है. इसमें अत्याधुनिक सेंसर, सिग्नल प्रोसेसिंग, और काउंटर-इलेक्ट्रॉनिक युद्ध क्षमताओं से लैस करना होता है. 

जिससे दुश्मन के एंटी-रडार हथियारों व लड़ाकू विमानों को पकड़ने के लिए, इन सिस्टम को लगातार अपग्रेड करने की जरूरत होगी. हालांकि, इसके सामरिक लाभ अपार हैं. एक स्वदेशी रडार प्रणाली भारतीय सेना को सीमावर्ती क्षेत्रों में घुसपैठ को बेहतर ढंग से रोकने, हवाई खतरों का पता लगाने और अपनी मिसाइल रक्षा प्रणालियों को अधिक प्रभावी ढंग से निर्देशित करने में सक्षम बनाएगी.

यह न केवल हमारी हवाई और जमीनी सीमाओं की सुरक्षा बढ़ाएगा बल्कि युद्ध के मैदान में हमारी सेना को एक निर्णायक बढ़त भी देगा, जिससे दुश्मनों के लिए किसी भी दुस्साहस का सोचना भी मुश्किल हो जाएगा.

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