trendingNow1zeeHindustan2454664
Hindi news >> Zee Hindustan>> राष्ट्र
Advertisement

सद्गुरु महिलाओं को संन्यासियों की तरह जीवन जीने के लिए क्यों कह रहे हैं?

Madras High Court Sadhguru Matter: एक सेवानिवृत्त प्रोफेसर ने आरोप लगाया था कि उनकी दो बेटियों का 'ब्रेनवॉश' कर उन्हें सद्गुरु के ईशा योग केंद्र में स्थायी रूप से रहने के लिए मजबूर किया गया.

सद्गुरु महिलाओं को संन्यासियों की तरह जीवन जीने के लिए क्यों कह रहे हैं?
  • अदालत में पहुंची महिलाओं ने क्या कहा?
  • ईशा फाउंडेशन ने क्या कहा?
  •  

Sadhguru News: मद्रास उच्च न्यायालय ने सवाल उठाया है कि जब आध्यात्मिक नेता सद्गुरु जग्गी वासुदेव ने अपनी बेटी की शादी कर दी है, तो वे युवतियों को सिर मुंडवाने और सांसारिक जीवन त्यागकर संन्यासी की तरह जीवन जीने के लिए क्यों प्रोत्साहित कर रहे हैं?

न्यायमूर्ति एस एम सुब्रमण्यम और वी शिवगनम की पीठ ने ईशा फाउंडेशन के संस्थापक से यह सवाल तब पूछा, जब एक सेवानिवृत्त प्रोफेसर ने आरोप लगाया कि उनकी दो सुशिक्षित बेटियों का 'ब्रेनवॉश' कर उन्हें ईशा योग केंद्र में स्थायी रूप से रहने के लिए मजबूर किया गया है.

कोयंबटूर में तमिलनाडु कृषि विश्वविद्यालय में पढ़ाने वाले एस कामराज ने अपनी बेटियों को व्यक्तिगत रूप से अदालत में पेश करने की मांग करते हुए याचिका दायर की थी.

अदालत में पहुंची महिलाओं ने क्या कहा?
अदालत में सोमवार को उपस्थित हुईं 42 और 39 वर्षीय दोनों महिलाओं ने कहा कि वे अपनी इच्छा से ईशा फाउंडेशन में रह रही हैं और उन्हें हिरासत में नहीं लिया गया है. महिलाओं ने एक दशक पुराने मामले में पहले भी ऐसी ही गवाही दी थी, जब उनके माता-पिता ने दावा किया था कि जब से उन्होंने उन्हें 'छोड़ दिया' है, तब से उनका जीवन 'नरक' बन गया है.

हालांकि, न्यायाधीशों ने मामले की आगे जांच करने का फैसला किया और पुलिस को ईशा फाउंडेशन से संबंधित सभी मामलों की सूची तैयार करने का निर्देश दिया. न्यायमूर्ति शिवगनम ने कहा, 'हम जानना चाहते हैं कि जिस व्यक्ति ने अपनी बेटी का विवाह कर दिया और उसे जीवन में अच्छी तरह से स्थापित कर दिया, वह दूसरों की बेटियों को सिर मुंडवाने और संन्यासिनी का जीवन जीने के लिए क्यों प्रोत्साहित कर रहा है.?'

ईशा फाउंडेशन ने क्या कहा?
ईशा फाउंडेशन ने दावा किया कि महिलाएं स्वेच्छा से उनके साथ रहना चाहती हैं. उन्होंने कहा, 'हमारा मानना ​​है कि वयस्क व्यक्तियों को अपना रास्ता चुनने की स्वतंत्रता और विवेक है. हम विवाह या संन्यासी बनने के लिए बाध्य नहीं करते, क्योंकि ये व्यक्तिगत विकल्प हैं. ईशा योग केंद्र में हजारों ऐसे लोगों को स्थान मिलता है जो संन्यासी नहीं हैं, साथ ही कुछ ऐसे भी लोग हैं जिन्होंने ब्रह्मचर्य या संन्यासी बनने का निर्णय लिया है.'

ये भी पढ़ें- सेक्स ने छीन ली गर्लफ्रेंड की जिंदगी, प्राइवेट पार्ट फटा, नहीं रुका खून और बॉयफ्रेंड ऑनलाइन ढूंढता रहा इलाज

Zee Hindustan News App: देश-दुनिया, बॉलीवुड, बिज़नेस, ज्योतिष, धर्म-कर्म, खेल और गैजेट्स की दुनिया की सभी खबरें अपने मोबाइल पर पढ़ने के लिए डाउनलोड करें ज़ी हिंदुस्तान न्यूज़ ऐप. 

Read More