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भारत के स्वदेशी लड़ाकू विमानों की इस इंजन में बसती है जान, अमेरिका से पीछा छुड़ाने के लिए बेहद जरूरी

India's Tejas Mk2 fighter jet: तेजस एमके2 भले ही विदेशी दिल के साथ उड़ान भरता हो, लेकिन यह सही मायने में भारतीय तभी बन पाएगा जब कावेरी इंजन सफल होगा. यह परियोजना केवल इंजीनियरिंग के बारे में नहीं है, यह संप्रभुता, स्थिरता और आत्मनिर्भरता के बारे में है. 

भारत के स्वदेशी लड़ाकू विमानों की इस इंजन में बसती है जान, अमेरिका से पीछा छुड़ाने के लिए बेहद जरूरी

What is Kaveri engine: रक्षा निर्माण में आत्मनिर्भरता की भारत की कोशिश उसकी सबसे महत्वाकांक्षी और चुनौतीपूर्ण परियोजनाओं में से एक पर टिकी है और वो है कावेरी इंजन (Kaveri Engine). भारत के स्वदेशी लड़ाकू विमानों को शक्ति प्रदान करने के लिए डिजाइन किया गया कावेरी दशकों से निर्माणाधीन है.

कावेरी इंजन क्या है?
कावेरी इंजन एक स्वदेशी जेट इंजन है जिसे भारत के DRDO (रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन) के अंतर्गत आने वाली प्रयोगशाला, गैस टर्बाइन अनुसंधान प्रतिष्ठान (GTRE) द्वारा विकसित किया गया है. इसकी परिकल्पना मूल रूप से 1980 के दशक में भारत के हल्के लड़ाकू विमान (LCA), तेजस को शक्ति प्रदान करने के लिए की गई थी.

आफ्टरबर्नर युक्त टर्बोफैन इंजन वाला कावेरी इंजन लगभग 90-100 किलोन्यूटन का थ्रस्ट उत्पन्न करने के लिए डिजाइन किया गया है, जो इसे हल्के से मध्यम श्रेणी के लड़ाकू विमानों के लिए उपयुक्त बनाता है.

यह अभी भी सेवा में क्यों नहीं?
वर्षों के परीक्षण और विकास के बावजूद, कावेरी इंजन को कभी भी पूरी तरह से उड़ान योग्य घोषित नहीं किया गया है. इसे वजन, थ्रस्ट आउटपुट और सहनशक्ति से जुड़ी लगातार समस्याओं का सामना करना पड़ा है. हालांकि रूस में IL-76 परीक्षण स्थल पर इसका उड़ान परीक्षण और भारत में जमीनी परीक्षण किया गया है, फिर भी यह प्रदर्शन के मामले में GE F404 या यूरोजेट EJ200 जैसे वैश्विक प्रतिस्पर्धियों से पीछे है. परिणामस्वरूप, तेजस Mk1 में GE F404 इंजन का उपयोग किया गया है और तेजस Mk2 में अधिक शक्तिशाली GE F414 इंजन का उपयोग करने की योजना है.

Tejas Mk2 को लंबे समय में इसकी जरूरत क्यों है?
Tejas Mk2, जिसे मध्यम वेट वाला लड़ाकू विमान (MWF) भी कहा जाता है, भारत का अगली पीढ़ी का एडवांस संस्करण है जिसमें बेहतर पेलोड, रेंज और एवियोनिक्स हैं. हालांकि यह अपनी शुरुआत अमेरिकी जीई एफ414 इंजन से करेगा, लेकिन विदेशी इंजनों पर निर्भरता लंबे समय में रणनीतिक कमजोरियों को जन्म दे सकती हैं, खासकर भू-राजनीतिक तनाव या प्रतिबंधों के दौरान. अगर भारत अपने लड़ाकू विमान कार्यक्रम पर पूर्ण नियंत्रण चाहता है, तो उसे अंततः एक स्वदेशी पावरप्लांट की आवश्यकता होगी. यहीं पर कावेरी की भूमिका आती है.

फ्रांसीसी Safran का सहयोग
भारत ने अब कावेरी इंजन को पुनर्जीवित और उन्नत करने के लिए फ्रांसीसी इंजन निर्माता सफ्रान के साथ साझेदारी की है. इसमें सफ्रान की विशेषज्ञता का उपयोग करके मुख्य डिजाइन संबंधी समस्याओं को ठीक करना और संभवतः Mk2 या भविष्य के मानवरहित लड़ाकू हवाई वाहनों (UCAV) के लिए उपयुक्त एक उच्च-थ्रस्ट संस्करण विकसित करना शामिल है. इस सहयोग से एक अलग कावेरी की भूमिका विकसित हो सकती है जिसे आने वाले वर्षों में, संभवतः 2027-28 के आसपास, प्रमाणित किया जा सकता है.

रणनीतिक दांव 
अपने इंजन के बिना, भारत अपनी सबसे महत्वपूर्ण रक्षा तकनीक के लिए हमेशा बाहरी आपूर्तिकर्ताओं पर निर्भर रहेगा. जेट इंजन एयरोस्पेस इंजीनियरिंग का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं, और बहुत कम देशों ने इनमें महारत हासिल की है. एक कार्यशील कावेरी इंजन प्राप्त करने से न केवल तेजस Mk2 को मदद मिलेगी, बल्कि यह भारत के पांचवीं पीढ़ी के AMCA लड़ाकू विमान, डबल इंजन वाले डेक-आधारित लड़ाकू विमानों और भविष्य के ड्रोनों की नींव रखेगा. यह केवल एक विमान की बात नहीं है, यह भारत की अपने संपूर्ण रक्षा तंत्र को शक्ति प्रदान करने की क्षमता से जुड़ा है.

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