why did akbar left fatehpur sikri: इतिहास में ऐसे कई शहर हैं जिनकी कहानी बड़ी अनोखी है. ऐसा ही एक शहर है, जिसे मुगल बादशाह अकबर ने बड़े प्यार से बनवाया था. यह शहर अपनी खूबसूरती और शानदार इमारतों के लिए जाना जाता है, लेकिन कुछ ही सालों में यह वीरान हो गया. आखिर क्या वजह थी कि अकबर को अपना इतना पसंदीदा शहर छोड़ना पड़ा? आइए इतिहास के पन्नों को पलटते हैं, और सच्चाई से रूबरू होते हैं.
फतेहपुर सीकरी को मिला था राजधानी का दर्जा
हम जिस शहर की बात कर रहे हैं, वह भारत का ऐतिहासिक शहर ‘फतेहपुर सीकरी’ है, जिसका निर्माण 1569 से 1571 ईस्वी के बीच शुरू हुआ था. अकबर ने इस शहर को सूफी संत शेख सलीम चिश्ती के सम्मान में बनवाया था. संत ने ही अकबर के बेटे जहांगीर के जन्म की भविष्यवाणी की थी. अकबर अक्सर संत के आशीर्वाद लेने के लिए सीकरी जाते थे. निर्माण पूरा होने के तुरंत बाद, करीब 1571-1572 ईस्वी में अकबर ने इसे मुगल साम्राज्य की राजधानी बना दिया. यहां बुलंद दरवाजा, जोधाबाई महल और दीवान-ए-खास जैसी कई शानदार इमारतें बनाई गईं, जो अकबर के सपनों का शहर थीं.
हालांकि, एक वक्त ऐसा भी आया जब फतेहपुर सीकरी को छोड़कर, अकबर को लाहौर जाना पड़ा. जिसके पीछे की सबसे बड़ी वजहें कुछ यूं थीं.
पानी की भारी कमी
फतेहपुर सीकरी को छोड़ने का सबसे बड़ा और मुख्य कारण था पानी की भारी कमी और सूखा. शहर जिस जगह पर बसा था, वहां पानी के प्राकृतिक स्रोत बहुत कम थे. शहर की जरूरतों को पूरा करने के लिए तालाबों और नहरों पर निर्भर रहना पड़ता था. इतिहासकार विंसेंट ए. स्मिथ और इरफान हबीब जैसे कई इतिहासकारों का मानना है कि लगातार पड़े सूखे और जल स्रोतों के सूख जाने से शहर में इतनी आबादी और शाही दरबार का रहना मुश्किल हो गया. जिसके चलते एक बड़े शहर के लिए पर्याप्त पानी की व्यवस्था नहीं हो पाई.
सामरिक मजबूरियां और अन्य वजहें
पानी की कमी के अलावा कुछ और कारण भी बताए जाते हैं. कई इतिहासकार मानते हैं कि अकबर को अपनी साम्राज्य की पश्चिमी सीमा पंजाब और अफगानिस्तान पर ज्यादा ध्यान देना पड़ रहा था, क्योंकि वहां से हमले का खतरा था. फतेहपुर सीकरी, आगरा से दूर होने के कारण इन हमलों को संभालने के लिए रणनीतिक तौर पर कम सही जगह थी. इसलिए, लाहौर जैसी जगहें सेना के लिए बेहतर थीं.
कुछ इतिहासकारों का यह भी मानना है कि अकबर का स्वभाव घूमने वाला था. वह किसी एक जगह पर बहुत लंबे समय तक रुकना पसंद नहीं करते थे, या शायद वे लगातार नए इलाकों में अपनी सत्ता बढ़ाना चाहते थे. शहर में पानी की निकासी और साफ-सफाई की कुछ समस्याएं भी थीं, जो बढ़ती आबादी के साथ स्वास्थ्य के लिए खतरा बन सकती थीं.
क्या है आज फतेहपुर सीकरी की स्थिति?
करीब 1585 ईस्वी में अकबर ने फतेहपुर सीकरी को छोड़ दिया. वह पहले लाहौर चले गए और फिर बाद में आगरा वापस आ गए. इस तरह, यह खूबसूरत शहर जो मुश्किल से 14-15 साल तक राजधानी रहा, वीरान हो गया.
आज फतेहपुर सीकरी यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थलों में से एक है. इसकी खाली इमारतें और शानदार वास्तुकला आज भी उस दौर की भव्यता और अकबर की सोच को दिखाती हैं.
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