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क्या भारत को UNSC में मिल पाएगी स्थाई सीट? फ्रांस वीटो अधिकार इस्तेमाल करने को तैयार

Permanent seat in UNSC: फ्रांस ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) के विस्तार और भारत को वीटो शक्तियों के साथ स्थायी सदस्य के रूप में सुधारित UNSC में शामिल करने का समर्थन किया है.

क्या भारत को UNSC में मिल पाएगी स्थाई सीट? फ्रांस वीटो अधिकार इस्तेमाल करने को तैयार

India UNSC Seat: फ्रांस ने वीटो के अधिकार के साथ संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में स्थायी सीट के लिए भारत के दावे का समर्थन किया है. फ्रांस ने UNSC के विस्तार और अफ्रीका, ब्राजील, जर्मनी और जापान को अन्य नए स्थायी सदस्यों के रूप में शामिल करने का भी समर्थन किया है.

वर्तमान में UNSC में केवल पांच स्थायी वीटो-धारक सदस्य हैं: संयुक्त राज्य अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम, फ्रांस, चीन और रूस.

न्यायसंगत प्रतिनिधित्व पर UNSC चर्चा में एक बयान में, फ्रांस ने मंगलवार को कहा कि UNSC का ऐसा विस्तार 'सुरक्षा परिषद की प्रभावशीलता और प्रतिनिधित्व को मजबूत करेगा, जो हमारे सामूहिक सुरक्षा वास्तुकला की आधारशिला है.'

संयुक्त राष्ट्र में फ्रांस के उप स्थायी प्रतिनिधि जय धर्माधिकारी ने कहा, 'हम अफ्रीकी देशों के साथ-साथ ब्राजील, भारत, जर्मनी और जापान को भी दो स्थायी सीटें देने के पक्ष में हैं, जो उनके भौगोलिक समूहों के लिए बनाई जाएंगी. फ्रांस भविष्य के स्थायी सदस्यों के लिए इस दर्जे से जुड़े सभी विशेषाधिकारों का अनुरोध करना वैध मानता है, जिसमें वीटो का अधिकार भी शामिल है.'

भारत, ब्राजील, जर्मनी और जापान 'जी4' समूह के सदस्य हैं. वे UNSC में सुधार चाहते हैं, जिसमें वीटो अधिकारों के साथ स्थायी सदस्यता का विस्तार शामिल है.

हाल के वर्षों में, UNSC की आलोचना इस बात के लिए हुई है कि यह विकसित हो रही दुनिया की वास्तविकताओं का पर्याप्त प्रतिनिधित्व नहीं कर रहा है और द्वितीय विश्व युद्ध के बाद के युग में फंस गया है. UNSC की आलोचना इस बात के लिए भी की गई है कि यह पश्चिम और चीन-रूस ब्लॉक के बीच टकराव के कारण पंगु हो गया है, जहां चीन और रूस ने हाल के वर्षों में अपने वीटो का अंधाधुंध इस्तेमाल किया है.

फ्रांस ने भारत को यह समर्थन ऐसे समय दिया है जब एक दिन पहले ही G4 ने धर्म के आधार पर यूएनएससी के विस्तार के प्रस्ताव को खारिज कर दिया था. G4 की ओर से यूएन में भारत के स्थायी प्रतिनिधि पार्वथानेनी हरीश ने कहा, 'परिषद में सुधार के लिए धार्मिक संबद्धता जैसे नए मापदंडों को शामिल करने का प्रस्ताव संयुक्त राष्ट्र की स्थापित परंपरा के विपरीत है.'

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