भारत अपनी हवाई ताकत बढ़ाने की तैयारी में है. इसके लिए इंडियन एयरफोर्स (IAF) जल्द ही पांचवी पीढ़ी के लड़ाकू विमान खरीद सकती है. रक्षा सचिव राजेश कुमार सिंह ने इस बात की पुष्टि की है. यह कदम क्षेत्र में बढ़ते तनाव और IAF की घटती स्क्वाड्रन ताकत के बीच उठाया जा रहा है.
पांचवी पीढ़ी के विमानों की जरूरत
IAF को पांचवी पीढ़ी के लड़ाकू विमानों की सख्त जरूरत है. इसकी वजह चीन द्वारा J-20 और J-35 जैसे स्टील्थ फाइटर्स की तैनाती है. साथ ही, पाकिस्तान द्वारा 2025 तक चीन से 40 J-35 जेट खरीदने की खबरों ने भी भारत की चिंता बढ़ा दी है.
एयर चीफ मार्शल ए पी सिंह ने भी इंडिया टुडे कॉन्क्लेव 2025 में कहा था कि अगर पाकिस्तान ऐसे विमान खरीदता है तो दक्षिण एशिया में सामरिक संतुलन बदल जाएगा.
AMCA प्रोग्राम और उसकी अहमियत
भारत का खुद का पांचवी पीढ़ी का विमान, AMCA एयरोनॉटिकल डेवलपमेंट एजेंसी (ADA) और हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) द्वारा विकसित किया जा रहा है.
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने मई 2025 में इस प्रोजेक्ट को मंजूरी दी थी. यह एक ट्विन-इंजन, हर मौसम में उड़ने वाला स्टील्थ फाइटर है. यह हवाई श्रेष्ठता, जमीनी हमले और इलेक्ट्रॉनिक युद्ध के लिए डिजाइन किया गया है.
हालांकि, इसके बनने में 2035 तक का समय लग सकता है. इसलिए, तब तक के लिए IAF को अंतरिम समाधान की तलाश है.
संभावित विकल्प: F-35 या Su-57?
रक्षा रिपोर्टों के अनुसार, भारत अमेरिका के लॉकहीड मार्टिन F-35 या रूस के सुखोई Su-57 पर विचार कर रहा है. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने फरवरी 2025 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ बैठक के दौरान F-35 की पेशकश की थी.
वहीं, रूस ने Su-57 के सह-उत्पादन का प्रस्ताव दिया है. रूस, भारत का एक पुराना रक्षा भागीदार है. यह HAL की नासिक में मौजूदा Su-30MKI उत्पादन लाइन का उपयोग करने की योजना बना रहा है.
चुनौतियां और आगे की राह
रिपोर्ट के मुताबिक, F-35 महंगा है, जिसकी लागत 80-110 मिलियन डॉलर प्रति यूनिट है. साथ ही, भारत के रूसी मूल के उपकरणों के साथ अमेरिकी निगरानी की चुनौतियां पेश करते हैं. Su-57 सस्ता हो सकता है और टेक्नोलॉजी ट्रांसफर भी संभव है. लेकिन इसकी स्टील्थ क्षमता और विश्वसनीयता पर सवाल उठाए गए हैं.
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