हाथी भारत का राष्ट्रीय धरोहर पशु है. ये ना सिर्फ जंगलों के सबसे बड़े और ताकतवर जानवरों में से एक हैं, बल्कि धार्मिक और सांस्कृतिक रू...
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, भारत में करीब 30 हजार हाथी हैं. इनमें से सबसे ज्यादा यानी लगभग 6,049 हाथी अकेले कर्नाटक में रहते हैं. यह आंकड़ा साल 2017 में आई 'ऑल इंडिया एलीफेंट एस्टिमेशन रिपोर्ट' से लिया गया है, जो पर्यावरण मंत्रालय के 'प्रोजेक्ट एलीफेंट' के तहत जारी की गई थी. मतलब साफ है, भारत के कुल हाथियों में सबसे बड़ा हिस्सा कर्नाटक में है.
कर्नाटक में हाथियों के रहने के लिए शानदार माहौल है. यहां घने जंगल, पहाड़ी इलाके और पर्याप्त पानी के स्रोत मौजूद हैं. नागरहोल, बांदीपुर, बन्नेरघट्टा और दांदेली जैसे जंगल हाथियों के लिए सबसे पसंदीदा जगहों में शामिल हैं. इन इलाकों में हाथियों को खाना, पानी और खुले इलाके आसानी से मिल जाते हैं, जिससे वे बिना परेशानी के रह सकते हैं.
हालांकि, कर्नाटक सबसे आगे है, लेकिन कुछ और राज्य भी हैं जहां बड़ी संख्या में हाथी पाए जाते हैं. असम में करीब 5,719 और केरल में लगभग 3,054 हाथी हैं. पूर्वोत्तर और दक्षिण भारत के कई राज्यों में हाथियों की अच्छी खासी संख्या है, लेकिन कर्नाटक में उनका सबसे बड़ा और स्थायी ठिकाना है.
एक तरफ जहां हाथियों की संख्या राहत देने वाली है, वहीं दूसरी तरफ इंसानों और हाथियों के बीच टकराव की घटनाएं भी बढ़ रही हैं. जंगलों की कटाई, खेती का फैलाव और रिहायशी इलाकों के पास हाथियों की मौजूदगी से कई बार फसलों और जान-माल का नुकसान हो जाता है. इससे इंसान और जानवर दोनों को खतरा होता है.
हाथियों की सुरक्षा के लिए भारत सरकार ने 1992 में Project Elephant की शुरुआत की थी. इसका मकसद हाथियों के रहने के लिए सुरक्षित जगह बनाना और जंगलों के बीच आने-जाने के रास्तों (कॉरिडोर) को बचाना है. कर्नाटक जैसे राज्यों ने अपने स्तर पर भी हाथियों की सुरक्षा और देखभाल के लिए कई कदम उठाए हैं.