दिल्ली में स्थित लाल किला भारत के इतिहास और संस्कृति का एक अहम हिस्सा है. हर साल 15 अगस्त को जब प्रधानमंत्री इसकी प्राचीर से तिरंगा ...
लाल किला मुगल बादशाह शाहजहां ने बनवाया था. उन्होंने अपनी राजधानी आगरा से दिल्ली शिफ्ट करने का फैसला किया और एक नया शहर बसाया, जिसका नाम था शाहजहांबाद. इसी शहर के बीचों-बीच उन्होंने 1639 में लाल किले का निर्माण शुरू करवाया. यह किला ना सिर्फ एक शाही निवास था बल्कि शासन और प्रशासन का भी केंद्र था.
लाल किले का निर्माण 12 मई 1639 को शुरू हुआ और इसे पूरा होने में करीब 10 साल लगे. इसका काम 6 अप्रैल 1648 तक चला. यानी अगर दिनों में गिनें तो करीब 3650 से 3660 दिन लगे. इस भव्य किले की डिजाइन तैयार की थी उस्ताद अहमद लाहौरी ने, जो ताजमहल के वास्तुकार भी थे.
लाल किले को बनवाने में कितना खर्च हुआ था, इसका सटीक हिसाब इतिहास में नहीं मिलता. उस समय के दस्तावेजों में इसकी लागत को लेकर कोई पक्की जानकारी दर्ज नहीं है. लेकिन कुछ स्रोतों में ताजमहल के निर्माण पर करीब 50 लाख रुपये खर्च होने की बात कही गई है, लेकिन लाल किले की लागत को लेकर कोई पुष्टि नहीं है. इसलिए इसका अंदाजा लगाना मुश्किल है.
लाल किले की दीवारें लाल बलुआ पत्थर से बनी हैं, जो इसे खास पहचान देती हैं. किले के अंदर कई शानदार इमारतें हैं जैसे दीवान-ए-आम, दीवान-ए-खास, रंग महल, और नहर-ए-बहिश्त. इसकी वास्तुकला में मुगल, फारसी, और भारतीय शैली का सुंदर मेल देखने को मिलता है. यह किला सिर्फ एक ऐतिहासिक इमारत नहीं, बल्कि भारत के गौरव का प्रतीक बन चुका है.
आज लाल किला UNESCO वर्ल्ड हेरिटेज साइट है. यह भारत के स्वतंत्रता संग्राम का गवाह भी रहा है और अब हर साल स्वतंत्रता दिवस पर राष्ट्रीय झंडा यहीं फहराया जाता है. लाखों लोग हर साल इसे देखने आते हैं और भारत की महान विरासत को महसूस करते हैं.