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भारत में कहां हैं सबसे ज्यादा मोर? UPSC के महारथी भी नहीं दे पाते सही जवाब!

Peacock: भारत में कुछ जगहों पर बारिश शुरू हो चुकी है, ऐसे में जंगल में अक्सर मोर नाचते हुए आपको दिख जाएंगे. बर...

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भारत में कहां पाए जाते हैं सबसे अधिक मोर?
भारत में कहां पाए जाते हैं सबसे अधिक मोर?

हाल ही में हुई एक रिसर्च के मुताबिक, भारत के राष्ट्रीय पक्षी मोर की संख्या में वृद्धि हुई है. जिसमें तमिलनाडु पहले स्थान पर है.

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रिसर्च के अनुसार हुई वृद्धी
रिसर्च के अनुसार हुई वृद्धी

सलीम अली सेंटर फॉर ऑर्निथोलॉजी एंड नेचुरल हिस्ट्री (SACON), कोयंबटूर के वैज्ञानिकों द्वारा किए गए एक साल के अध्ययन से पता चला है कि तमिलनाडु में मोरों की आबादी में तेजी से बढ़ोत्तरी हुई है.

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तमिलनाडु में मोरों की संख्या कितनी है?
तमिलनाडु में मोरों की संख्या कितनी है?

तमिलनाडु में मोरों की आबादी तेजी से बढ़ रही है. 2024 में हुए SACON की स्टडी के मुताबिक, तमिलनाडु के 32 जिलों में लगभग 1,000 मोर देखे गए हैं. 

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कितनी वृद्धि हुई?
कितनी वृद्धि हुई?

पिछले साल की गई स्टडी के मुताबिक, तमिलनाडु में मोरों की अधिकतम संख्या 61 लाख है. जो भविष्य में और बढ़ने की संभावना है.

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भारत का राष्ट्रीय पक्षी है मोर
भारत का राष्ट्रीय पक्षी है मोर

मोर को 1963 में भारत का राष्ट्रीय पक्षी घोषित किया गया था. यह फैसला भारतीय संस्कृति में मोर के धार्मिक और पौराणिक महत्व को ध्यान में रखते हुए लिया गया था.

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मोर और मोरनी में क्या अंतर?
मोर और मोरनी में क्या अंतर?

कई लोग मोर-मोरनी को पहचानने में अक्सर कन्फ्यूज हो जाते हैं. जबकि इनके अंतर को आसानी से पहचाना जा सकता है. दरअसल, मोरों के लंबे और रंगीन पंख होते हैं, जिनका प्रयोग वे मोरनी को आकर्षित करने के लिए करते हैं. जबकि मोरनी के पंख छोटे और भूरे रंग के होते हैं.

 

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इन जगहों पर भी पाए जाते हैं अधिक मोर
इन जगहों पर भी पाए जाते हैं अधिक मोर

भारत में ऐसी बहुत सी जगहें हैं, जहां पर तमिलनाडु के बाद सबसे ज्यादा मोर पाए जाते हैं. जिनमें राजस्थान, कर्नाटक, केरल जैसे राज्य शामिल हैं. इन राज्यों का बड़ा भूभाग जंगलों से घिरा हुआ है. यही वजह है कि मोरों के रहने के लिए ये राज्य सुरक्षित बन जाते हैं.

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मोरों को मारने पर क्या है सजा?
मोरों को मारने पर क्या है सजा?

मोर को मारना वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 (Wildlife Protection Act, 1972) के तहत एक अपराध है, जिसके लिए 7 साल तक की सजा और जुर्माना हो सकता है. 





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