भारत ने स्वदेशी जोरावर लाइट टैंक विकसित कर लिया है, जो रक्षा के क्षेत्र में एक बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है. ये ऊंचाई वाले इलाकों जैसे- लद्दाख और अरुणाचल प्रदेश में आर्मी ऑपरेशन चलाने के लिए डिजाइन किया गया है. जुलाई 2025 में इस टैंक का पहला आर्मी ट्रायल राउंड शुरू हो जाएगा. इसमें ये अपनी ताकत को साबित करेगा.
जोरावर टैंक जो DRDO के कॉम्बैट व्हीकल्स रिसर्च एंड डेवलपमेंट एस्टैब्लिशमेंट (CVRDE) और L&T ने विकसित किया है. इसके पहले प्रोटोटाइप को जुलाई 2024 में L&T की हजीरा (गुजरात) फैसिलिटी में प्रदर्शित किया गया था. जरूरी बात है कि ये मात्र 19 महीनों में विकसित हो गया था.
सितंबर 2024 में राजस्थान के महाजन फील्ड फायरिंग रेंज में रेगिस्तानी इलाके में इसका पहले फेज का परीक्षण हुआ, जिसमें टैंक की स्पीड और 105 मिमी तोप की सटीकता देखी गई. दिसंबर 2024 में लद्दाख के न्योमा फील्ड फायरिंग रेंज में 4200 मीटर से अधिक ऊंचाई पर इसका परीक्षण किए हुआ, यहां भी ये टैंक सफल रहा.
जोरावर लाइट टैंक के नाम से ही इसकी खूबियां सामने आ जाती हैं. ये ऊंचाई और दुर्गम इलाकों से संचालित होने के लिए डिजाइन किया गया है. इसका वजन लगभग 25 टन है, जो इसे बाकी टैंकों से हल्का बनाता है.
बता दें कि 2020 से 2022 के बीच भारत-चीन का सीमा विवाद चला था. लद्दाख में लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (LAC) पर तनाव रहा. तब चीन ने अपने हल्के वजन वाले टैंक यहां तैनात कर दिए थे. तब भारत को भी हल्के टैंकों की आवश्यकता हुई और फिर इनका निर्माण शुरू हुआ.