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भारतीय सेना का कोई अधिकारी कितने समय तक रह सकता है आर्मी चीफ, जानें सैलरी और पावर

Indian Army Chief power perks and tenure: देश में वरीयता क्रम, पदाधिकारियों, गणमान्य व्यक्तियों की श्रृंखला में आर्मी जनरल 12वें नंबर पर आता है. देश में आर्मी जनरल की सैलरी ढाई लाख रुपये होती है. इस पद का कार्यकाल सामान्य तौर पर तीन साल का होता है.

भारतीय सेना का कोई अधिकारी कितने समय तक रह सकता है आर्मी चीफ, जानें सैलरी और पावर
  • कितनी होती है आर्मी जनरल की पावर?
  • कितना लंबा होता है इस पद का कार्यकाल?

नई दिल्ली. इंडियन आर्मी का हिस्सा बनना देश में किसी भी युवा का सपना होता है. उसमें देश की तीनों में से किसी एक सेना का चीफ होना, शायद सबसे बड़े सपनों में से एक है. अगर इंडियन आर्मी की बात करें तो इस वक्त इसके चीफ जनरल उपेंद्र द्विवेदी हैं. वह देश के 30वें चीफ ऑफ द आर्मी स्टाफ हैं. जनरल मनोज पांडे के बाद उन्होंने 30 जून 2024 को नए आर्मी चीफ का पदभार ग्रहण किया है. 

कार्यकाल, विशेष शक्तियां और सुविधाएं
आर्मी चीफ का जिक्र आते ही यह खयाल आता है कि इस पद का कार्यकाल, विशेष शक्तियां और सुविधाएं क्या-क्या हैं? 4 स्टार आर्मी जनरल का काम देश की सेना की जिम्मेदारी शांति और युद्ध के वक्त संभालना होता है. देश में वरीयता क्रम, पदाधिकारियों, गणमान्य व्यक्तियों की श्रृंखला में आर्मी जनरल 12वें नंबर पर आता है. इस पद का सृजन 76 वर्ष पहले 21 जून 1948 को हुआ था. 

कितनी होती है सैलरी, कितना होता है कार्यकाल
देश में आर्मी जनरल की सैलरी ढाई लाख रुपये होती है. इस पद का कार्यकाल सामान्य तौर पर तीन साल का होता है. तीन साल या फिर 62 वर्ष की उम्र जो भी पहले पड़ता है उसके आधार पर इस पद का कार्यकाल तय होता है. 

कैसे होती है नियुक्ति
इस पद पर नियुक्ति की प्रक्रिया के तहत रक्षा मंत्रालय आर्मी के वाइस चीफ और पांचों जनरल ऑफिसर कमांडिग-इन चीफ के रिज्यूमे की समीक्षा की जाती है. इसके बाद इस पद के लिए अपॉइंटमेंट प्रधानमंत्री और रक्षा मंत्री की कमेटी द्वारा किया जाता है.1950 से लेकर अब तक सामान्य तौर पर आर्मी के सबसे सीनियर लेफ्टिनेंट मिलिट्री जनरल को ही इस पद पर रखा जाता रहा है.

दो बार टूटी है परिपाटी
अब तक बस दो बार यह सामान्य परिपाटी टूटी है. पहली बार 1983 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने जनरल अरुण कुमार श्रीधर वैद्य को देश का आर्मी चीफ बनाया था. इसके बाद साल 2016 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने दो सीनियर अधिकारियों की बजाए बिपिन रावत को आर्मी चीफ बनाया था. 

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