क्या हो अगर अगले चुनाव में आपका वोट देने का अधिकार ही छीन लिया जाए? बिहार में 65 लाख लोगों के नाम वोटर लिस्ट से हटा दिए गए हैं, और अब यह मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया है. इस गंभीर मुद्दे की हर परत जानिए कि 65 लाख वोटर्स कहां गए?- चुनाव आयोग ने क्या सफाई दी? यह एक रूटीन प्रक्रिया से कहीं ज़्यादा क्यों है? ADR ने सुप्रीम कोर्ट में क्यों चुनौती दी? पारदर्शिता और कानूनी अधिकारों का सवाल खड़े हो रहे हैं. सबसे बड़ा पेंच- क्यों चुनाव आयोग ने यह नहीं बताया कि किसका नाम किस वजह से काटा गया? सुप्रीम कोर्ट का सख्त रुख देखने को मिला, चुनाव आयोग को 12 अगस्त तक जवाब देने का आदेश दिया है. यह मामला सिर्फ बिहार का नहीं, बल्कि आपके और हमारे लोकतांत्रिक अधिकारों का है। अगर वोटर लिस्ट ही पारदर्शी नहीं होगी, तो निष्पक्ष चुनाव कैसे होंगे?