दिल्ली विधानसभा की इमारत को लेकर ऐसी कहानी है, जिसे जानकर अच्छे से अच्छे धुरंधर असमंजस में पड़ जाएंगे. लोकतंत्र का मंदिर जहां जनता की आवाज गूंजती है, कानून बनते हैं और दिल्ली का भविष्य तय होता है. लेकिन क्या इसी इमारत की दीवारों के पीछे एक ऐसा स्याह अतीत दफन है जो हमें हमारे स्वतंत्रता संग्राम के उन दिनों में ले जाता है जब क्रांति की चिंगारी भड़क रही थी? क्या इस विधानसभा के परिसर में वाकई एक फांसी घर मौजूद था? जहां अंग्रेज भारत के वीर सपूतों को मौत की सजा देते थे? या फिर यह महज एक गड़ी हुई कहानी है. एक टिफिन रूम को फांसी घर बताकर एक सियासी ड्रामा किया गया. आज हम इस दावे और इसके पीछे की हकीकत की परत दर परत पड़ताल इस वीडियो में करेंगे. आपको दोनों पक्षों के हर एक तर्क, हर एक सबूत और इतिहासकारों की राय से रूबरू कराएंगे.