जब भी देश ने पुकारा, भारतीय सेना ने हर बार मजबूती से कदम बढ़ाया. पिछले एक वर्ष में आई प्राकृतिक आपदाओं के दौरान राहत कार्यों की झलकियां इस अटूट समर्पण की गवाही देती हैं. सीधे शब्दों में कहा जाए तो हर संकट की घड़ी में जब कोई भी देशवासी मुश्किल में फंसा, भारतीय सेना ने बिना किसी हिचक के मोर्चा संभाला. बाढ़ हो या भूस्खलन, तूफान हो या भूकंप- हर आपदा में राहत और बचाव कार्यों में सेना की तत्परता ने एक बार फिर साबित किया कि उनके लिए "सेवा पहले, स्वयं बाद में" सिर्फ एक नारा नहीं, जीवन का उद्देश्य है.