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वीरता और संघर्ष से भरे वीरांगना रानी लक्ष्मीबाई की अंतिम यात्रा, जानें 18 जून का इतिहास

Today History: यह दिन वैश्विक और राष्ट्रीय स्तर पर हुए कुछ ऐसे बदलावों की साक्षी रहा है, जिन्होंने आने वाले समय की तस्वीर गढ़ने में अहम भूमिका निभाई.

वीरता और संघर्ष से भरे वीरांगना रानी लक्ष्मीबाई की अंतिम यात्रा, जानें 18 जून का इतिहास

Today History: 18 जून, अतीत के पन्नों में एक ऐसा दिन है जहां बड़ी लड़ाइयों, महत्वपूर्ण फैसलों और संघर्ष की ऐतिहासिक कहानियां दर्ज हैं. यह सिर्फ एक तारीख नहीं, बल्कि उन मोड़ों का गवाह है जहां देशों के भाग्य लिखे गए और कुछ यादगार घटनाओं ने अपनी गहरी छाप छोड़ी. आइए जानते हैं, 18 जून का इतिहास.

वाटरलू की लड़ाई (Battle of Waterloo)
18 जून 1815 को बेल्जियम के वाटरलू के पास नेपोलियन युद्धों की सबसे निर्णायक लड़ाई थी. नेपोलियन बोनापार्ट के नेतृत्व वाली फ्रांसीसी सेना का मुकाबला ड्यूक ऑफ वेलिंगटन के नेतृत्व वाली एलाइड सेना और मार्शल ब्लूचर के नेतृत्व वाली प्रशियाई सेना से हुआ. इस लड़ाई में नेपोलियन को करारी हार मिली, जिसने यूरोपीय इतिहास में उसके साम्राज्य का अंत कर दिया. इस हार के बाद उसे सेंट हेलेना द्वीप पर निर्वासन में भेज दिया गया.

चार्ल्स डी गॉल का ‘अपील ऑफ 18 जून’
18 जून 1940 को लंदन में द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान, फ्रांस पर नाजी जर्मनी के कब्जे के बाद, जनरल चार्ल्स डी गॉल ने लंदन से BBC रेडियो पर फ्रांसीसी लोगों को संबोधित करते हुए एक ऐतिहासिक अपील की. उन्होंने फ्रांसीसियों से हार न मानने और जर्मन कब्जे के खिलाफ प्रतिरोध जारी रखने का आह्वान किया. इस अपील ने फ्री फ्रेंच फोर्सेज के गठन की नींव रखी और फ्रांसीसी प्रतिरोध आंदोलन को नई जान दी.

सॉल्ट II संधि पर हस्ताक्षर
18 जून 1979 को वियना में अमेरिकी राष्ट्रपति जिमी कार्टर और सोवियत नेता लियोनिद ब्रेझनेव ने रणनीतिक शस्त्र परिसीमन संधि पर हस्ताक्षर किए. इस संधि का मकसद शीत युद्ध के दौरान परमाणु हथियारों की दौड़ को सीमित करना था. हालांकि, बाद में सोवियत संघ के अफगानिस्तान पर आक्रमण के कारण अमेरिकी सीनेट ने इसे कभी मंजूरी नहीं दी.

बर्लिन एयरलिफ्ट की शुरुआत
18 जून 1948 को बर्लिन, जर्मनी में सोवियत संघ द्वारा पश्चिमी बर्लिन की नाकेबंदी के जवाब में, पश्चिमी मित्र देशों ने बर्लिन एयरलिफ्ट शुरू किया. इस अभियान के तहत हवाई जहाज से पश्चिम बर्लिन के लोगों तक भोजन, ईंधन और अन्य आवश्यक सामान पहुंचाया गया. यह शीत युद्ध के दौरान एक बड़ा मानवीय और रणनीतिक प्रयास था.

सैली राइड अंतरिक्ष में जाने वाली पहली अमेरिकी महिला बनीं
18 जून 1983 को अमेरिका में, स्पेस शटल चैलेंजर से अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री सैली राइड (Sally Ride) स्पेस शटल चैलेंजर में सवार होकर अंतरिक्ष में गईं. वह अंतरिक्ष में जाने वाली पहली अमेरिकी महिला बनीं, जो अंतरिक्ष में लैंगिक समानता की दिशा में एक बड़ा कदम था.

प्लासी की लड़ाई के बाद की घटनाएं
18 जून 1757 को बंगाल में 23 जून 1757 को होने वाली प्लासी की लड़ाई से ठीक पहले, इस समय तक रॉबर्ट क्लाइव के नेतृत्व वाली ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी और बंगाल के नवाब सिराज-उद-दौला के बीच तनाव अपने चरम पर था. इस अवधि में ब्रिटिश सेना अपनी रणनीतियों को अंतिम रूप दे रही थी और नवाब के खिलाफ साजिशों को तेज कर रही थी, जिससे भारत में ब्रिटिश राज की नींव रखने वाले युद्ध का मंच तैयार हो रहा था.

रानी लक्ष्मीबाई का अंतिम संस्कार
18 जून 1858 को ग्वालियर, मध्य प्रदेश में 1857 के विद्रोह की महान वीरांगना रानी लक्ष्मीबाई का अंतिम संस्कार किया गया. वह 17 जून को ग्वालियर में ब्रिटिश सेना से लड़ते हुए शहीद हो गई थीं. उनके बलिदान ने भारत के स्वतंत्रता संग्राम को एक नई ऊर्जा दी.

हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम लागू
18 जून 1956 को पूरे भारत में हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम लागू हुआ. इस ऐतिहासिक कानून ने हिंदू, बौद्ध, जैन और सिख समुदायों में पैतृक संपत्ति के उत्तराधिकार के नियमों को को डिफाईन किया और बेटियों को बेटों के बराबर अधिकार दिए, जिससे भारतीय समाज में लैंगिक समानता की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया गया.

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