Canada Politics: यह विदित है कि पंजाबी कनाडा की राजनीति में एक प्रमुख ताकत हैं. अब, गुजराती भी वहां अपनी पॉलिटिकल पहचान बनाने की कोशिश कर रहे हैं.
इस महीने के अंत में होने वाले कनाडा के संघीय चुनावों के लिए चार गुजराती मूल के उम्मीदवार मैदान में हैं.
जयेश ब्रह्मभट्ट, संजीव रावल, अशोक पटेल और मिनेश पटेल 28 अप्रैल को कनाडा के 45वें संघीय चुनाव में संसदीय सीटों के लिए चुनाव लड़कर इतिहास रचने वाले हैं. लेकिन वे कौन हैं? आइए इनके बारे में जानते हैं
जयेश ब्रह्मभट्ट
NDTV के अनुसार, जयेश ब्रह्मभट्ट पीपुल्स पार्टी के टिकट पर ब्रैम्पटन चिंगुआकोसी पार्क निर्वाचन क्षेत्र से जीतने की कोशिश में हैं. सिविल इंजीनियर ब्रह्मभट्ट 2001 में कनाडा चले गए थे. इसके बाद वे एक सफल रियल एस्टेट डेवलपर बन गए.
ब्रह्मभट्ट ने टाइम्स ऑफ इंडिया से कहा, 'हम स्वतंत्रता, जिम्मेदारी, निष्पक्षता और सभी के लिए सम्मान के पक्षधर हैं, और कहीं न कहीं यह मेरे साथ प्रतिध्वनित होता है.'
उन्होंने कहा, 'मैंने बहुत से लोगों से बात की है, और वे इस चुनाव से बदलाव चाहते हैं.' उन्होंने आगे कहा, 'कनाडा में राजनीतिक दल अब भारतीयों को राजनीतिक क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण समुदाय के रूप में पहचान रहे हैं और गुजराती जैसे उप-समूह प्रतिनिधित्व करने और सुने जाने के इस अवसर का अधिकतम लाभ उठा रहे हैं.'
सुंजीव रावल
हिंदुस्तान टाइम्स के अनुसार, सुंजीव रावल कैलगरी मिडनापोर निर्वाचन क्षेत्र में लिबरल टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं.
तंजानिया में जन्मे रावल दो दशकों से ज्यादा समय से कैलगरी में रह रहे हैं. रावल के पास स्टोर्स की एक सफल श्रृंखला है. उनका भारतीय समुदाय समूहों से भी संबंध है.
हिंदुस्तान टाइम्स ने रावल के हवाले से कहा, 'हम मध्यम वर्ग के सामने आने वाले मुद्दों पर लड़ रहे हैं, जो बेहतर बुनियादी ढांचे और खेल सुविधाओं, किफायती आवास और सभी के लिए काम के अवसरों की मांग कर रहे हैं.' उन्होंने कहा, 'देश को अप्रवासियों की जरूरत है, लेकिन एक संतुलन होना चाहिए. हमें उम्मीद है कि सही नीतियों के साथ इसे बहाल किया जा सकेगा. अब हमारे पास आवाज है.'
अशोक पटेल और मिनेश पटेल
एनडीटीवी के अनुसार, अशोक और मिनेश पटेल निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ रहे हैं.
अशोक एडमॉन्टन शेरवुड निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव लड़ रहे हैं, जबकि मिनेश पटेल ने कैलगरी स्काईव्यू से अपना नामांकन दाखिल किया है. दोनों कारोबारी हैं.
यह घटनाक्रम कनाडाई राजनीति के करीबी पर्यवेक्षकों के लिए कोई आश्चर्य की बात नहीं है.
ओवरसीज फ्रेंड्स ऑफ इंडिया कनाडा (OFIC) के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार निदेशक हेमंत शाह ने टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया, 'कनाडा में 1 लाख से ज्यादा गुजराती रहते हैं. यह समुदाय लगभग सभी बड़े शहरों में मौजूद है, लेकिन टोरंटो, मॉन्ट्रियल, ओटावा, कैलगरी और वैंकूवर में ज्यादा है. कई लोग अप्रवासी के तौर पर देश में आए जबकि कई छात्र के तौर पर आए और यहीं बस गए. मैं चार दशकों से कनाडा में हूं और इस चुनाव में हम शायद गुजराती मूल के सबसे ज्यादा उम्मीदवार देख रहे हैं. उनकी जीत से इतर, यह समुदाय का प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जो पंजाबियों के बाद दूसरे सबसे बड़े समुदाय का प्रतिनिधित्व करता है.'
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