नई दिल्लीः विद्रोही गुटों के सीरिया पर कब्जे के बाद से देश में मौजूद रासायनिक हथियारों को लेकर चिंताएं जाहिर की जाने लगी हैं. ऐसी आशंका जताई जा रही है कि कहीं ये गलत हाथों में न पड़ जाए.
सीरियाई विद्रोही नेता अबू मोहम्मद अल-जुलानी का कहना है कि ग्रुप हयात तहरीर अल-शाम (एचटीएस), उन संभावित साइट्स को सुरक्षित करने के लिए अंतरराष्ट्रीय संगठनों के साथ काम कर रहा है, जहां रासायनिक हथियार हो सकते हैं. एचटीएस ने पहले ही कहा था कि वह किसी भी परिस्थिति में रासायनिक हथियारों का इस्तेमाल नहीं करेगा.
बता दें रविवार को सीरिया की राजधानी पर कब्जा कर लिया और राष्ट्रपति बशर अल-असद को देश छोड़ कर भागना पड़ा जिन्होंन करीब 24 साल तक अरब देश पर शासन किया था.
इस बीच पेंटागन ने कहा कि अमेरिका संभावित रासायनिक हथियार स्थलों को सुरक्षित करने के बारे में उनकी टिप्पणियों का स्वागत करता है, लेकिन साथ ही इसने आगाह भी किया कि 'बयान के साथ-साथ कथनी भी जरूरी है.' आखिर सीरिया में रासायनिक हथियारों का इतिहास क्या है और यह कितना खतरनाक साबित हो सकते हैं.
सीरिया में रासायनिक हथियारों का उत्पादन 1980 के दशक के मध्य में शुरू हुआ. एक दौर ऐसा भी आया जब यह माना जाता था कि सीरिया के पास अमेरिका और रूस के बाद दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा रासायनिक हथियारों का भंडार है. सीरिया के 13 साल से अधिक समय तक चले गृह युद्ध के दौरान बशर अल-असद पर बार-बार रासायनिक हथियारों के इस्तेमाल करने का आरोप लगता रहा है.
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, 2012 में तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने चेतावनी दी थी कि इन हथियारों निरंतर इस्तेमाल 'रेड लाइन' को पार कर जाएगा, जो अमेरिकी सैन्य हस्तक्षेप को उचित ठहराएगा. अमेरिकी धमकी के बाद असद अपने देश के रासायनिक हथियार कार्यक्रम को समाप्त करने के लिए रूसी-अमेरिकी समझौते पर सहमत हो गए और रासायनिक हथियारों पर प्रतिबंध लगाने वाली एक अंतरराष्ट्रीय संधि में शामिल होने के लिए सहमत हो गए.
अंतरराष्ट्रीय रासायनिक हथियार निषेध संगठन (ओपीसीडब्ल्यू) ने जून 2014 में प्रमाणित किया था कि सीरिया के सभी घोषित हथियार हटा दिए गए हैं. हालांकि अमेरिका का मानना था कि असद ने कुछ रासायनिक हथियार छिपा दिए थे.
पिछले सप्ताह तक अमेरिकी खुफिया एजेंसियां सीरिया में संदिग्ध रासायनिक हथियारों के भंडारण स्थलों पर कड़ी निगरानी रख रही थीं. उन्हें डर था कि सरकारी बल कहीं विद्रोहियों को राजधानी पर कब्जा करने से रोकने के लिए बचे हुए रासायनिक हथियार न इस्तेमाल कर लें. असद सरकार गिरने के बाद चिंता इस बात की है कि हथियार चोरी हो सकते हैं या उनका इस्तेमाल किया जा सकता है.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, कुछ जानकार ऐसा मानते हैं कि सीरिया के पास रासायनिक हथियार ज्यादा नहीं है और विद्रोही गुटों के लिए इनका इस्तेमाल करना आसान भी नहीं होगा. जब तक कोई ग्रुप इसके बारे में पूरी जानकारी हासिल नहीं कर ले वो इसके इस्तेमाल से बचेगा ही.
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