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दुनिया में किन-किन देशों के पास 5वीं पीढ़ी के फाइटर जेट? यहां समझिए इनकी खूबियां

दुनियाभर के देश अपनी सैन्य ताकत को मजबूत करने के लिए 5वीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान बना रहे हैं. ऐसे में चलिए जान लेते हैं कि किन-किन देशों के पास फिलहाल इस तरह के फाइटर जेट हैं. वहीं, भारत का इस मामले में क्या है.

दुनिया में किन-किन देशों के पास 5वीं पीढ़ी के फाइटर जेट? यहां समझिए इनकी खूबियां
  • इन देशों के पास है फाइटर जेट्स
  • भारत में भी बन रहा लड़ाकू विमान

नई दिल्ली: किसी भी देश को सुरक्षित रखने के लिए उसकी सैन्य ताकत को मजबूत रखना अनिवार्य है. खासतौर पर वायुसेना का मजबूत रहना आवश्यक होता है. भारत इस दिशा में लगातार कदम बढ़ा रहा है. इसका अनुमान इयरो इंडिया 2025 में देखने को मिल, जिसका बेंगलुरु के येलहंका एयरफोर्स स्टेशन में आयोजन किया गया. यहां भारतीय वायु सेना के तमाम फाइटर जेट देखने को मिले.

इस दौरान रूस और अमेरिका की पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान भी दिखाई दिए. ऐसे में चलिए आज हम जानते हैं कि इस समय पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू और किन-किन देशों के पास हैं.

एयरो इंडिया 2025 में दिखें 5वीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान

बेंगलुरु में आयोजित किए गए एयरो इंडिया 2025 में भारतीय वायु सेना भी पूरी दुनिया के सामने दम दिखाने में पीछा नहीं रहा. बीते शनिवार को एयरो इंडिया 2025 का अंतिम शो आयोजित किया गया था. इस दौरान रूस और अमेरिका ने अपने पांचवी पीढ़ी के फाइटर जेट का खूब बखान किया. एक ओर अमेरिका अपने पांचवी जनरेशन के लड़ाकी जेट F-35 के साथ पहुंचा. वहीं, रूस ने अपना पांचवी जनरेशन का SU-57 लड़ाकू विमान लेकर आया था.

भारत को मिला ऑफर

बताया जा रहा है कि रूस और अमेरिका दोनों ही अपनी पांचवी पीढ़ी के इन लड़ाकू विमानों का भारत को ऑफर दे चुका है. ऐसे में उम्मीद जताई जा रही है कि भारतीय वायु सेना के पास ये दोनों या इनमें से कोई एक फाइटर जेट शामिल हो सकता है.

F-35 लगातार सुर्खियों में

पिछले दिनों जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अमेरिकी दौरे के लिए गए थे, तभी से F-35 को लेकर चर्चा तेज हो चुकी है. पीएम मोदी से मुलाकात के बाद ट्रम्प ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी, जिसमें उन्होंने इस बात का खुलासा किया था कि वह भारत के साथ हथियारों की बिक्री को बढ़ा रहे हैं और F-35 लड़ाकू विमान की डील के लिए भी रास्ते बन रहे हैं. इसके बाद से ही अमेरिका का F-35 लगातार सुर्खियों में बना हुआ है.

715 करोड़ रुपये में बना है F-35

गौरतलब है कि F-35 का डेवलपमेंट लॉकहीड मार्टिन कंपनी ने किया है. इसे तैयार करने में एक लंबा वक्त लगा है. इस लड़ाकू विमान को बनाने का काम वर्ष 2006 में किया गया था, जो 2015 में जाकर खत्म हुआ. वहीं, इसे बनाने की लागत की बात करें तो इसमें लगभग 82.5 मिलियन डॉलर यानी भारतीय करेंसी के अनुसार करीब 715 करोड़ रुपये का खर्च आया है.

इन देशों के पास है 5वीं पीढ़ी के फाइटर जेट

दूसरी ओर अगर उन देशों की बात करें जिनके पास 5वीं पीढ़ी के फाइटर जेट इस समय मौजूद हैं तो इसकी लिस्ट ज्यादा लंबी नहीं है. रिपोर्ट्स के मुताबिक, फिलहाल 5वीं जनरेशन के फाइटर जेट सिर्फ अमेरिका, रूस और चीन के पास ही हैं. इसके अलावा अगर भारत, अमेरिका का F-35 खरीदता है तो यह पहली बार होगा जब भारत और अमेरिका के बीच किसी फाइटर जेट को लेकर डील होगी. फिलहाल भारत के पास अमेरिका का कोई लड़ाकू विमान नहीं है.

भारत भी बना रहा 5वीं जनरेशन का फाइटर जेट

हालांकि, खबर यह भी है कि भारत भी अपना 5वीं जनरेशन का फाइटर जेट तैयार कर रहा है, लेकिन इसे तैयार होने में अभी 2-3 साल का वक्त और लगने की संभावना है. इसके बाद अमेरिका, रूस और चीन के साथ भारत का नाम भी 5वीं पीढ़ी के फाइटर जेट रखने वाले देशों की लिस्ट में शुमार हो जाएगा.

5वीं जनरेशन के लड़ाकू विमानों की खासियतें

  • ये विमान रडार की पहचान से बचने के लिए डिजाइन किए जाते हैं, जिससे उनका रडार क्रॉस-सेक्शन बहुत कम होता है.
  • ये फाइटर जेट्स सुपरसोनिक गति से बिना आफ्टरबर्नर के उड़ने में सक्षम होते हैं, जिससे ईंधन की खपत कम होती है और लंबे वक्त तक तेज गति से उड़ सकते हैं.
  • इनमें विभिन्न सेंसर्स जैसे रडार, इंफ्रारेड सर्च एंड ट्रैक (IRST), और इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर सिस्टम के डेटा को एकीकृत करने की क्षमता होती है, जिससे पायलट को स्थिति का संपूर्ण दृश्य मिलता है.
  • ये जेट्स उन्नत कंप्यूटर सिस्टम्स, डिस्प्ले और संचार प्रणालियों से लैस होते हैं जो उन्हें एक नेटवर्क के माध्यम से दूसरे विमानों और जमीनी स्टेशनों के साथ सूचना साझा करने में सक्षम बनाते हैं.
  • ये जेट्स आंतरिक हथियार बे के साथ आते हैं, जो स्टील्थ क्षमता को बनाए रखते हुए विविध हथियार ले जाने की क्षमता प्रदान करता है.
  • इसमें बैठे पायलटों को उनके चारों ओर की स्थिति की पूर्ण जानकारी देने के लिए हेलमेट-माउंटेड डिस्प्ले और अन्य उपकरणों का उपयोग किया जाता है

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