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इतिहास का सबसे छोटा युद्ध, जो महज 45 मिनट में ही निपट गया!

Anglo-Zanzibar War: जंजीबार को ब्रिटिश साम्राज्य का हिस्सा बनाने के बाद अंग्रेजों ने यहां शासन के लिए जांजीबार के पांचवे सुल्तान हम्मद बिन थुवैनी को चुना. साल 1896 में सुल्तान की मौत होने के चंद घंटों बाद ही थुवैनी का भाई खालिद बिन बरगश जांजीबार की गद्दी पर बैठ गया.   

इतिहास का सबसे छोटा युद्ध, जो महज 45 मिनट में ही निपट गया!

  • जंजीबार में लड़ा गया सबसे छोटा युद्ध 
  • मात्र 45 मिनट ही चला जंजीबार का युद्ध  

नई दिल्ली:  Anglo-Zanzibar War: इतिहास में कई बड़े-बड़े युद्ध हुए हैं, जो सालों साल तक चले हैं. प्रथम और विश्व युद्ध भी 4-6 साल तक चले हैं. वहीं हाल ही में चल रहे रूस यूक्रेन के युद्ध को भी 3 साल होने वाले हैं. बता दें कि इतिहास में एक ऐसा भी युद्ध हुआ है, जो 38-45 मिनट चला है. इस युद्ध को इतिहास का सबसे छोटा युद्ध माना जाता है. 

अंग्रेजो को मिला जंजीबार द्वीप  
इंग्लैंड और जांजीबार के बीच यह युद्ध साल 1896 में लड़ा गया था. जांजीबार एक द्वीपसमूह है, जो फिलहाल तंजानिया का एक अर्द्ध-स्वायत्त हिस्सा है. साल 1890 में जर्मनी और ब्रिटेन के बीच Heligoland-Zanzibar Treaty नाम से एक संधि हुई थी. इसके तहत इन दोनों देशों को पूर्वी अफ्रीका में हुकूमत चलाने के लिए कुछ विशिष्ट क्षेत्र दिए गए थे. संधि के तहत जंजीबार द्वीप को अंग्रेजों को सौंपा. यह ब्रिटिश साम्राज्य का एक हिस्सा बन गया. वहीं इसके पास मौजूद मुख्य भूमि तंजानिया के पास वाले इलाके जर्मनों को दिए गए.   

जंजीबार की गद्दी में बैठा खालिद 
जंजीबार को ब्रिटिश साम्राज्य का हिस्सा बनाने के बाद अंग्रेजों ने यहां शासन के लिए जांजीबार के पांचवे सुल्तान हम्मद बिन थुवैनी को चुना. साल 1896 में सुल्तान की मौत होने के चंद घंटों बाद ही थुवैनी का भाई खालिद बिन बरगश जांजीबार की गद्दी पर बैठ गया. ऐसा करने से पहले उसने अंग्रेजों से बात तक नहीं की. वहीं अंग्रेजों के गले से भी यह बात नहीं उतर पाई की कोई बिना उनसे इजाजत लिए जंजीबार की गद्दी में बैठ गया. जांजीबार में तैनात ब्रिटिश राजनयिक ने खालिद से गद्दी छोड़ने के लिए बोला, लेकिन खालिद ने ऐसा न करके युद्ध का मन बना लिया. 

45 मिनट चला युद्ध 
खालिद ने सैनिकों, हथियारों और शाही जहाजों के जरिए अपने किले को सुरक्षित कर लिया. ब्रिटेन भी वहां युद्ध के लिए तैयार हो गया और अपने सैनिकों को इकट्ठा कर लिया. ब्रिटिश जहाजों ने जंजीबार के किले पर हमला बोला और मात्र 2 मिनट के अदंर ही खालिद के हथियार समेत तोप-गोले सब तबाह हो गए. इसके अलावा लड़की से बने उसके किले में भी आग लग गई. इससे किले में मौजूद 3 हजार सैनिक फंस गए. किला आग का गोला बनकर सैनिकों को निगलने के लिए तैयार हो गया. वहीं खालिद जान बचाने के लिए पीछे के दरवाजे से भाग निकला. 45 मिनट के अंदर ही सुल्तान का झंडा उतार दिया गया और जंजीबार का युद्ध वहीं खत्म हो गया.  

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