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अपने ही देश के लिए ‘हिटलर’ बन गए ट्रंप? 400 से ज्यादा जगहों पर जबरदस्त विरोध प्रदर्शन!

डोनाल्ड ट्रंप की नीतियों और बयानों के खिलाफ अमेरिका में 400 से अधिक जगहों पर विरोध-प्रदर्शन हुए. प्रदर्शनकारियों ने तानाशाही रवैये, प्रवासियों पर सख्ती, और शिक्षा-विज्ञान में कटौती का जबरदस्त विरोध किया.

अपने ही देश के लिए ‘हिटलर’ बन गए ट्रंप? 400 से ज्यादा जगहों पर जबरदस्त विरोध प्रदर्शन!
  • अमेरिका में 400 से ज्यादा जगहों पर ट्रंप के खिलाफ विरोध प्रदर्शन
  • प्रदर्शनकारियों ने ट्रंप को ‘तानाशाह’ कहकर हिटलर से की तुलना

दुनिया भर में ट्रेड वॉर छेड़ देने वाले ट्रंप, अपने ही देश के लिए हिटलर बन चुके हैं. हालात कुछ ऐसे हैं कि अमेरिका में राष्ट्रपति ट्रंप के खिलाफ, देशभर में 400 से अधिक स्थानों पर बड़े पैमाने पर विरोध-प्रदर्शन हुए. न्यूयॉर्क, वॉशिंगटन डीसी और सैन फ्रांसिस्को जैसे प्रमुख शहरों में हजारों लोगों ने ट्रंप की कठोर नीतियों और ‘तानाशाही रवैये’ के खिलाफ सड़कों पर उतरकर आवाज उठाई. प्रदर्शनों में इमिग्रेशन कानूनों, शिक्षा और साइंस के बजट में कटौती, और संवैधानिक अधिकारों के उल्लंघन के मुद्दों पर नाराजगी जाहिर की गई.

अमेरिका में जबरदस्त विरोध-प्रदर्शन
एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिका के 400 से ज्यादा स्थानों पर ट्रंप विरोधी प्रदर्शन हुए. न्यूयॉर्क पब्लिक लाइब्रेरी के बाहर सैकड़ों लोग ‘No Kings in America’ और ‘Resist Tyranny’ जैसे नारों के साथ जुटे. वहीं, सैन फ्रांसिस्को के एक समुद्र तट पर लोगों ने ‘IMPEACH + REMOVE’ शब्द बनाकर ट्रंप को सत्ता से हटाने की मांग की.

वहीं दूसरी ओर, वॉशिंगटन डीसी में प्रदर्शनकारियों ने संवैधानिक अधिकारों और कानून के शासन को खतरे में डालने के ट्रंप के प्रयासों की आलोचना की. कुछ प्रदर्शनकारियों ने कहा कि ट्रंप सरकार लोगों को डराने के लिए नियमों का दुरुपयोग कर रही है और यह लोकतंत्र के लिए खतरा है.

ट्रंप पर तानाशाही रवैये का आरोप
कई प्रदर्शनकारियों ने ट्रंप की तुलना हिटलर से भी कर दी. 73 वर्षीय कैथी वैली, जो होलोकॉस्ट सर्वाइवर की बेटी हैं, ने कहा कि ‘जो बातें मैंने अपने माता-पिता से सुनी थीं, वही आज अमेरिका में हो रहा है.’

वहीं अन्य प्रदर्शनकारियों ने आरोप लगाया कि ट्रंप अपने ही प्रशासन में फूट डाल रहे हैं और अल्पसंख्यकों को निशाना बना रहे हैं. वॉशिंगटन डीसी में एक प्रदर्शनकारी ने कहा कि ट्रंप सरकार की नीतियां जेनोफोबिया (विदेशी विरोध) को बढ़ावा दे रही हैं और पुराने संवैधानिक मूल्यों को कमजोर कर रही हैं.

शिक्षा बजट में कटौती भी बनी वजह
प्रदर्शनों का एक अहम मुद्दा सरकार द्वारा साइंस और हेल्थ रिसर्च के बजट में की गई कटौती भी रहा. जॉन्स हॉपकिंस यूनिवर्सिटी की इम्यूनोलॉजी स्कॉलर डैनिएला बटलर ने कहा, ‘जब विज्ञान की अनदेखी होती है, लोग मरते हैं.’ उन्होंने टेक्सास में फैलते मीज़ल्स (महामारी) के मामलों को इसका उदाहरण बताया.

इस बीच, ट्रंप के स्वास्थ्य सलाहकार रॉबर्ट एफ कैनेडी जूनियर को भी निशाने पर लिया गया, जिन्होंने MMR वैक्सीन को ऑटिज्म से जोड़कर झूठ फैलाया था. प्रदर्शनकारियों ने कहा कि ट्रंप सरकार वैज्ञानिक तथ्यों को दरकिनार कर जनता की सेहत के साथ खिलवाड़ कर रही है.

ट्रंप की नीतियों से गहरा असंतोष
आंदोलन का नेतृत्व कर रहे ग्रुप ‘50501’ का कहना है कि यह प्रदर्शन ट्रंप की गैर-लोकतांत्रिक और अवैध कार्रवाइयों के खिलाफ एक संगठित जवाब है. इस संगठन का नाम 50 राज्यों और 1 आंदोलन के प्रतीक के रूप में चुना गया है.

हालांकि प्रदर्शन ‘नॉन-वायलेंट’ रहे, लेकिन इनका संदेश स्पष्ट था. देश की लोकतांत्रिक नींव खतरे में है. आयोजकों का कहना है कि यह विरोध केवल ट्रंप तक सीमित नहीं है, बल्कि अमेरिका के भविष्य और लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा के लिए एक बड़ी मुहिम है.

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