नई दिल्लीः Sri Lanka Presidential Election, Anura Kumara Dissanayake Profile: श्रीलंका के राष्ट्रपति चुनाव में रविवार को अभूतपूर्व दूसरे दौर की मतगणना के बाद निर्वाचन आयोग ने मार्क्सवादी नेता अनुरा कुमारा दिसानायके को विजेता घोषित किया. मार्क्सवादी जनता विमुक्ति पेरामुना पार्टी के विस्तृत मोर्चे नेशनल पीपुल्स पावर (NPP) के उम्मीदवार 56 वर्षीय दिसानायके ने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी समागी जन बालवेगया (SJB) के साजिथ प्रेमदासा को हराया है.
निवर्तमान राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे अधिकतम मत पाने वाले शीर्ष दो में शामिल होने में विफल रहने के बाद पहले दौर में ही बाहर हो गए. एनपीपी ने बताया कि दिसानायके सोमवार को राष्ट्रपति पद की शपथ लेंगे. वह श्रीलंका के नौवें राष्ट्रपति होंगे.
एक बयान में नवनिर्वाचित राष्ट्रपति दिसानायके को संबोधित करते हुए 75 वर्षीय निवर्तमान राष्ट्रपति विक्रमसिंघे ने कहा, 'राष्ट्रपति अनुरा दिसानायके, मैं प्यारे श्रीलंका को आपकी देखभाल में सौंप रहा हूं.' शनिवार को हुआ चुनाव 2022 में देश में आर्थिक संकट आने के मद्देनजर बड़े पैमाने पर विरोध-प्रदर्शनों के कारण गोटबाया राजपक्षे को सत्ता से हटाए जाने के बाद पहला चुनाव था.
इससे पूर्व निर्वाचन आयोग ने दूसरे दौर की गिनती का आदेश दिया था क्योंकि शनिवार को हुए चुनाव में किसी भी उम्मीदवार को विजेता घोषित करने के लिए आवश्यक 50 प्रतिशत से अधिक मत हासिल नहीं हुए थे. पहले दौर की मतगणना के अनुसार, कुमारा दिसानायके पहले दौर की मतगणना में 56 लाख 30 हजार यानी 42.31 प्रतिशत वोट हासिल करके शीर्ष स्थान पर रहे. दूसरे स्थान पर विपक्षी समागी जन बालवेगया के नेता साजिथ प्रेमदासा रहे, जिन्हें 43 लाख 60 हजार यानी 32.8 प्रतिशत वोट मिले हैं. मौजूदा राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे को केवल 22 लाख 90 हजार यानी 17.27 प्रतिशत वोट मिले.
श्रीलंका में कभी भी कोई चुनाव मतगणना के दूसरे राउंड तक नहीं पहुंचा है, क्योंकि पहली पसंद मतों के आधार पर हमेशा कोई उम्मीदवार विजेता बनता रहा है. एकेडी के नाम से मशहूर 56 वर्षीय दिसानायके का शीर्ष पद पर पहुंचना 50 साल पुरानी पार्टी जनता विमुक्ति पेरामुना (JVP) के लिए एक उल्लेखनीय बदलाव है, जो लंबे समय से हाशिये पर थी.
वह श्रीलंका में मार्क्सवादी पार्टी के पहले नेता हैं जो राष्ट्र के प्रमुख बने हैं. साल 2022 से एनपीपी की लोकप्रियता में तेजी से उछाल आया. 2019 के पिछले राष्ट्रपति चुनाव में उसे सिर्फ करीब तीन प्रतिशत वोट मिले थे. दिसानायके उत्तर मध्य प्रांत के ग्रामीण थम्बुटेगामा से हैं. उन्होंने कोलंबो उपनगरीय केलानिया विश्वविद्यालय से विज्ञान में स्नातक किया है. वह 1987 में ऐसे वक्त में एनपीपी की मातृ पार्टी जेवीपी में शामिल हुए थे जब उसका भारत विरोधी विद्रोह चरम पर था.
जेवीपी ने 1987 के भारत-श्रीलंका समझौते का समर्थन करने वाले सभी लोकतांत्रिक दलों के कई कार्यकर्ताओं की हत्या कर दी थी. राजीव गांधी-जे आर जयवर्धने समझौता देश में राजनीतिक स्वायत्तता की तमिल मांग को हल करने के लिए प्रत्यक्ष भारतीय हस्तक्षेप था. जेवीपी ने भारतीय हस्तक्षेप को श्रीलंका की संप्रभुता के साथ धोखा करार दिया था. हालांकि, इस वर्ष फरवरी में दिसानायके की भारत यात्रा को एनपीपी नेतृत्व के भारत के प्रति दृष्टिकोण में बदलाव के रूप में देखा जा रहा है, जो विदेशी निवेश हितों के साथ तालमेल व्यक्त करने का संकेत देता है.
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