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ब्रिटेनः लीक रिपोर्ट में खालिस्तानी और हिंदू राष्ट्रवादी चरमपंथ का जिक्र, जानें इसके बारे में क्या लिखा है

ब्रिटिश सरकार की 'चरमपंथ समीक्षा' से जुड़ी एक रिपोर्ट में भारतीय उपमहाद्वीप में दो प्रकार के कट्टरपंथ खालिस्तान समर्थक चरमपंथ और हिंदू राष्ट्रवाद चरमपंथ को एक खतरे के रूप में ध्यानार्थ सामने रखा गया है. लीक हुई इस रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया है कि 'हिंदू राष्ट्रवाद चरमपंथ' का पहली बार ऐसी समीक्षा में उल्लेख किया गया है.

ब्रिटेनः लीक रिपोर्ट में खालिस्तानी और हिंदू राष्ट्रवादी चरमपंथ का जिक्र, जानें इसके बारे में क्या लिखा है
  • रिपोर्ट को लेकर अभी स्पष्टता नहीं
  • दो प्रकार के चरमपंथ का है उल्लेख

नई दिल्लीः ब्रिटिश सरकार की 'चरमपंथ समीक्षा' से जुड़ी एक रिपोर्ट में भारतीय उपमहाद्वीप में दो प्रकार के कट्टरपंथ खालिस्तान समर्थक चरमपंथ और हिंदू राष्ट्रवाद चरमपंथ को एक खतरे के रूप में ध्यानार्थ सामने रखा गया है. लीक हुई इस रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया है कि 'हिंदू राष्ट्रवाद चरमपंथ' का पहली बार ऐसी समीक्षा में उल्लेख किया गया है.

'पॉलिसी एक्सचेंज' थिंक टैंक के लिए एंड्रयू गिलिगन और डॉ. पॉल स्कॉट की ओर से लिखित रिपोर्ट 'अत्यधिक भ्रमित: सरकार की नई चरमपंथ निरोधक समीक्षा खुलासा' को इस सप्ताह के शुरू में जारी किया गया था.

रिपोर्ट को लेकर अभी स्पष्टता नहीं

ब्रिटेन के गृह कार्यालय सुरक्षा मंत्री डैन जार्विस ने मंगलवार को ब्रिटेन की संसद के निचले सदन 'हाउस ऑफ कॉमन्स' को बताया कि यह 'पूरी तरह से स्पष्ट नहीं है कि रिपोर्ट का कौन सा संस्करण लीक हुआ है' और उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि इस रिपोर्ट में किए गए दावे सरकारी नीति का प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं. 

लीक रिपोर्ट के अनुसार, इसमें नौ प्रकार के चरमपंथ इस्लामवादी, चरम दक्षिणपंथी, चरम स्त्री-द्वेष, खालिस्तान समर्थक चरमपंथ, हिंदू राष्ट्रवादी चरमपंथ, पर्यावरण चरमपंथ, वामपंथी, अराजकतावादी और एकल-मुद्दा चरमपंथ (एलएएसआई), हिंसा और षड्यंत्र के सिद्धांत सूचीबद्ध हैं.

दो प्रकार के चरमपंथ का है उल्लेख

लीक रिपोर्ट के अनुसार, सबसे लंबे खंड को 'अंडरस्टैंड (ध्यानार्थ)' विषय दिया गया है. रिपोर्ट में इस खंड के पृष्ठ 17-18 पर दो प्रकार के उन चरमपंथ का उल्लेख किया गया जिनकी उत्पत्ति भारतीय उपमहाद्वीप में हुई है और जिन्हें खालिस्तान समर्थक चरमपंथ और हिंदू राष्ट्रवादी चरमपंथ के रूप में वर्णित किया गया है. 

जानिए क्या लिखा गया है रिपोर्ट में

इसमें कहा गया, 'यह ब्रिटेन की सरकार के लिए तार्किक रवैया होना चाहिए. बहरहाल खालिस्तान आंदोलन के भीतर ही ऐसे लोगों की भूमिका बढ़ रही है जो चिंता का विषय बने हुए हैं. साथ ही चिंता का कारण वह सक्रियता भी है जिसमें मुस्लिम समुदाय के खिलाफ नकारात्मक बातें कहीं जा रही हैं विशेषकर बच्चों के यौन शोषण के आरोपों को लेकर. साथ ही ब्रिटिश और भारतीय सरकार के बीच कथित आपसी तालमेल को षड्यंत्र के रूप में देखा जा रहा है.'

2022 की हिंसा का किया गया है जिक्र

इसमें कहा गया है, 'हिंदू राष्ट्रवादी चरमपंथ (जिसे हिंदुत्व भी कहा जाता है) का उल्लेख 2023 की स्वतंत्र समीक्षा में नहीं किया गया था और इसे एक गलती के रूप में देखा जा सकता है. सितंबर 2022 में लीसेस्टर में हिंदुओं और मुसलमानों के बीच हुई हिंसा को देखते हुए सरकार द्वारा हिंदू राष्ट्रवादी चरमपंथ को सुर्खियों में लाना सही है.' 

विपक्ष ने संसद में उठाया मामला

रिपोर्ट में कहा गया है, 'यहां यह बात भी उतनी ही अहम है कि लीसेस्टर में मुस्लिम और हिंदू दोनों समुदायों के प्रमुख लोगों ने भी तनाव का अवसरवादी तरीके से फायदा उठाने और स्थानीय समुदायों के बीच नफरत भड़काने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.' विपक्षी दल कंजर्वेटिव पार्टी ने लीक हुई रिपोर्ट के निष्कर्षों को संसद में उठाया. 

सरकार की ओर से डैन जार्विस ने कहा, 'जैसा कि हमने बार-बार कहा है, इस्लामी चरमपंथ के बाद दक्षिणपंथी चरमपंथ हमारे सामने सबसे बड़ा खतरा है... यह विचारधारा विशेष रूप से इस्लामी चरमपंथ के बाद दक्षिणपंथी चरमपंथ, चरमपंथ और आतंकवाद का मुकाबला करने के हमारे दृष्टिकोण के केंद्र में बनी हुई है.'

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