China Robot Military News: भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के जरिये पाकिस्तान ना सिर्फ पाकिस्तान को पटखनी दी, बल्कि चीन के हथियारों को भी कड़ी मात दी. भारत के वेपन्स के सामने चीनी हथियार फिसड्डी साबित हुए. पाकिस्तान के पास चीन के हथियारों के अलावा, उसके HQ-16 जैसे ताकतवर एयर डिफेंस सिस्टम भी थे. लेकिन भारत की ब्रह्मोस जैसी मिसाइलों के आगे रक्षा प्रणालियां भी फेल रहीं. हालांकि, चीन ठोकर खाने के बाद भी नहीं सुधरा और अब नई साजिश रच रहा है.
सेना में रोबोट वुल्फ शामिल हुए
चीन ने हाल ही में अपनी सेना में रोबोट वुल्फ को शामिल किया है, जो एक चार पैरों वाला रोबोट है. इसे पहली बार सार्वजनिक तौर पर चीनी सेना यानी PLA के साथ मिलिट्री एक्सरसाइज करते दिखाया गया है. यह अभ्यास चीनी सोल्जर्स और ड्रोन के सहयोग से किया गया, जिसमें रोबोट वुल्फ ने अहम भूमिका निभाई.
हथियार भी चला सकते हैं रोबोट्स
चीन की सरकारी मीडिया के अनुसार, PLA की 76वीं ग्रुप आर्मी की दो मोटराइज्ड इन्फैंट्री कंपनियों ने एक युद्धाभ्यास किया, यह अभ्यास पहाड़ी और घास के मैदानों में हुआ, जहां सैनिकों ने ड्रोन और रोबोट वुल्फ के साथ मिलकर अटैक की स्ट्रेटेजी बनाई. इस अभ्यास में सैनिकों ने QBZ-191 असॉल्ट राइफल्स, QBU-191 मार्क्समैन राइफल्स और रॉकेट लॉन्चर जैसे हथियारों का इस्तेमाल किया. रोबोट वुल्फ भी इन्हीं हथियारों से लैस थे.
रोबोट वुल्फ की खासियत
रोबोट वुल्फ को पहली बार 2024 में झुहाई में आयोजित एयर शो चाइना में दिखाया गया था. इसका वजन करीब 70 किलोग्राम है और यह चार पैरों वाला रोबोट है. यह हमला और जासूसी तो कर ही सकता है, सामान भी ले जाने की क्षमता रखता है. यह जटिल इलाकों जैसे पहाड़ों और शहरी क्षेत्रों में आसानी से काम कर सकता है. सीढ़ियां भी चढ़ सकता है. इसका निर्माण चाइना साउथ इंडस्ट्रीज ग्रुप कॉर्पोरेशन ने किया है.
नेटवर्क बना सकते हैं रोबोट वुल्फ
चीन द्वारा की गई मिलिट्री एक्सरसाइज में पहली बार रोबोट वुल्फ को सैनिकों के साथ काम करते देखा गया. ग्लोबल टाइम्स की रिपोर्ट की मानें तो 'हू ते' नाम के सैनिक ने बताया कि यह उसका पहला एक्सपीरियंस था जब उसने रोबोट वुल्फ को नियंत्रित किया. कई रोबोट वुल्फ एक साथ काम कर सकते हैं और सैनिकों, व्हीकल्स और अन्य रोबोट्स के साथ नेटवर्क बना सकते हैं.
चीनी सैन्य विशेषज्ञ ने क्या कहा?
चीनी सैन्य विशेषज्ञ फू क्वियांशाओ ने बताया कि जमीन पर रोबोट्स का इस्तेमाल हवाई ड्रोन से भी ज्यादा प्रभावी हो सकता है. हाल ही में यूक्रेनी सेना ने दावा किया कि उन्होंने बिना सैनिकों के सिर्फ ड्रोन और रोबोट्स की मदद से रूसी सैनिकों को पकड़ा. फू ने कहा कि जब सैनिकों का सामना रोबोट्स से होता है, तो उनमें मानसिक दबाव बढ़ता है. रोबोट बिना रुके और थके हमला करते रहते हैं, जिससे सैनिक हार मान सकते हैं.